हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ये भगवान राम की छवि वाला यह सिक्के कभी भी भारतीय मुद्रा का हिस्सा नहीं रहे थे। ये एक रामटनका या टोकन मंदिर का स्मृति चिह्न है। मंदिर का स्मृति चिह्न वाणिज्य के लिए उपयोग किए जाने वाले सिक्के नहीं थे, बल्कि हिंदू मंदिरों से संबंधित टोकन थे।
नई दिल्ली विश्वास न्यूज़। सोशल मीडिया पर आज कल फिर से एक पोस्ट वायरल है जिसमें 2 सिक्कों की तस्वीरें हैं जिनमें भगवान् राम के साथ, सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की तस्वीरें और कमल की तस्वीर अंकित हैं पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि 1818 में यह सिक्के भारतीय मुद्रा का हिस्सा थे और उस समय ब्रिटिश रूल होने के बावजूद भगवान राम की छवि वाले ये सिक्के चलते थे। हमने इस पोस्ट की पहले भी पड़ताल की थी। उस समय हमने अपनी पड़ताल में पाया था कि ये सिक्का कभी भी भारतीय मुद्रा का हिस्सा नहीं रहा। ये एक रामटनका या टोकन टेम्पल कॉइन है। मंदिर का स्मृति चिह्न वाणिज्य के लिए उपयोग किए जाने वाले सिक्के नहीं हैं, बल्कि हिंदू मंदिरों से संबंधित टोकन हैं।
क्या हो रहा है वायरल
Sanjay Chauhan नाम के एक फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा “यह एक संयोग ही कहा जाएगा कि सन् 1818 में जो 2 आना का सिक्का होता था उसमें एक तरफ रामदरबार अंकिता था और दूसरी तरफ कमल का फूल बना था। ऐसा प्रतीत होता है कि यह सन्देश था कि जब कमल का राज आएगा, तब अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जाएगा तथा भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनेगा।”
इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहाँ देखा जा सकता है।
पड़ताल
इस पोस्ट की पड़ताल में हमें https://smallestcoincollector.blogspot.com/ नाम का एक ब्लॉग मिला था जिसमें इनमें से एक तस्वीर थी। ब्लॉग फर्जी सिक्कों का संग्रह था जिसमें इस सिक्के को भी फर्जी बताया गया था। इसके बाद हमने सीधा RBI की वेबसाइट पर पुराने सिक्कों को ढूंढा, भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर भारत में सिक्के का पूरा इतिहास है। यहाँ कहीं भी वायरल हो रहे सिक्के नहीं दिखे।
हमने इस विषय में दिल्ली के नेशनल म्यूजियम के आर्केियोलॉजिस्ट और प्रवक्ता संजीव सिंह से भी बात की थी। उन्होंने कहा था, “इन सिक्कों की ऐतिहासिकता को प्रमाणित नहीं किया जा सकता। ये सिक्के कभी भी वाणिज्य के लिए उपयोग नहीं किये गए।” हमने इस विषय में अंकशास्त्री और बीएचयू के प्रोफेसर जय प्रकाश सिंह से भी बात की थी। उन्होंने कहा था, “यह दिखने में रामटनका या टोकन टेम्पल कॉइन लग रहा है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने कभी इस प्रकार के सिक्कों को नहीं बनाया। इसके अलावा अठारवीं सदी में 2 आना चांदी का होता था, तांबे का नहीं। कॉपर-निकल मिश्र धातु में 2 आना का सबसे पहला उदाहरण 1919 में सामने आया था।”
पूरी पड़ताल यहाँ पढ़ें।
निष्कर्ष: हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ये भगवान राम की छवि वाला यह सिक्के कभी भी भारतीय मुद्रा का हिस्सा नहीं रहे थे। ये एक रामटनका या टोकन मंदिर का स्मृति चिह्न है। मंदिर का स्मृति चिह्न वाणिज्य के लिए उपयोग किए जाने वाले सिक्के नहीं थे, बल्कि हिंदू मंदिरों से संबंधित टोकन थे।
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