विश्वास न्यूज की जांच में पता चला कि 2018 में हुए एक आंदोलन की तस्वीर को अब किसान आंदोलन के नाम पर वायरल किया जा रहा है। हमारी जांच में वायरल पोस्ट फर्जी साबित हुई।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया में किसान आंदोलन के खिलाफ एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें एक काले रंग का बैनर देखा जा सकता है। बैनर के ऊपर लिखा है कि न मोदी, न योगी, न जय श्रीराम। देश पर राज करेगा मजदूर किसान। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह बैनर किसान आंदोलन का है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की पड़ताल की। हमें पता चला कि 2018 के एक किसान आंदोलन की तस्वीर को अब हो रहे आंदोलन के नाम से वायरल किया जा रहा है। इसलिए हमारी जांच में वायरल पोस्ट फर्जी साबित हुई।
फेसबुक यूजर अर्जुन माली ने तीन नवंबर को एक बैनर की तस्वीर को अपलोड करते हुए इसे किसान आंदोलन का बताया। पोस्ट में दावा किया गया : ‘अगर ये किसान आंदोलन ही है, तो इसमें हिन्दू विरोध कहाँ से और कैसे आ गया ?? मोदी, योगी का विरोध तो ठीक है ! लेकिन प्रभु श्री राम का विरोध क्यों.. ??’
फेसबुक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले वायरल फोटो को रिवर्स इमेज टूल के माध्यम से खोजने की कोशिश की। यह तस्वीर हमें कुछ फेसबुक पेज पर पुरानी तारीख में मिली। जन गण मन की बात नाम के एक फेसबुक पेज ने अभी वायरल हो रही तस्वीर को 6 दिसंबर 2018 को पोस्ट किया था। ओरिजनल पोस्ट यहां देखा जा सकता है।
इसी तरह वायरल फोटो दूसरे एंगल से हमें ऑल इंडिया किसान महासभा के फेसबुक पेज पर मिली। यह वही बैनर था, जो अब वायरल हो रहा है। बैनर के ऊपर AIKM लिखा हुआ था। इसका मतलब होता है ऑल इंडिया किसान मोर्चा। फेसबुक पोस्ट को यहां देखा जा सकता है। इस पेज पर 4 दिसंबर 2018 को फोटो अपलोड की गई।
गूगल सर्च के दौरान हमें पता चला कि 30 नवंबर 2018 को देशभर के किसान दिल्ली में किसान मुक्ति मोर्चा लेकर पहुंचे थे। इससे संबंधित खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए हमने ऑल इंडिया किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोतम शर्मा से संपर्क किया। उन्होंने विश्वास न्यूज को बताया कि वायरल तस्वीर 2018 में हुई किसान रैली का है। इसे अब कुछ लोग वायरल कर रहे हैं।
पड़ताल के अंत में हमने फर्जी पोस्ट करने वाले फेसबुक यूजर अर्जुन माली के अकाउंट की जांच की। सोशल स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर एक विचारधारा से प्रभावित है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में पता चला कि 2018 में हुए एक आंदोलन की तस्वीर को अब किसान आंदोलन के नाम पर वायरल किया जा रहा है। हमारी जांच में वायरल पोस्ट फर्जी साबित हुई।
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