Quick Fact Check : मदरसे का यह ब्‍लैकबोर्ड एडिटेड है, फर्जी है वायरल पोस्‍ट

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में ब्‍लैकबोर्ड वाली वायरल तस्‍वीर फर्जी साबित हुई। गोरखपुर के एक मदरसा की तस्‍वीर के साथ छेड़छाड़ करके इसे एक बार फिर से सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। एक बार फिर से सोशल मीडिया के विभिन्न प्‍लेटफॉर्म पर एक ब्‍लैकबोर्ड की तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें एक मुस्लिम शिक्षक को छात्राओं को ब्‍लैकबोर्ड पर पढ़ाते हुए देखा जा सकता है। इसमें कथितरूप से ब्‍लैकबोर्ड पर धर्म से जुड़ी बातों को आपत्तिजनक ढंग से लिखा हुआ दिखाया गया है। विश्‍वास न्‍यूज ने एक बार पहले भी इस तस्‍वीर की जांच की थी। हमें पता चला कि वायरल तस्‍वीर एडिटेड है। ब्लैकबोर्ड पर लिखी असली बातों को हटाकर एडिट करके वायरल किया जा रहा है। ओरिजनल तस्‍वीर में शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर संस्कृत पढ़ा रहे थे। तस्‍वीर गोरखपुर के एक मदरसे की है। इसे 2018 में क्लिक किया गया था। हमारी जांच में वायरल हो रही पोस्‍ट फेक साबित हुई।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर किरण रे ने 6 सितंबर 2021 को एक तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए लिखा : “ये सिखाया जाता है मदरसों में, क्या इन्ही साडियंत्र को बढ़ावा देने के लिये हमारे टेक्स करोडो दिए जाते इन साडियंत्रकरि जेहादियों को।”

फेसबुक पोस्‍ट का कंटेंट यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इस वीडियो को दूसरे यूजर्स भी लगातार वायरल कर रहे हैं। फेसबुक के अलावा यह वीडियो ट्विटर, यूट्यूब और वॉट्सऐप पर भी वायरल है। पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई जानने के लिए ऑनलाइन टूल्‍स के अलावा
गोरखपुर के दारुल उलूम हुसैनिया मदरसा से भी संपर्क किया था। गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से हमें ओरिजनल तस्‍वीर कई जगह मिलीं। एनडीटीवी की वेबसाइट पर 11 अप्रैल 2018 को पब्लिश एक खबर में इसका इस्तेमाल करते हुए बताया गया था कि यूपी शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत चलाए जा रहे एक मदरसे में संस्कृत पढ़ाने के लिए एक मुस्लिम शिक्षक को नियुक्त किया गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें।

हमें ANI का 10 अप्रैल, 2018 का एक ट्वीट भी मिला। इसमें मौजूद तस्‍वीर में साफ देखा जा सकता है कि मुस्लिम शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर संस्कृत पढ़ा रहे हैं।

पड़ताल के दौरान विश्‍वास न्‍यूज ने दारुल उलूम हुसैनिया गोरखपुर मदरसे के प्रिंसिपल नजरुल आलम से भी बात की थी। उनके अनुसार, “वायरल तस्वीर 2018 की है। इसमें ब्लैकबोर्ड के साथ छेड़छाड़ की गई है। जो शिक्षक छात्राओं को पढ़ाते हुए दिख रहे हैं उनका नाम अनीसुल हसन है और वह उस वक्त संस्कृत पढ़ा रहे थे। वायरल तस्वीर फर्जी है।

पिछली पड़ताल को विस्‍तार से यहां पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में ब्‍लैकबोर्ड वाली वायरल तस्‍वीर फर्जी साबित हुई। गोरखपुर के एक मदरसा की तस्‍वीर के साथ छेड़छाड़ करके इसे एक बार फिर से सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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