पूरा सच : PM मोदी के नाम पर किया जा रहा है ‘सवर्ण वोट’ का दुष्‍प्रचार

नई दिल्‍ली (विश्‍वास टीम)। ”मुझे स्‍वर्णों का वोट चाहिए OBC दलितों पिछड़ों का वोट नहीं चाहिए।” कुछ ऐसी लाइनों के साथ ‘आज तक’ न्‍यूज चैनल का एक कथित ग्राफिक वायरल हो रहा है। विश्‍वास टीम की पड़ताल में पता चला कि ‘आज तक’ के नाम पर जो परोसा जा रहा है, वह फर्जी है। इस फेक पोस्‍ट में प्रधानमंत्री की तस्‍वीर का इस्‍तेमाल करते हुए सवर्ण वोट पर भ्रामक बातें प्रचारित की जा रही है। मोदी ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था। प्रधानमंत्री ने 9 जनवरी को सोलापुर में एक रैली को संबोधित किया था। वहां उन्‍होंने कई इश्‍यू पर बात की थी।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में?

वायरल ग्राफिक को ‘बहुजन जागरूकता मिशन’ नाम के अकाउंट से Helo ऐप पर 13 जनवरी को पोस्ट किया गया है। आपत्तिजनक भाषा का यूज करते हुए इसमें दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उन्‍हें सवर्णों का वोट चाहिए। दलित-ओबीसी का वोट नहीं चाहिए। इस पोस्ट को करीब 70 हजार लोग देख चुके हैं। इसके अलावा इसको 207 लोगों ने वॉट्सऐप भी किया है। 290 लोगों ने इसको लाइक किया है, जबकि 119 लोग इस पर अब तक कमेंट कर चुके हैं। इसके साथ ही इसको 11 बार रिपोस्ट भी किया गया है।

इसी तरह ये पोस्ट Twitter पर भी वायरल हो रही है। अनिल शर्मा (@AnilSha42143986) इसी ग्राफिक को अपलोड करते हुए लिखा – माननीय नरेन्द्र मोदी जी को अब ईवीएम का भरोसा करते हुए सवर्णों के अलावा किसी का भी वोट नहीं चाहिए।

सोशल मीडिया पर फेक वायरल पोस्‍ट

पड़ताल

विश्‍वास टीम ने वायरल ग्राफिक और ‘आज तक’ की वेबसाइट के वीडियो को ध्‍यान से देखा। वायरल पोस्‍ट में BREAKING NEWS के बाद हिंदी में लिखने के लिए जिस फ्रॉन्‍ट का यूज किया गया है, वह फ्रॉन्‍ट आज तक यूज नहीं करता है। हर बड़ा मीडिया संस्‍थान अपने खास फ्रॉन्‍ट का ही यूज करता है। InVid के Magnifier टूल में हमने जब वायरल पोस्‍ट को सबमिट करके लेंस से देखा तो हमें पता चला कि चैनल के ग्राफिक प्‍लेट के ऊपर के बाएं हिस्‍से को ब्‍लर करके उसके ऊपर अलग से टेस्‍ट लिखा गया है।

‘आज तक’ की ग्राफिक प्‍लेट का मिसयूज करके फैलाया जा रहा है झूठ।

इसके अलावा वायरल ग्राफ‍िक में हिंदी की कई गलतियां हैं। जैसे – सवर्णों की जगह स्‍वर्णो लिखा है। चाहिए के बाद कॉमा आना चाहिए। ओबीसी और दलित के बीच डैस का यूज होता है। इतनी गलतियां संभव नहीं है।

लेकिन विश्‍वास टीम यहां नहीं रुकी। सबसे पहले हमें ये जानना था कि वायरल ग्राफिक में नरेंद्र मोदी की जिस तस्‍वीर का यूज हुआ है, ये कब की है? इससे हमें इवेंट की जानकारी मिल सकती है। तस्‍वीर देखने से एक बात तो साफ थी फोटो महाराष्‍ट्र की किसी रैली की है, क्‍योंकि फोटो में प्रधानमंत्री ने जो टोपी पहनी हुई है, वह महाराष्‍ट्र में ही पहनी जाती है। इसके बाद हमने गूगल सर्च का इस्‍तेमाल किया। गूगल में modi on maharashtra reservation rally टाइप करके सर्च करने पर हमें कई तस्‍वीर दिखी। एक अंग्रेजी वेबसाइट से हमें ये जानकारी मिली कि महाराष्‍ट्र के सोलापुर में 9 जनवरी को प्रधानमंत्री की रैली हुई थी। वहीं, पर नरेंद्र मोदी ने ये टोपी पहनी थी। इसके साथ पीएम मोदी के कपड़े भी इस रैली से मैच कर रहे हैं।

अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार, 9 जनवरी को पीएम सोलापुर में थे।

इसके बाद विश्‍वास टीम ने आज तक की वेबसाइट पर जाकर सोलापुर रैली का वीडियो खोजना शुरू किया। वीडियो सेक्‍शन में हमें सोलापुर रैली के तीन वीडियो मिले। तीनों वीडियो देखने के बाद ये तय हो गया है कि मोदी ने सोलापुर में आरक्षण को लेकर भाषण दिया था। लेकिन तीनों वीडियो में हमें वह हिस्‍सा सुनने को नहीं मिला, जो वायरल पोस्‍ट में लिखा है।

‘आज तक’ की वेबसाइट पर मौजूद वीडियो के प्रिंट शॉट

इसके बाद हमने सोलापुर रैली का पूरा वीडियो खोजना शुरू किया। आखिरकार राज्‍यसभा के Youtube चैनल पर हमें 48:08 मिनट का पूरा वीडियो मिल गया। इस पूरे वीडियो में ऐसी कोई बात नहीं कही गई, जो वायरल पोस्‍ट में है।

राज्‍यसभा चैनल के Youtube पेज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोलापुर रैली का पूरा भाषण मौजूद है।

वीडियो देखने के बाद हमने सोलापुर के प्रमुख अखबार को स्‍कैन करना शुरू किया। महाराष्‍ट्र के प्रमुख अखबार दिव्‍य मराठी और लोकमत को स्‍कैन किया। कहीं भी हमें ऐसी खबर नहीं पढ़ने को मिली, जैसा कि फैलाया जा रहा है।

दिव्‍य मराठी के सोलापुर संस्‍करण की कटिंग।

‘बहुजन जागरूकता मिशन’ नाम के अकाउंट का विश्लेषण करने पर हमें पता चला कि इसके अधिकतर पोस्ट बीजेपी के खिलाफ है। इस अकाउंट की 11 फैन फॉलोइंग है, जबकि इसके करीब 13 हजार फॉलोअर्स हैं।

फेक पोस्‍ट फैलाने वाले बहुजन जागरूकता मिशन का Helo अकाउंट

निष्‍कर्ष : विश्‍वास टीम की पड़ताल में पता चला कि नरेंद्र मोदी के भाषण के नाम पर वायरल पोस्‍ट फेक है। ‘आज तक’ की ग्राफिक प्‍लेट से छेड़छाड़ करते जानबूझकर पीएम मोदी के नाम पर फेक कोट्स वायरल किया जा रहा है। ओर‍िजनल वीडियो और स्‍थानीय अखबारों में कहीं भी हमें ऐसी खबर नहीं मिली, जैसा दावा फेक पोस्‍ट में किया जा रहा है।

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Symbols that define nature of fake news
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