Quick Fact Check : गोडसे नहीं, दीनदयाल उपाध्‍याय को नमन कर रहे थे पीएम मोदी, वायरल पोस्‍ट फर्जी है

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि वायरल पोस्‍ट झूठी है। पीएम मोदी जिन व्यक्ति की मूर्ति के सामने हाथ जोड़े खड़े हैं, वह गोडसे की नहीं, बल्कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए फेसबुक पर एक फर्जी पोस्‍ट वायरल हो रही है। यह पोस्‍ट हर साल घूम-फिरकर सोशल मीडिया में वायरल होने लगती है। पोस्‍ट में दो तस्‍वीरों का कोलाज है। एक तस्‍वीर में पीएम मोदी महात्‍मा गांधी के सामने तो दूसरी तस्‍वीर में दीनदयाल उपाध्‍याय के सामने हाथ जोड़कर खड़े हैं, लेकिन कुछ यूजर दीनदयाल उपाध्‍याय की तस्‍वीर को महात्‍मा गांधी के कातिल नाथूराम गोडसे के नाम से प्रचारित करते हैं।

विश्‍वास न्‍यूज इस पोस्‍ट की पहले भी पड़ताल की है। हमारी जांच में यह पोस्‍ट फर्जी निकली।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर असराफ अली ने एक जून को वायरल पोस्‍ट करते हुए दावा किया : ‘गोली खाकर मरने वाला गांधी को भी नमन कर रहा है और गोली मारने वाला गोडसे को भी नमन कर रहा है।’

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज पहले भी वायरल पोस्‍ट की जांच कर चुका है। इसके लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज टूल का इस्‍तेमाल किया था। इससे हमें पता चला कि जिस तस्‍वीर को गोडसे की बताया जा रहा है, दरअसल वह पंडित दीनदयान उपाध्‍याय की है। तस्‍वीर को 6 अप्रैल 2017 को क्लिक किया गया था। उस वक्‍त पीएम मोदी भाजपा की स्‍थापना दिवस के अवसर पर दिल्‍ली के पार्टी कार्यालय गए थे। उसी दौरान उन्‍होंने पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय को श्रद्धांजलि दी थी। उसी तस्‍वीर को कुछ लोग गोडसे की बताकर वायरल कर रहे हैं।

पड़ताल के दौरान हमने राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रांत के प्रचार प्रमुख राजीव तुली से संपर्क किया था। उन्‍होंने हमें बताया कि वायरल तस्‍वीर भाजपा मुख्‍यालय की है। तस्‍वीर में पीएम मोदी पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। गांधी के हत्‍यारे वाला दावा गलत है।

पड़ताल को विस्‍तार से यहां पढ़ें

अंत में हमने फेसबुक यूजर असरफ अली के अकाउंट की जांच की। इसी अकाउंट ने फर्जी पोस्‍ट की थी। हमें पता चला कि यूजर बिहार के सिवान का रहने वाला है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि वायरल पोस्‍ट झूठी है। पीएम मोदी जिन व्यक्ति की मूर्ति के सामने हाथ जोड़े खड़े हैं, वह गोडसे की नहीं, बल्कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की है।

False
Symbols that define nature of fake news
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