पूरा सच : रेल पटरी काटने का सालभर पुराना वीडियो भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास टीम)। सोशल मीडिया में एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें दावा‍ किया जा रहा है कि यूपी के गाजियाबाद में रेल पटरी काटते फुरकान अली रंगे हाथों पकड़ा गया। ट्विटर, फेसबुक और वॅाट्सऐप पर ये मैसेज लगातार फैलता ही जा रहा है। इस मैसेज का सच लगाने के लिए विश्‍वास टीम ने जब रिसर्च किया तो हमें पता लगा कि ये वायरल मैसेज गलत है। 19 जनवरी 2018 की घटना को अब दिसंबर में ऐसे प्रचारित किया जा रहा है, जैसे घटना अभी की हो।

क्‍या है वायरल मैसेज में

वायरल पोस्‍ट का स्‍क्रीनशॉट

ट्विटर पर Jeetendra Singh (@jeetensingh) नाम के यूजर ने जनवरी 2018 की घटना के वीडियो को अब करीब एक साल बाद 29 दिसंबर को शेयर करते हुए लिखा है कि क्या रेल हादसे में मुसलमान नही मरते ?? गाजियाबाद में रेल पटरी काटते ‘फुरकान अली’ रंगे हाथों पकड़ा गया ! सरकार को बदनाम करने के लिए कितने को बली चढ़ाएंगे ये गद्दार !! इसी तरह फेसबुक पर I M With Indian Force ग्रुप में राहुल पोखरिया ने भी लिखा – यूपी के गाजियाबाद में रेल पटरी काटते फुरकान अली रंगे हाथों पकड़ा गया। इस पोस्‍ट को अब तक सात सौ से ज्‍यादा बार शेयर किया जा चुका है। वायरल मैसेज को पढ़कर ऐसा लगा रहा है कि जैसे घटना अभी की ही हो।

पड़ताल

वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई जानने के लिए हमने मैसेज की एक लाइन गाजियाबाद में रेल पटरी काटते ‘फुरकान अली’ को गूगल में सर्च किया तो हमें एक साल पुरानी खबरों का लिंक मिला। नई दुनिया की खबर (पुरानी खबर यहां पढ़ सकते हैं) के मुताबिक, गाजियाबाद के मुरादनगर रेलवे स्‍टेशन के पास फुरकान अली नाम के एक युवक को रेलवे ट्रैक से फिश प्लेटें खोलते हुए पकड़ा गया था। वायरल पोस्‍ट और वीडियो उसी घटना का है।

अब हमें ये देखना था कि सोशल मीडिया पर ये कब से वायरल हो रहा है। इसके लिए हमने InVID का यूज किया। InVID में जब हमने वायरल मैसेज की एक लाइन टाइप करके सर्च किया तो सच्‍चाई हमारे सामने थी। एक साल पुरानी पोस्‍ट ट्विटर पर 29 दिसंबर से वायरल होना शुरू हुई है। जितेंद्र सिंह ने इसे पहली बार ट्वीट किया। इसे अब तक साढ़े तीन हजार बार री-ट्वीट किया जा चुका है।

अब हमें ये देखना था कि जिस वीडियो को वायरल किया जा रहा है, वह कब का है? इसके लिए हमने यूट्यूब की हेल्‍प ली। यूटयूब में हमने Muradnagar रेल की पटरी काटते हुए रंगे हाथ पकड़ा शख्स टाइप करके सर्च किया। वहां हमें ओरिजनल वीडियो मिला। इसे 20जनवरी 2018 को अपलोड किया गया था। 4.34 मिनट के इस वीडियो को एडिट करके अब वायरल किया जा रहा है।

20 जनवरी 2018 को अपलोड वीडियो का स्‍क्रीनशॉट

अब हमें ये जानना था कि एक साल पुरानी पोस्‍ट को वायरल करने वाले शख्‍स कौन हैं। तो हमें https://Foller.me से पता चला कि https://twitter.com/jeetensingh एक खास विचारधारा में विश्‍वास रखते हैं। खुद को राष्‍ट्रवादी बताने वाले जितेंद्र सिंह को फॉलो करने वालों की तादाद 73 हजार से ज्‍यादा है। 2 दिसंबर 2010 को बने इस अकाउंट से अब तक चार लाख से ज्‍यादा ट्वीट हो चुके हैं।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास टीम की पड़ताल में ”यूपी के गाजियाबाद में रेल पटरी काटते फुरकान अली रंगे हाथों पकड़ा गया” मैसेज पूरी तरह गलत साबित हुआ। जिस घटना को ताजी बताकर वायरल किया जा रहा है, वह 19 जनवरी 2018 की है। वायरल मैसेज पूरी तरह भ्रमित करने वाला है।

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सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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