Fact Check : सवर्ण आरक्षण के खिलाफ BJP के 22 MLA ने नहीं दिया इस्‍तीफा

नई दिल्‍ली (विश्‍वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक फर्जी खबर वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है – ”सवर्ण आरक्षण के खिलाफ 22 भाजपा विधायकों ने दिया पार्टी से इस्तीफा…।” विश्‍वास टीम की पड़ताल में पता चला कि खबर झूठी है। दरअसल असम में नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर असम गण परिषद (एजीपी) भाजपा से अलग हुई है। वायरल खबर में तीन झूठ है। पहला, सवर्ण आरक्षण के खिलाफ कोई इस्‍तीफा नहीं हुआ। दूसरा, भाजपा विधायक ने नहीं दिया इस्‍तीफा। तीसरा झूठ विधायकों की संख्‍या है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में?

अंध-भक्त मुक्त भारत #ABMB के फेसबुक पेज पर 7 फरवरी को शाम 6:34 एक खबर को पोस्‍ट करते हुआ लिखा गया है कि 22 भाजपा विधायकों ने दिया पार्टी से इस्तीफा। पोस्‍ट के साथ नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तस्‍वीर को यूज किया गया है। इस पोस्‍ट को अब तक 167 लोगों ने शेयर किया है।

फेसबुक के अलावा यह खबर Twitter पर भी वायरल हो रही है।

Twitter पर भी वायरल है फेक खबर

पड़ताल

सबसे पहले हमें यह जानना था कि 24viralpage.com ने यह खबर कब पब्लिश की थी। इसके लिए हमने खबर को ओपन करने के बाद डेटा चेक किया। इससे हमारे सामने meta property का एक पेज खुल गया। इससे हमें पता चला कि आज जो खबर वायरल हो रही है, दरअसल वह एक महीने पहले यानी 9 जनवरी 2019 को प्रकाशित हुई थी।

यहां आप देख सकते हैं कि 24viralpage ने सबसे पहने 9 जनवरी को खबर प्रकाशित की थी।

इसके बाद हमें यह जानना था कि खबर में सच्‍चाई कितनी है? इसके लिए हमने वायरल हो रही है खबर को पूरा पढ़ा। खबर में हेडिंग के अलावा कहीं भी ‘सवर्ण आरक्षण’ और ‘भाजपा विधायक के इस्‍तीफे’ का जिक्र नहीं मिला। यानी प्रकाशित खबर की हेडिंग पूरी तरह गलत है।

हम यह जानना चाह रहे थे कि एक महीने पहले असम में हुआ क्‍या था? इसके लिए हमने गूगल पर पूरी घटना को सर्च किया। गूगल सर्च पर हमें कई खबरें मिलीं।

गूगल में मौजूद खबरें

The Quint ने असम गण परिषद से जुड़ी एक खबर 7 जनवरी को प्रकाशित की थी। खबर के अनुसार, ”मोदी सरकार द्वारा नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को आगे बढ़ाने पर असम गण परिषद (एजीपी) ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अपना गठबंधन तोड़ लिया। असम गण परिषद (एजीपी) के अध्यक्ष अतुल बोरा ने यह जानकारी उनकी अगुवाई में एजीपी के प्रतिनिधियों की केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद दी।”

क्विंट की खबर से साफ था कि खबर एक महीने पुरानी है। पूरा वाकया 7 जनवरी (सोमवार) को हुआ था। इसके दो दिन बार 9 जनवरी (बुधवार) को 24viralpage.com ने अलग हेडिंग से खबर को प्रकाशित किया था। 7 जनवरी को ही मीडिया में पहली बार खबर आई थी कि मोदी सरकार सवर्णों को आरक्षण देने जा रही है।

पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि 126 सदस्यों वाली असम विधानसभा में भाजपा के कुल 61 मेंबर हैं। उसे एक निर्दलीय विधायक का भी सपोर्ट प्राप्‍त है। इसके अलावा सहयोगी बोडोलैंड पीपुल्‍स फ्रंट (बीपीएफ) के 13 मेंबर हैं। वहीं, एजीपी के 14, कांग्रेस के 24 और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के 13 मेंबर विधानसभा में हैं।

अंत में हमें यह भी जानना था कि एक महीना पुरानी खबर अचानक फिर से क्‍यों वायरल होने लगी? इसका जवाब हमें 24ViralPage के फेसबुक अकाउंट पर मिला। इस पेज से पहली बार वायरल पोस्‍ट 9 जनवरी को अपलोड हुई थी। लेकिन कल (7 फरवरी) एक बार फिर से शाम को 6:47 बजे पुरानी खबर को पोस्‍ट किया गया है।

24 Viral Page के फेसबुक पेज पर मौजूद फर्जी खबर

हमने खबर प्रकाशित करने वाली वेबसाइट 24viralpage.com का सोशल स्‍कैन किया। whois.com की मदद से पता चला कि यह साइट 2017 में रजिस्‍टर्ड कराई गई थी। यह साइट हिमाचल प्रदेश के पते पर रजिस्‍टर्ड है।

हिमाचल प्रदेश में रजिस्‍टर्ड है 24 Viral Page की वेबसाइट

निष्‍कर्ष : विश्‍वास टीम की जांच में पता चला कि ”सवर्ण आरक्षण के खिलाफ 22 भाजपा विधायकों ने दिया पार्टी से इस्‍तीफा” वाली खबर झूठी है। असम में किसी भी भाजपा विधायक ने इस्‍तीफा नहीं दिया है। असम गण परिषद ने जरूर भाजपा के गठबंधन से खुद को दूर कर लिया है। मुद्दा सवर्ण आरक्षण नहीं, बल्कि नागरिकता संशोधन था।

पूरा सच जानें… सब को बताएं

सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
Related Posts
नवीनतम पोस्ट