Fact Check : राहुल गांधी के खिलाफ वायरल की गई फर्जी और काल्पनिक न्यूज

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह बेबुनियाद साबित हुई।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को लेकर अखबार की एक कटिंग वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे को बोस्‍टन में ड्रग के कारण अरेस्‍ट किया गया था। इस कथित कटिंग को राहुल गांधी से जोड़ते हुए सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह बेबुनियाद साबित हुई। इंटरनेट पर मौजूद एक वेबसाइट के माध्‍यम से राहुल गांधी की यह काल्‍पनिक और आपत्तिजनक न्‍यूज तैयार की गई है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर अनिल कुमार श्रीवास्‍तव ने 13 अगस्‍त को एक पोस्‍ट करते हुए लिखा, “यार राहुल…….लोग कह रहे हैं कि जब तुम बोस्टन हवाई अड्डे पर अमेरिकन पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किये गए थे तो तुम्हारे साथ मेक्सिको के ड्रग माफ़िया की पुत्री जो तुम्हारी गर्ल फ्रेंड थी वो भी पकड़ी गई थी और तुम्हारे पास ड्रग्स और 60 हज़ार अवैध डॉलर भी भी बरामद हुए थे। तुम्हारे बारे में ये बातें सुन कर हमें तो लोगों पर बहुत गुस्सा आ रहा है। यार अब तुम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सारी दुनिया को बता दो कि ये सब झूठ है।”

साथ में एक अखबार की कटिंग को अपलोड किया गया। इसमें दावा किया गया कि एक पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे को अरेस्‍ट किया गया था। कटिंग के ऊपर राहुल गांधी का नाम लिखा गया।

वायरल पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर कई यूजर्स शेयर कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने राहुल गांधी से जुड़ी पोस्‍ट की जांच के लिए सबसे पहले गूगल ओपन सर्च टूल का इस्‍तेमाल किया। यहां सर्च करने पर हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जो वायरल दावे की पुष्टि कर सके।

चूंकि वायरल पोस्‍ट में इस्‍तेमाल की गई कटिंग में समाचार एजेंसी एएफपी का जिक्र किया गया था। इसलिए हमने एएफपी की वेबसाइट पर जाकर सर्च किया। वहां भी हमें कोई ऐसी खबर नहीं मिली, जो वायरल दावे से जुड़ी हो।

हमें एएफपी की फैक्‍ट चेक रिपोर्ट जरूर मिली। 8 जनवरी 2020 को पब्लिश इस रिपोर्ट में वायरल कटिंग की जांच की गई थी। इसमें बताया गया कि वायरल पोस्‍ट को न्यूजपेपर क्लिपिंग जेनरेटर वेबसाइट फॉडी.कॉम के माध्‍यम से बनाया गया है। एएफपी की फैक्‍ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

पड़ताल के अगले चरण में हमने फॉडी.कॉम को स्‍कैन किया। वहां लॉगइन किया। यहां हमें अखबार का नाम, तारीख, हेडिंग और कंटेंट लिखने का ऑप्‍शन मिला। जांच में अब तक यह साबित हो चुका था कि इसका मिसयूज करके ही करके राहुल गांधी के खिलाफ वायरल खबर को तैयार किया गया।

विश्‍वास न्‍यूज ने पिछली पड़ताल के दौरान कांग्रेस के सेक्रेटरी और मीडिया कोऑर्डिनेटर प्रणव झा से संपर्क किया था। उन्‍होंने जानकारी देते हुए बताया था, “आज के सूचना क्रांति के दौर में सच आसानी से पता लगाया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति आसानी से द बोस्‍टन ग्‍लोबल अख़बार के डिजिटल एडिशन पर 13 सितंबर 2001 के 13 वें पन्ने पर इस खबर की जाँच कर सकता है। परंतु ये खबर मिलेगी नहीं, क्योंकि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं, इसलिए ऐसी खबर भी नहीं छपी। सवाल है, तो क्या ये इमेज झूठा है? तो जवाब है कि 100 फ़ीसदी झूठा है, क्योंकि ये डिजिटल क्रिएटेड फेक इमेज है। फॉन्ट और डिज़ाइन भी मूल द बोस्‍टन ग्‍लोबल अख़बार के डिज़ाइन से मेल नहीं खाते।”

विश्‍वास न्‍यूज ने एक बार पहले भी वायरल पोस्‍ट की जांच की थी। उस पोस्‍ट की पड़ताल को यहां पढ़ा जा सकता है।

पड़ताल के अंत में फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की गई। पता चला कि अनिल कुमार श्रीवास्‍तव ने यह अकाउंट को 2013 को बनाया था। यूजर यूपी के रहने वाले हैं।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में राहुल गांधी से जुड़ी वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। इसे काल्‍पनिक तरीके से तैयार की गई है। इसमें कोई सच्‍चाई नहीं है।

False
Symbols that define nature of fake news
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