अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी से संबंधित पिछले दो हफ्ते की प्रमुख छह फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। इन रिपोर्ट्स में हमने उन दावों को संकलित किया है, जिन्हें सोशल मीडिया पर काफी बड़ी संख्या में शेयर किया गया।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो और तस्वीरों को साझा किया गया, जिसका तालिबान की वापसी से कोई संबंध नहीं था। पिछले दो हफ्तों के दौरान विश्वास न्यूज ने ऐसी कई तस्वीरों और वीडियो की फैक्ट चेक उसकी सच्चाई का पता लगाया। अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी से संबंधित पिछले दो हफ्ते की प्रमुख छह फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। इन रिपोर्ट्स में हमने उन दावों को संकलित किया है, जिन्हें सोशल मीडिया पर काफी बड़ी संख्या में शेयर किया गया।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में दावा किया गया कि तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की महिला पायलट साफिया फिरोजी की पत्थर मारकर हत्या कर दी गई है। हमारी जांच में यह दावा अन्य वायरल दावों की तरह गलत निकला। वायरल वीडियो अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुई मॉब लिचिंग की पुरानी घटना से संबंधित था, जब उन्मादी भीड़ ने 19 मार्च 2015 को ईशनिंदा के अफवाह में 27 वर्षीय मुस्लिम महिला फरखुंदा मलिकजादा की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी थी
अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद सोशल मीडिया पर सर्वाधिक वायरल हो रही तस्वीरों में से एक तस्वीर यह थी, जिसमें एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति के पीछे बुर्का पहने तीन महिलाएं नजर आ रही थीं। तीनों महिलाओं के पैर में जंजीर बंधी हुई थी, जिसका एक सिरा आगे चल रहे अधेड़ उम्र के व्यक्ति के हाथों में नजर आ रहा था। हमारी जांच में यह दावा भी गलत निकला। वायरल हो रही तस्वीर अल्टर्ड या एडिटेड थी। मूल तस्वीर सड़क पर चलते हुए सामान्य लोगों की थी, जिसमें एडिटिंग की मदद से जंजीर को जोड़ कर यह दिखाने की कोशिश की गई थी कि तालिबान की वापसी के बाद महिलाओं को जंजीरों में बांध कर उनके साथ जानवरों की तरह बर्ताव किया जा रहा है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत समेत कई देशों ने अपने नागरिकों को वहां से निकालने के अभियान का संचालन किया। इसी संदर्भ में सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर को लेकर दावा किया गया कि यह काबुल से भारतीय वायु सेना के C17 विमान से सुरक्षित भारत लाए गए लोगों की तस्वीर है। बताया गया कि इस अभियान के तहत 800 लोगों को एक बार में वहां से सुरक्षित निकाल कर भारत लाया गया।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। भारत ने अफगानिस्तान के दूतावास में तैनात अपने अधिकारियों और सुरक्षा बलों को वहां से सुरक्षित निकालने के अभियान का संचालन किया, लेकिन वायरल हो रही तस्वीर भारत के किसी बचाव अभियान से संबंधित नहीं थी।
सोशल मीडिया पर एक और तस्वीर वायरल हुई, जिसे लेकर दावा किया गया कि पाकिस्तान में तालिबानियों ने एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया है। हमारी जांच में यह दावा भी गलत निकला। वायरल हो रही तस्वीर पाकिस्तान की नहीं, बल्कि इराक के मोसुल में मौजूद ऐतिहासक विरासत की अहमियत वाली पुरानी मस्जिद की तस्वीर है, जिसे 2014 में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ध्वस्त कर दिया था।
काबुल पर कब्जे के तत्काल बाद कई देशों ने अपने-अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने का अभियान चलाया और यह बचाव अभियान काबुल एयरपोर्ट से संचालित हुआ। बचाव अभियान के पूरा होने तक काबुल एयरपोर्ट तालिबान के कब्जे में नहीं आया था। इसी संदर्भ में वायरल हो रही एक तस्वीर को लेकर दावा किया गया कि यह अफगानिस्तान एयरपोर्ट के बाहर हो रही सुरक्षा जांच की है। तस्वीर में एक बंदूकधारी व्यक्ति को दूसरे बंदूकधारी व्यक्ति की सुरक्षा जांच करते हुए देखा जा सकता है।
हमारी जांच में यह दावा गलत निकला। वायरल हो रही तस्वीर अफगानिस्तान से संबंधित नहीं थी। यह यमन की पुरानी तस्वीर थी, जिसे गलत दावे के साथ अफगानिस्तान में एयरपोर्ट के बाहर सुरक्षा जांच के नाम पर वायरल किया गया।
ऐसी ही एक अन्य तस्वीर सोशल मीडिया पर अनगिनत यूजर्स की तरफ से साझा किया गयाहै, जिसमें एक बड़े समूह को साथ में नमाज पढ़ते हुए देखा जा सकता है। दावा किया गया कि काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबानियों ने एक साथ नमाज अदा की और यह तस्वीर उसी की है। विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भी उपरोक्त अन्य दावे की तरह गलत निकला। वायरल हो रही तस्वीर वर्ष 2012 की थी, जब जलालाबाद जिले में ईद-उल-अजहा के मौके पर अफगानी नागरिकों ने एक मस्जिद में नमाज अदा की थी।
अफगानिस्तान संकट से संबंधित अन्य फैक्ट चेक रिपोर्ट को पढ़ने के लिए कृपया विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर विजिट करें।
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