Fact Check : करनाल में अतिथि शिक्षकों के प्रदर्शन का वीडियो अब गलत दावे के साथ हुआ वायरल

Fact Check : करनाल में अतिथि शिक्षकों के प्रदर्शन का वीडियो अब गलत दावे के साथ हुआ वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास टीम)। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के बारे में दावा किया जा रहा है कि हरियाणा में व्‍यापारियों और किसानों ने मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। वायरल वीडियो में कई लोगों को कथित रूप से किसी का अंतिम संस्‍कार करते हुए देखा जा सकता है। विश्‍वास टीम ने जब इस वीडियो और उसके दावे की पड़ताल की तो हमें पता लगा कि वायरल वीडियो का व्‍यापारियों और किसानों के प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है। वायरल वीडियो 17 सितंबर को हरियाणा के करनाल में मिनी सचिवालय के करीब हुए अतिथि शिक्षकों के प्रदर्शन का है। प्रदेश भर के अतिथि शिक्षक करनाल में अपनी मांगों को लेकर जुटे थे।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट

फेसबुक यूजर आसिफ मलिक समाजवादी पार्टी खिवाई ने 23 सितंबर को शाम 6:26 बजे एक वीडियो को अपलोड करते हुए लिखा : ”आज हरियाणा में मोदी का अंतिम व्यापारी एवं किसानों द्वारा भारी जनसंख्या में किया गया परंतु कोई भी चैनल इसे दिखाने की हिम्मत नहीं कर रहा।”

इस वीडियो को दूसरे यूजर्स भी गलत दावे के साथ वायरल कर रहे हैं।

पड़ताल

विश्‍वास टीम ने सबसे पहले वायरल हो रहे वीडियो को ध्‍यान से देखा। इसमें कई शख्‍स मटकी लेकर चक्‍कर काटते हुए दिखे। कुछ औरतें जमीन पर बैठकर रोती हुईं दिखीं। आसपास हमें कुछ पुलिसवाले भी दिखे। पहली नजर में यह वीडियो किसी धरने-प्रदर्शन का लगा। वीडियो में हमें कुछ लोग मीडिया से बात करते हुए भी दिखे। वीडियो में हमे खट्टर और राम बिलास नाम के शख्‍स के खिलाफ नारेबाजी सुनाई दी।

इसके बाद हमने गूगल में कुछ कीवर्ड टाइप करके संबंधित खबरों को ढूंढना शुरू किया। इसके लिए हमने Protest + khattar and ram bilas को कीवर्ड बनाया। सर्च के दौरान हमें दूसरा ही लिंक टाइम्‍स ऑफ इंडिया का मिला।

18 सितंबर को प्रकाशित खबर में बताया गया कि करनाल में प्रदर्शन कर रहे गेस्‍ट टीचर्स की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का इस्‍तेमाल किया। खबर के अनुसार, मंगलवार को करनाल के मिनी सचिवालय के पास अतिथि शिक्षकों ने अतिथि अध्यापक संघर्ष समिति हरियाणा के बैनर के तहत एक सितंबर से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

इसके बाद विश्‍वास टीम ने करनाल के स्‍थानीय अखबारों को खंगालना शुरू किया। हमें वहां के स्‍थानीय अखबार अमर उजाला में एक खबर मिली। खबर के मुताबिक, 17 सितंबर को करनाल के लघु सचिवालय के सामने सड़क पर अतिथि अध्‍यापकों ने मंत्रिमंडल का तर्पण किया। तर्पण की तस्‍वीर 18 सितंबर के संस्‍करण में प्रकाशित की गई थी।

पड़ताल के अगले चरण में हम फिर यूटयूब पर गए। काफी देर के सर्च के बाद आखिरकार हमें एक वीडियो मिला। वीडियो करनाल प्रदर्शन का ही था। बस इसका एंगल थोड़ा अलग था। वीडियो में हमें वही लोग दिखे, जो वायरल वीडियो में मौजूद थे। इस वीडियो को Karnal Breaking News नाम के यूटयूब चैनल ने 17 सितंबर को अपलोड किया था। इसमें बताया गया कि करनाल में गेस्‍ट टीचर्स हरियाणा सरकार का क्रियाकर्म करते हुए।

इसके बाद हमने हरियाणा की अतिथि अध्यापक संघर्ष समिति की प्रदेश अध्‍यक्ष मैना यादव से संपर्क किया , क्‍योंकि यह प्रदर्शन अतिथि अध्यापक संघर्ष समिति के बैनर के तहत किया गया था। उन्‍होंने बताया कि रेग्‍युलर जॉब और दूसरे रेग्‍युलर शिक्षकों को मिलने वाली सुविधाओं को लेने के लिए हम लोगों ने करनाल में एक धरना प्रदर्शन का आयोजन किया था। वायरल वीडियो उसी दौरान का है।

अंत में विश्‍वास टीम ने उस फेसबुक पेज की सोशल स्‍कैनिंग की, जहां से करनाल में हुए गेस्‍ट टीचर्स के प्रदर्शन को व्‍यापारी और किसानों का प्रदर्शन बताकर वायरल किया गया। हमें पता लगा कि आसिफ मलिक समाजवादी पार्टी खिवाई नाम के इस फेसबुक पेज को 12 सौ से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। इस पेज को 23 अक्‍टूबर 2018 को बनाया गया था।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास टीम की पड़ताल में पता चला कि व्‍यापारियों और किसानों के प्रदर्शन के दावे के साथ वायरल पोस्‍ट फर्जी है। ओरिजनल वीडियो 17 सितंबर का है। उस दिन हरियाणा के अतिथि शिक्षकों ने मिनी सचिवालय के सामने प्रदर्शन किया था। अब वही वीडियो गलत दावे के साथ वायरल हो रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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