Fact Check : काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर में मुसलमानों के घरों में 45 मंदिर मिलने वाली वायरल पोस्‍ट फर्जी है

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला, ‘काशी में 80 मुसलमानों का घर तोड़ने के बाद मंदिर’ मिलने वाली पोस्‍ट झूठी निकली।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्‍ट का काम जोरों-शोरों से चल रहा है, लेकिन कुछ लोग प्रोजेक्‍ट को लेकर फर्जी खबरों को उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं। जैसे कुछ लोग अब सोशल मीडिया पर यह झूठ फैला रहे हैं कि प्रोजेक्‍ट बनाने के लिए जब 80 मुसलमानों के घरों को खरीदकर तोड़ा गया तो उसमें 45 मंदिर पाए गए।

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में यह दावा फर्जी निकला। कुछ लोग समाज में जहर फैलाने के लिए इस झूठे सांप्रदायिक मैसेज को वायरल कर रहे हैं। जांच में पता चला कि अब तक 307 घरों को खरीदा गया है। इसमें एक घर भी किसी मुसलमान का नहीं है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर अरुण सिंह ने पुष्‍पेंद्र कुलश्रेष्‍ठ Fans नाम के ग्रुप में दो वीडियो को अपलोड करते हुए लिखा : ‘काशी विश्वनाथ मंदिर से गंगा नदी तक सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के लिए मोदी जी ने सड़क में आने वाले 80 मुसलमानों के घरों को खरीदना शुरू कर दिया। जब इन मकानों को ध्वस्त किया गया, तो इसमें 45 पुराने मंदिर पाए गए। जब औरंगजेब ने मूल काशी विश्वनाथ मंदिर को ज्ञानवापी मस्जिद में बदल दिया, तो उसने अपने कुछ सैनिकों को मस्जिद के आसपास रहने की जगह दी और आसपास के छोटे मंदिरों पर कब्जा कर लिया और इन मंदिरों पर अपने घर बना लिए। अभी प्रधान मंत्री मोदी ने इस मुगल सेना के सभी अतिक्रमणकारियों के घरों को हटा दिया है और देखें कि दुनिया को क्या मिला है ……. प्राचीन मंदिरों के 45 खजाने…। इस के दोनों वीडियो देखें…!!’

पड़ताल

‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट’ की सच्‍चाई जानने के लिए हमने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक विशाल सिंह से बात की। उन्‍होंने विश्‍वास न्‍यूज को बताया कि वायरल पोस्‍ट पूरी तरह फर्जी है। जिस स्‍थान पर प्रोजेक्‍ट का निर्माण हो रहा है, वहां एक भी घर किसी मुसलमान का नहीं था। अब तक प्रोजेक्‍ट के लिए 307 मकानों को 350 करोड़ रुपए देकर खरीदा गया है। घरों के अंदर से 44 मंदिर निकले हैं।

इसके बाद विश्‍वास न्‍यूज ने उस लिस्‍ट को खंगालना शुरू किया, जिसमें उन लोगों के नाम और रकम की जानकारी थी, जिनके मकान खरीदे गए। हमें इस लिस्‍ट में एक भी शख्‍स का नाम ऐसा नहीं मिला, जो मुस्लिम हो।

पड़ताल के अगले चरण में हमने वायरल पोस्‍ट के साथ अपलोड दोनों वीडियो की जांच की। हमें पता चला कि दोनों वीडियो काशी कॉरिडोर प्रोजेक्‍ट में मौजूद क्षेत्र का ही है। यह वीडियो 2019 से ही सोशल मीडिया पर मौजूद है। इन वीडियो में कहीं भी मुसलमानों के घरों का हमें कोई सबूत नहीं मिला।

अंत में हमें फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की। हमें पता चला कि यूजर गोपालगंज का रहने वाला है। इसने यह अकाउंट दिसंबर 2017 को बनाया था।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला, ‘काशी में 80 मुसलमानों का घर तोड़ने के बाद मंदिर’ मिलने वाली पोस्‍ट झूठी निकली।

False
Symbols that define nature of fake news
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