वायरल पोस्ट में नजर आ रही तस्वीर असली नहीं, बल्कि दो अलग-अलग तस्वीरों को एडिटिंग टूल्स की मदद से जोड़ कर बनाई गई तस्वीर है।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर फिर से वायरल हो रही है, जिसमें आरएसएस की ड्रेस पहने कुछ कार्यकर्ता कतार में खड़े हैं और उनके सामने से कोई विदेशी महिला गुजर रही है। दावा किया जा रहा है कि तस्वीर में आरएसएस के कार्यकर्ता अंग्रेज रानी को सलाम ठोक रहे थे।
विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा गलत है। असल में यह तस्वीर मॉर्फ्ड है और दो अलग-अलग तस्वीरों को जोड़कर तैयार की गई है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
फेसबुक यूजर Firoz Khan ने यह पोस्ट विश्व हिन्दू रक्षा संगठन से जुड़ने के बाद 100 लोगों को इस ग्रुप से जोड़ें नामक ग्रुप में शेयर की जिस पर लिखा हुआ है: रानी को सलामी देते (RSS) चड्डी धारक,,,अंग्रेजों के गुलाम
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने पड़ताल की शुरुआत करते हुए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से वायरल तस्वीर को सर्च किया। हमें साल 2016 में छपी एक मीडिया रिपोर्ट में आरएसएस कार्यकर्ताओं की रंगीन तस्वीर मिली। इसी तस्वीर को ब्लैक एंड व्हाइट कर इस पर एडिटिंग टूल्स की मदद से ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की तस्वीर लगाई गई है।
हमें गेट्टी इमेजेज में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की तस्वीर भी मिल गई। यह तस्वीर फरवरी 1956 की है, जब काडुना एयरपोर्ट पर रॉयल वेस्ट अफ्रीकन फ्रंटियर फोर्स की क्वीन्स ऑन नाइजीरिया रेजीमेंट की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया था।
विश्वास न्यूज पहले भी इस तस्वीर का फैक्ट चेक कर चुका है। पूरा फैक्ट चेक यहां पढ़ा जा सकता है।
फेसबुक पर यह पोस्ट विश्व हिन्दू रक्षा संगठन से जुड़ने के बाद 100 लोगों को इस ग्रुप से जोड़ें नामक पेज पर शेयर की गई थी। इस पेज की प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि खबर लिखे जाने तक इस पेज के 3700 से ज्यादा सदस्य थे।
निष्कर्ष: वायरल पोस्ट में नजर आ रही तस्वीर असली नहीं, बल्कि दो अलग-अलग तस्वीरों को एडिटिंग टूल्स की मदद से जोड़ कर बनाई गई तस्वीर है।
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