नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। इस तस्वीर के बारे में दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के लाल कुंआ क्षेत्र में एक धार्मिक स्थल को तोड़ने वालों में मुस्लिम नहीं, बजरंग दल के कार्यकर्ता शामिल थे।
विश्वास टीम की जांच में पता चला कि वायरल तस्वीर दिल्ली की नहीं, बल्कि यूपी के चंदौली की है। तस्वीर में खुद चंदौली के एसपी संतोष कुमार सिंह भी मौजूद हैं। पिछले महीने मुगलसराय में तीन चोरों को पकड़ा गया था, तस्वीर उसी की है। हमारी पड़ताल में यह भी पता चला कि दिल्ली में एक समुदाय के धार्मिक स्थल में उत्पात मचाने का आरोप एक ही समुदाय के लोगों पर लगा। इसके बाद अब तक कई लोगों को अरेस्ट किया जा चुका है।
फेसबुक यूजर इरफान ने एक तस्वीर को अपलोड करते हुए दावा किया, ”दिल्ली मे मूर्तिया तोड़ने वाले मुस्लिम नही बजरंग दल के कार्यकर्ता थे, पुलिस द्वारा 6 कार्यकर्ताओं की चल रही है कुटाई, दंगे की साज़िश।”
इस पोस्ट को अब तक चार हजार से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं।
विश्वास टीम ने सबसे पहले वायरल हो रही तस्वीर को ध्यान से देखा। इसके बाद इस तस्वीर को हमने गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड करके सर्च किया तो हमें एक हिंदी की न्यूज वेबसाइट पर यह तस्वीर एक खबर के साथ मिली। यहां इस्तेमाल की गई तस्वीर की क्वालिटी वायरल पोस्ट से ज्यादा बेहतर थी। इसे जब हमने जूम करके देखा तो सीट पर बैठे पुलिस ऑफिसर की नेम प्लेट पर संतोष कुमार सिंह लिखा था। इसके बाद हमने पूरी खबर को पढ़ा।
खबर में बताया गया कि 20 साल में 200 से ज्यादा चोरी करने वाले तीन लोगों को मुगलसराय कोतवाली ने अरेस्ट किया। इसमें से दो चंदौली और एक मिर्जापुर जिले का रहने वाला है। इन तीनों चोरों को डीआरएम ऑफिस के पास पकड़ा गया।
इसके बाद यही खबर हमें दूसरी कई वेबसाइट पर भी मिली। इतना करने के बाद विश्वास टीम ने गूगल पर ”Chandauli SP Santosh Kumar Singh” टाइप करके सर्च किया तो हमारे सामने संतोष कुमार की कई तस्वीर आ गई। दिल्ली के नाम पर वायरल हो रही तस्वीर में नीली टोपी पहने दिख रहे पुलिस अफसर और गूगल में चंदौली एसपी संतोष कुमार एक ही थे।
इसके बाद हमने चंदौली के एसपी संतोष कुमार से बात की। उन्होंने बताया कि वायरल हो रही फोटो उन्हीं की है, लेकिन पोस्ट में लिखा गया कंटेंट एकदम गलत है।
तस्वीर की सच्चाई जानने के बाद अब हमें यह जानना था कि 30 जून को दिल्ली के हौजकाजी में मंदिर में उत्पात मचाने वाले लोग कौन थे? क्या वे लोग बजरंग दल से जुड़े हुए थे? इसकी पड़ताल करने के लिए सबसे पहले हमने अखबारों को खंगालना शुरू किया।
7 जुलाई के दैनिक जागरण से हमें पता चला कि अब तक 17 लोगों को अरेस्ट किया जा चुका है। इसमें से दस आरोपित नाबालिग हैं। 30 जून को लालकुआं इलाके में पार्किंग विवाद से उपजा झगड़ा दो समुदाय के बवाल में तब्दील हो गया था। सोशल मीडिया में फैली अफवाह के बाद उग्र भीड़ ने दूसरे धर्म के धार्मिक स्थन में तोड़फोड़ कर दी। कई मीडिया रिपोर्ट से हमें पता चला कि अरेस्ट किए गए सभी एक ही समुदाय के थे।
इसके बाद विश्वास टीम ने हौजकाजी पुलिस स्टेशन के एसएचओ सुनील कुमार से संपर्क किया। हमें यह जानना था कि क्या दिल्ली में मंदिर में हमला करने वाले मुस्लिम नहीं, बजरंग दल के कार्यकर्ता थे। सुनील कुमार ने हमें बताया कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस तरह की बकवास करते रहते हैं। इसमें कोई सच्चाई नहीं है।
अंत में हमने फर्जी पोस्ट करने वाले इरफान के फेसबुक अकाउंट की सोशल स्कैनिंग की। इससे हमें पता चला कि लखनऊ के रहने वाले इरफान ने यह अकाउंट नवंबर 2013 को बनाया था।
निष्कर्ष : विश्वास टीम की जांच में पता चला कि वायरल तस्वीर दिल्ली की नहीं, बल्कि यूपी के चंदौली जिले की है। दिल्ली में धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने के आरोप में एक समुदाय विशेष के लोगों को अरेस्ट किया गया है।
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