Quick Fact Check : यूपी की पुरानी तस्‍वीरों को फिर से किया गया वायरल, पोस्‍ट भ्रामक है

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई, क्‍योंकि एक साल पुरानी तस्‍वीरों को अब वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। यूपी में रोजगार और किसानों के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां सड़कों पर हैं। इसी के बीच सोशल मीडिया पर दो तस्‍वीरों को वायरल किया जा रहा है। वायरल पोस्‍ट से ऐसा लग रहा है कि तस्‍वीर हाल-फिलहाल की ही है।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमें पता चला कि पुरानी तस्‍वीरों को एक बार फिर से वायरल किया जा रहा है। ये तस्‍वीरें पहले भी वायरल हो चुकी हैं। हमारी जांच में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुईं, क्‍योंकि तस्‍वीरें पुरानी हैं, जिन्‍हें अब फिर से वायरल किया जा रहा है।

क्‍या हो रहा वायरल

फेसबुक यूजर Ilyas Khan ने ‘ओवैसी साहब के चाहने वालों का ग्रुप’ नाम के एक ग्रुप में 18 सितंबर को दो तस्‍वीरों का एक कोलाज अपलोड करते हुए लिखा : ‘कंगना के लिए छाती पीटने वाले देशभक्तों इन बहनों के लिए दो शब्द बताओ क्या यह योगी जी की पुलिस सही कर रही है।’

फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले दोनों तस्‍वीरों को अलग-अलग जांचने का तय किया। सबसे पहले हमने उस तस्‍वीर की सच्‍चाई पता लगाने की कोशिश की, जिसमें साड़ी पहनी हुई एक महिला के पीछे पुलिस के जवानों को देखा जा सकता है। हमने सबसे पहले वायरल तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया। हमें पहली तस्‍वीर कंचन श्रीवास्‍तव के ट्विटर हैंडल पर मिली। इसे 7 दिसंबर 2019 को अपलोड किया गया था। यह आप यहां देख सकते हैं।

यह तस्‍वीर हमें इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर भी मिली। इसे 9 दिसंबर 2019 के एक लेख में इस्‍तेमाल किया गया था। इसे यहां देखा जा सकता है।

इंडियन एक्‍सप्रेस की वेबसाइट के अलावा हमें यह तस्‍वीर यूथ कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर भी मिली। इसे 9 दिसंबर 2019 को अपलोड किया गया था। यूथ कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर इस तस्वीर को यहां देखा जा सकता है।

गूगल रिवर्स इमेज के दौरान हमें कई खबरों को लिंक्स भी मिलें। फ्री प्रेस जर्नल की वेबसाइट पर 7 दिसंबर 2019 को प्रकाशित खबर से हमें सच पता चला। खबर की लीड तस्‍वीर में हमें एक महिला जमीन पर गिरी नजर आई। यह वायरल पोस्‍ट की दूसरी तस्‍वीर थी, जिसे अब वायरल किया जा रहा है। फ्री प्रेस जर्नल की खबर में हमें दोनों तस्‍वीरें मिलीं। खबर में बताया कि तस्वीर लखनऊ की है। उन्नाव रेप कांड के विरोध में एनएसयूआई समेत दूसरे संगठनों ने लखनऊ में एक प्रदर्शन का आयोजन किया था। तस्‍वीर उसी दौरान की है। पूरी खबर यहां पढ़ें।

पड़ताल के अगले चरण में हमने कंचन श्रीवास्तव से संपर्क किया। फ्रीलांस पत्रकार के रूप में कार्यरत कंचन ने विश्वास न्यूज को बताया, ‘दोनों ही तस्वीरें लखनऊ में हुए एक विरोध प्रदर्शन की हैं। पिछले साल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उन्नाव में हुए रेप और हत्याकांड को लेकर योगी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था।’

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई, क्‍योंकि एक साल पुरानी तस्‍वीरों को अब वायरल किया जा रहा है।

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