Fact Check : निजामुद्दीन के पैर छूते पीएम मोदी की तस्वीर लगभग 10 साल पुरानी, अब भ्रामक दावे के साथ वायरल

Fact Check : निजामुद्दीन के पैर छूते पीएम मोदी की तस्वीर लगभग 10 साल पुरानी, अब भ्रामक दावे के साथ वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफार्म पर एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बुजुर्ग के पैर छुते हुए देखा जा सकता है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स इस तस्‍वीर को वायरल करते हुए दावा कर रहे हैं कि सुभाषचंद्र बोस के ड्राइवर तथा बॉडीगार्ड निजामुद्दीन को आज खोजकर उन्‍हें सम्‍मान दिया गया। पीएम मोदी ने उनके चरण स्‍पर्श किए।

सोशल मीडिया पर यूजर्स इसे अभी का समझकर वायरल कर रहे हैं। विश्वास न्यूज ने इस पोस्‍ट की जांच की। यह भ्रामक साबित हुई। यह तस्‍वीर जब क्लिक की गई थी, उस वक्‍त नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं थे। वहीं, कर्नल निज़ामुद्दीन का 2017 में ही निधन हो चुका है। ऐसे में यह कहना गलत होगा कि अभी खोजकर उन्‍हें सम्‍मान दिया गया। 2014 की फोटो को अब वायरल करके भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है।

क्‍या हो रहा है वायरल

विनीत द्विवेदी नाम के एक फेसबुक यूजर ने 31 जनवरी 2024 को एक तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए दावा किया, “श्री निजामुद्दीनजी के चरण स्पर्श करते प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी। निजामुद्दीनजी नेताजी सुभाषचंद्र बोस के ड्राइवर तथा बॉडी गार्ड थे। इतिहास के पन्नों में खोया यह शख्स बेहद गरीबी में जी रहा था। आज उनकी खोज करके उन्हें पर्याप्त सम्मान दिया। उनकी बुढ़ापे की सारी जरूरतों की पूर्ति की गई। इस मौके पर निजामुद्दीन जी के शब्द बहुत ही हृदयस्पर्शी थे। उन्होंने कहा कि खोज करके यह इज्ज़त देना, एक देशभक्त इन्सान ही यह कर सकता है।”

पोस्‍ट को समान और मिलते-जुलते दावों के साथ दूसरे यूजर्स भी शेयर कर रहे हैं। पोस्‍ट के दावे को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इसका आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई का पता लगाने के लिए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज टूल का इस्‍तेमाल किया। सर्च के दौरान 6 फरवरी 2017 को वनइंडिया की वेबसाइट पर एक खबर में वायरल तस्‍वीर मिली। इसमे बताया गया कि बीते लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहनिया विधानसभा के जगतपुर इंटर कॉलेज में अपने विजय श्री के लिए कर्नल निजामुद्दीन का आशीर्वाद लिया था।

इसी तरह फर्स्‍ट पोस्‍ट डॉट कॉम पर 9 मई 2014 को पब्लिश एक खबर में भी इस तस्‍वीर का इस्‍तेमाल किया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया कि ‘कर्नल’ के नाम से मशहूर निज़ामुद्दीन, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सुभाषचंद्र बोस की सेना का हिस्सा थे। जब वह वाराणसी की रैली में मंच पर आए, तो नरेंद्र मोदी ने उनके चरण स्पर्श किए और उनका सम्मान किया। पूरी खबर यहां पढ़ें।

सर्च के दौरान हमें आजतक के यूट्यूब चैनल पर तस्‍वीर से जुड़ा एक वीडियो मिला। इसे 9 मई 2014 को अपलोड करते हुए बताया गया कि वाराणसी के रोहनिया में भाजपा की रैली में प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी ने मंच पर स्वतंत्रता सेनानी निजामुद्दीन के पैर छुए। वीडियो में जानकारी देते हुए बताया गया कि निजामुद्दीन सुभाषचंद्र बोस के अंगरक्षक और ड्राइवर थे। वर्ष 2001 में उन्‍होंने अपनी पहचान जाहिर की थी।

7 फरवरी 2017 को डेक्कन क्रॉनिकल ने अपनी एक खबर में बताया कि निजामुद्दीन का आजमगढ़ में निधन हो गया। वे 117 साल के थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया। पूरी खबर यहां पढ़ी जा सकती है।

विश्‍वास न्‍यूज ने पिछली पड़ताल के दौरान दैनिक जागरण, वाराणसी के संपादकीय प्रभारी भारतीय बसंत कुमार से संपर्क किया था। उन्‍होंने जानकारी देते हुए बताया था कि वायरल तस्‍वीर काफी पुरानी है।

पिछली पड़ताल को विस्‍तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

फेसबुक यूजर विनीत द्विवेदी की सोशल स्‍कैनिंग में पता चला कि उनके अकाउंट को करीब छह हजार लोग फॉलो करते हैं।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में कर्नल निजामुद्दीन से जुड़ी वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई। उनकी 2014 की एक तस्‍वीर को अब वायरल करके अभी की बताया जा रहा है, जबकि 2017 में ही उनका निधन हो चुका है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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