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Fact Check : पीएम मोदी और अमित शाह ने कभी नहीं दिया वायरल क्लिप वाला बयान, फर्जी पेपर क्लिप वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। अयोध्‍या में नवनिर्मित राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति के प्राण प्रतिष्‍ठा में कुछ ही दिन शेष हैं। इसी बीच अखबार की दो खबरों का एक कोलाज वायरल किया जा रहा है। इसमें मौजूद एक खबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्‍वीर का इस्‍तेमाल किया गया है। वहीं , दूसरी खबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की फोटो का यूज किया गया है।

विश्‍वास न्‍यूज ने एक बार पहले भी विस्‍तार से इस पोस्‍ट की जांच की थी। दावा फर्जी साबित हुआ। न तो कभी प्रधानमंत्री ने और न कभी केंद्रीय गृह मंत्री ने ऐसा कोई बयान दिया था, जैसा कि न्‍यूज क्लिप में लिखा है। विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में दोनों न्‍यूज क्लिप फेक साबित हुई।

क्‍या हो रहा है वायरल पोस्‍ट में

फेसबुक यूजर प्रताप कुमार ने वी सपोर्ट सिंगर नेहा सिंह राठौर नाम के एक ग्रुप में कोलाज को अपलोड किया। इसे 6 जनवरी 2024 को पोस्‍ट किया गया था। कोलाज के ऊपर लिखा गया कि बड़ी मुश्किल से अखबार की ये एक कॉपी मिली है। इसे मोदी सरकार ने गायब करा दिया है।

पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी इसे वायरल कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने एक बार पहले भी विस्‍तार से वायरल कोलाज की जांच की थी। उस वक्‍त गूगल रिवर्स इमेज टूल का इस्‍तेमाल किया गया। जब‍ न्यूज पेपर की वायरल क्लिप को रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया तो यह कोलाज हमें कई जगह पर मिला। सपा नेता अखिलेश यादव के एक ट्वीट पर कमेंट बॉक्‍स में एक यूजर के द्वारा पोस्‍ट की गई मिलती-जुलती न्‍यूज का कोलाज मिला। मोदी-शाह की खबर की तरह यह खबर भी थी। पहली खबर की हेडिंग में लिखा गया, “कभी नहीं बनने देंगे राम मंदिर : अखिलेश यादव।” वहीं, खबर की हेडिंग थी- “मुलायम : मुसलमानों का भरोसा जितने के लिए हिंदुओं पर गोलियां चलवाना जरुरी था।”

इस कोलाज को ध्‍यान से देखने पर यह स्‍पष्‍ट हुआ कि जो कोलाज पीएम मोदी और शाह के नाम पर वायरल किया गया है, पहले अखिलेश और मुलायम के नाम से भी सोशल मीडिया पर फैल चुका है।

जांच के अगले चरण में अखिलेश यादव वाली अखबार की क्लिप को पढ़ना शुरू किया गया। इसके लिए InVID के Magnifier टूल का इस्‍तेमाल किया गया। पता चला कि मूल खबर यूपी के चौरासी कोसी परिक्रमा से जुड़ी हुई थी। इसके अलावा खबर के अंदर तत्‍कालीन भाजपा अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह, विहिप के तत्‍कालीन अंतरराष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अशोक सिंघल का बयान पढ़ा जा सकता है। खबर में कहीं भी राम मंदिर का जिक्र तक नहीं है। इतना तो साफ हो गया कि मूल खबर की हेडिंग से छेड़छाड़ करके इसके ऊपर अखिलेश यादव का फर्जी बयान चिपकाया गया।

जब संबंधित कीवर्ड से गूगल ओपन सर्च किया तो असली खबर जागरण डॉट कॉम पर मिली। इसे 23 अगस्‍त 2013 को पब्लिश किया गया था। पूरी खबर यहां पढ़ें।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए कोलाज की दूसरी खबर की जांच की । विश्‍वास न्‍यूज ने जब ध्‍यान से इसे पढ़ा तो पता चला कि न्‍यूज में कहीं भी हिंदू शब्‍द इस्‍तेमाल नहीं किया गया था। पड़ताल में पता चला कि मुलायम सिंह यादव ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले यूपी के मैनपुरी जिले में स्थित करहल में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि यदि वह ऐसा नहीं करते तो देश के मुसलमानों का सपा से विश्‍वास टूट जाता।

यह खबर अमर उजाला ने अपनी वेबसाइट पर 7 फरवरी 2014 को पब्लिश किया था। वायरल खबर और वेबसाइट की खबर का कंटेंट एक ही है। बस हेडिंग से छेड़छाड़ की गई। वेबसाइट की खबर की हेडिंग है – ‘गोली नहीं चलवाता तो मुसलिमों का भरोसा टूट जाता’

मोदी-शाह और मुलायम-अखिलेश के नाम से वायरल खबरों के कोलाज को नीचे देखा जा सकता है।

पिछली पड़ताल के दौरान विश्‍वास न्‍यूज की बातचीत में यूपी भाजपा के प्रवक्‍ता राकेश त्रिपाठी ने कहा था कि ऐसी झूठी पोस्‍ट के जरिए सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के प्रयास करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।

अब बारी थी कि फर्जी पोस्‍ट को वायरल करने वाले यूजर की जांच करने की। पता चला कि फेसबुक यूजर प्रताप कुमार की प्रोफाइल पर सात सौ से ज्‍यादा फ्रेंड हैं। यूजर चेन्‍नई में रहता है।

निष्कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फेक साबित हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कभी भी ऐसा बयान नहीं दिया है, जैसा कि वायरल क्लिप में लिखा है।

  • Claim Review : नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बयान की खबरें
  • Claimed By : फेसबुक यूजर प्रताप कुमार
  • Fact Check : झूठ
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