Fact Check : एक न्यूज वेबसाइट की खबर के साथ छेड़छाड़ करके किया गया वोटिंग से जोड़कर वायरल

विश्‍वास न्‍यूज ने इस स्‍क्रीनशॉट की जांच की। यह फर्जी साबित हुआ। नवभारत टाइम्‍स की 25 अप्रैल की एक खबर के साथ छेड़छाड़ करके यह स्‍क्रीनशॉट बनाया गया।

नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्‍लेटफॉर्म पर नवभारत टाइम्‍स की खबर के नाम से एक स्‍क्रीनशॉट वायरल हो रहा है। इस स्‍क्रीनशॉट में लिखा गया है कि पूर्णिया में बूथ छोड़ भागे जेडीयू और आरजेडी के बूथ एजेंट। पप्‍पू यादव के पक्ष में एकतरफा वोटिंग की खबर।

विश्‍वास न्‍यूज ने इस स्‍क्रीनशॉट की जांच की। यह फर्जी साबित हुआ। नवभारत टाइम्‍स की 25 अप्रैल की एक खबर के साथ छेड़छाड़ करके यह स्‍क्रीनशॉट बनाया गया। इसे लेकर नवभारत टाइम्‍स की ओर से भी सच्‍चाई सामने रखी गई है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक पेज बेनाम सायर ने 26 अप्रैल को एक स्‍क्रीनशॉट शेयर करते हुए दावा किया, “पूर्णिया में बूथ छोर भागे जेडीयू और आरजेडी के बूथ एजेंट।”

स्‍क्रीनशॉट को सच समझकर दूसरे यूजर्स भी इसे सोशल मीडिया के अलग-अलग प्‍लेटफॉर्म पर शेयर कर रहे हैं। पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है। इसका आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल स्‍क्रीनशॉट की सच्‍चाई जानने के लिए इसमें लिए गए शीर्षक को गूगल ओपन सर्च टूल में खोजना शुरू किया। हमें नवभारत टाइम्‍स की वेबसाइट पर एक खबर मिली। 27 अप्रैल को पब्लिश इस खबर में वायरल स्‍क्रीनशॉट की सच्‍चाई बताते हुए लिखा गया, “सीधे शब्दों में समझिए तो हमारी खबरों से छेड़छाड़ कर उसे गलत तरीके से एडिट कर बिहार झारखंड में वायरल किया जा रहा है।” पूरी खबर को यहां पढ़ा जा सकता है।

वायरल स्‍क्रीनशॉट में खबर पब्लिश करने की तारीख 25 अप्रैल बताया गया, जबकि वोटिंग 26 अप्रैल को हुई। ऐसे में वोटिंग से जुड़ी खबर की तारीख 25 अप्रैल नहीं, बल्कि 26 अप्रैल होनी चाहिए। इससे यह स्‍पष्‍ट था कि नवभारत टाइम्‍स की 25 तारीख की किसी खबर के साथ छेड़छाड़ की गई है।

नवभारत टाइम्‍स की रिपोर्ट में इसके बारे में भी बताया गया। खबर में बताया गया कि 25 अप्रैल को पूर्णिया लोकसभा वोटिंग को लेकर एक खबर प्रकाशित की गई थी। जिसकी हेडिंग थी : पूर्णिया लोकसभा वोटिंग: बूथ पर हो कोई परेशानी चाहे EVM में गड़बड़ी तत्काल यहां करें कॉल, शाम 6 बजे तक वोटिंग। इस खबर के साथ छेड़छाड़ करके स्‍क्रीनशॉट बनाया गया है। असली खबर को यहां क्लिक करके पढ़ा जा सकता है। असली खबर और वायरल स्‍क्रीनशॉट में राइटर का नाम और पब्लिश तारीख और समय एक ही है।

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए नवभारत टाइम्‍स के सोशल मीडिया हैंडल्‍स को स्‍कैन किया। हमें उनके फेसबुक पेज और एक्‍स हैंडल पर वायरल स्‍क्रीनशॉट से जुड़ी पोस्‍ट मिलीं। इसमें इसे फेक बताया गया।

अब बारी थी फर्जी पोस्‍ट को शेयर करने वाले यूजर की जांच करने की। फेसबुक पेज बेनाम सायर बिहार की राजधानी पटना से संचालित होता है। इसे तीन हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। यह पेज जुलाई 2022 को बनाया गया है।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में नवभारत टाइम्‍स की खबर के नाम से वायरल स्‍क्रीनशॉट फेक साबित हुआ। वेबसाइट की एक खबर के साथ छेड़छाड़ करके इसे तैयार किया गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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