Fact Check : छह साल पहले रोहिंग्या कैंप में लगी थी आग, उसी दौरान की तस्वीर झूठे सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह फर्जी साबित हुआ।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें एक शख्‍स को चारपाई पर कई बच्‍चों के साथ बैठे हुए देखा जा सकता है। इस शख्‍स के हाथ में एक मोबाइल फोन भी है। इस तस्‍वीर को वायरल करते हुए दावा किया जा रहा है कि इस रोहिंग्‍या शख्‍स की तीन पत्‍नियां हैं। आठ बच्‍चे हैं। इसके अलावा इसके पास 29 हजार का फोन भी है।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह फर्जी साबित हुआ। इस तस्‍वीर को पत्रकार देबायन रॉय ने क्लिक की थी। 15 अप्रैल 2018 की यह फोटो दिल्‍ली के मदनपुर खादर स्थित रोहिंग्‍या शरणार्थियों के कैंप में आग लगने के बाद की है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक पेज ‘सच बोलूंगा’ ने 21 अगस्‍त को एक तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए दावा किया, “दिल्ली में रोड के किनारे रहने वाला एक लाचार असहाय बेसहारा गरीब रोहिंग्या (बांगलादेशी) जिसके पास खाने और पहनने तक को कुछ नहीं है….बस तीन बीबियां जिसमें दो गर्भवती हैं 8 बच्चे हैं और एक सस्ता सा घटिया वाला सैमसंग 7 C7 pro मोबाइल है जिसकी कीमत मात्र 29000 रुपये है…हमे इनका जीवनस्तर सुधारना है इसलिए कृपया समय पर अपना टैक्स दीजिये…..इनके भविष्य के लिए मकान बनाओ…घर बनाओ…सोना खरीदो…सरकार तो विकास कर ही रही है आप भी योगदान दिजिए…।”

वायरल पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर कई यूजर्स शेयर कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज एक बार पहले भी वायरल तस्‍वीर के साथ किए जा रहे दावे की जांच कर चुका है। हमने सच्‍चाई का पता लगाने के लिए सबसे पहले गूगल लेंस टूल का इस्‍तेमाल किया । इसके जरिए सर्च करने पर हमें न्‍यूज 18 डॉट कॉम पर एक खबर मिली।

15 अप्रैल 2018 की इस खबर में वायरल तस्‍वीर का इस्‍तेमाल किया गया था। इस तस्‍वीर को देबायन रॉय ने क्लिक की थी। खबर में बताया गया कि दिल्‍ली के मदनपुर खादर में रोहिंग्‍या शरणार्थी कैंप में अचानक से आग लगने से कई लोग जल गए थे। उसमें आदमियों से लेकर औरतें और बच्‍चे तक शामिल थे।

जांच को आगे बढ़ाते हुए देबायन रॉय के एक्‍स हैंडल को स्‍कैन किया। 25 जून 2019 को देबायन ने वायरल तस्‍वीर की कहानी को फर्जी बताते हुए कहा कि तस्‍वीर के साथ किया जा रहा दावा पूरी तरह बेबुनियाद है।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए देबायन रॉय से संपर्क किया। उन्‍होंने जानकारी देते हुए बताया, “वायरल पोस्‍ट जैसा दावा किया जा रहा है, वैसा कुछ भी नहीं था। तस्‍वीर में जो बच्‍चे दिख रहे हैं, वह उस शख्‍स के थे ही नहीं, जो बिना कमीज के बैठा हुआ है। तीन पत्‍नी का दावा भी बकवास है। जहां तक मोबाइल की बात है तो वह मोबाइल भी उस शख्‍स का नहीं था। आग लगने के बाद कुछ वॉलन्टियर्स वहां काम कर रहे थे। यह मोबाइल उन्‍हीं में से किसी एक का था। बिना कमीज वाले शख्‍स को यह मोबाइल सिर्फ पकड़ने के लिए दिया गया था।”

पड़ताल के अंत में फर्जी और सांप्रदायिक दावा करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक पेज ‘सच बोलूंगा’ बिहार के पटना से संचालित होता है।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। दिल्‍ली के रोहिंग्‍या कैंप में आग लगने की घटना के बाद की पुरानी तस्‍वीर को झूठे और सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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