नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। शहीद भगत सिंह की जयंती के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह शहीद भगत सिंह की तस्वीर है। तस्वीर में एक पुलिस अधिकारी (औपनिवेशिक कालीन वर्दी पहने हुए) को एक सिख नौजवान को सरेआम पीटते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि पुलिस के हाथों पिट रहा सिख जवान कोई और नहीं, बल्कि भगत सिंह हैं।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। वास्तव में यह तस्वीर जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मॉर्शल लॉ के दौरान औपनिवेशक कालीन पुलिसिया अत्याचार को बयां करती है।
फेसबुक यूजर ‘Rafique Ahmad’ ने तस्वीर को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”आजादी के लिए कोड़े खाते भगत सिंह जी की तस्वीर उस समय के अखबार में छपी थी ताकि और कोई भगत सिंह ना बने भारत में……..जिस समय भगत सिंह सहित सभी क्रांतिकारी आज़ादी के लिए लङ रहे थे वही संघी लोग अंग्रेजों के तलवे चाटकर क्रांतिकारीयो को मरवा रहे थे…….क्रांतिकारीयो ने जेल काटी, दर्द सहा यहाँ तक की फांसी चढ गए देश के लोगों के खातिर लेकिन संघीयो ने उस समय मांफी मांगी और अंग्रेजी हुकूमत को बने रहने के लिए सहमति प्रदान की।”
पड़ताल किए जाने तक इस तस्वीर को करीब 18 हजार से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं। सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर भी इस तस्वीर को कई अन्य लोगों ने भगत सिंह का मानते हुए समान दावे के साथ शेयर किया है।
यह तस्वीर शहीद भगत सिंह की जयंती (28 सितंबर) के दौरान सोशल मीडिया पर वायरल हुई है और यह पहली बार नहीं है जब यह तस्वीर गलत दावे के साथ साझा की गई हो।
इससे पहले जब यह तस्वीर समान दावे के साथ वायरल हुई थी, तब विश्वास न्यूज ने इसकी पड़ताल की थी। यह तस्वीर अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद 16 अप्रैल 1919 को अमृतसर में लागू हुए मार्शल लॉ से संबंधित निकली, जब अंग्रेज अधिकारी सड़कों पर लोगों को सरेआम सजा देते थे या उन्हें कोड़े मारते थे। यह तस्वीर उसी दौरान की है और इसमें नजर आ रहा सिख नौजवान भगत सिंह नहीं है।
‘Shaheed Bhagat Singh Centenary Foundation’ के चेयरमैन और शहीद भगत सिंह की बहन अमर कौर के बेटे प्रोफेसर जगमोहन सिंह ने बताया, ‘यह तस्वीर अप्रैल 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद 16 अप्रैल 1919 को अमृतसर में लागू हुए मार्शल लॉ के समय की है और इसमें नजर आ रहा सिख नौजवान भगत सिंह नहीं हैं।’ विश्वास न्यूज की रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर चमन लाल ने भगत सिंह को सरेआम कोड़े मारे जाने के दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर को लेकर किए गए दावे को बेतुका और गलत बताते हुए कहा, ‘उस वक्त भगत सिंह की उम्र करीब 10-12 साल की थी और वह स्कूल में पढ़ रहे थे, जबकि तस्वीर में नजर आ रहा इंसान नौजवान है।’
वायरल तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ने अपनी प्रोफाइल को खुद को पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता बताया है। उनकी प्रोफाइल को करीब दो लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मार्शल लॉ के दौरान पुलिसिया अत्याचार को बयां करती तस्वीर को भगत सिंह का बताकर वायरल किया जा रहा है। भगत सिंह जलियांवाला बाग हत्याकांड से प्रेरित हुए थे, लेकिन पुलिस के हाथों सरेआम सजा पा रहे युवक की वायरल हो रही तस्वीर में नजर आ रहे युवा भगत सिंह नहीं हैं।
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