Quick Fact Check : भाजपा नेताओं पर हुए हमले का यह वीडियो तीन साल पुराना है

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट झूठी साबित हुई। 2017 की एक घटना के वीडियो को अब का बताकर वायरल किया जा रहा है। इसलिए पोस्‍ट फर्जी साबित होती है।

Quick Fact Check : भाजपा नेताओं पर हुए हमले का यह वीडियो तीन साल पुराना है

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की दस्‍तक के साथ ही दुष्‍प्रचार का दौर भी शुरू हो गया है। सोशल मीडिया में एक पुराने वीडियो को वायरल करते हुए यह मैसेज फैलाया जा रह है कि भाजपा नेताओं पर जनता का गुस्‍सा फूट रहा है।

विश्‍वास न्‍यूज ने पहले भी इस वीडियो की जांच की थी। पड़ताल में वीडियो के साथ किया गया दावा फर्जी निकला। 4 अक्‍टूबर 2017 के एक वीडियो को कुछ लोग अब वायरल कर रहे हैं। दरअसल उस वक्‍त पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्‍यक्ष दिलीप घोष कुछ नेताओं के साथ दार्जिलिंग गए थे। यह हमला वहीं हुआ था।

क्‍या हो रहा है वायरल

ट्विटर पर रोशनी कौशल जायसवाल ने 15 दिसंबर को एक वीडियो को अपलोड करते हुए लिखा : ‘BJP के नेताओं पर जनता का आक्रोश अब तो जाग जाओ अंधभक्तों वरना समय तुम्हें ज़रूर जगा देगा। भाजपा के अच्छे दिन अब शुरू हुए हैं।’

पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल के दौरान जागरण डॉट कॉम की एक पुरानी खबर हाथ लगी। 6 अक्‍टूबर 2017 को पब्लिश खबर में बताया गया कि दार्जिलिंग गए दिलीप घोष और अन्‍य भाजपा नेताओं के एक साथ मीटिंग में कुछ लोग बदसलूकी करने लगे। नेताओं और कार्यकर्ताओं को सड़क पर लात-घूंसों और लाठियों से पीटा गया। पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।

सर्च के दौरान यह वीडियो हमें Youtube पर भी मिला। इसे NMF News के चैनल पर 6 अक्‍टूबर 2017 को अपलोड किया गया था। पूरा वीडियो आप नीचे देख सकते हैं।

पड़ताल के अगले चरण में विश्‍वास न्‍यूज ने पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष से भी संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि वायरल वीडियो पुराना है। 2017 में दार्जिंलिंग में एक सभा के दौरान कुछ लोगों ने हमला किया था।

पड़ताल को विस्‍तार से आप यहां पढ़ सकते हैं।

अंत में हमने फर्जी पोस्‍ट करने वाली ट्विटर यूजर की जांच की। हमें पता चला कि यूजर एक राजनीतिक दल से जुड़ी हुई हैं। वाराणसी की रहने वालीं रोशनी ने मार्च 2019 में ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाया था। इन्‍हें 19 हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट झूठी साबित हुई। 2017 की एक घटना के वीडियो को अब का बताकर वायरल किया जा रहा है। इसलिए पोस्‍ट फर्जी साबित होती है।

False
Symbols that define nature of fake news
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