नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली में चल रहे आंदोलन के हिंसक होने के बाद से ही सोशल मीडिया में कई फर्जी तस्वीरों और वीडियो को वायरल किया जा रहा है। इस कड़ी में कुछ तस्वीरों और वीडियो को वायरल करते हुए यूजर्स दावा कर रहे हैं कि दक्षिणी दिल्ली में बसों को पुलिस ने खुद आग लगाई थी। वीडियो में सफेद और पीले गैलन को देखा जा सकता है। बिना तथ्य जाने संबंधित फोटो और वीडियो को कुछ पॉलिटिकल पार्टी, नेता और एक खास वर्ग के लोग वायरल कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा फर्जी निकला। बस में दिल्ली पुलिस के जवान पेट्रोल डालकर आग नहीं लगा रहे थे, बल्कि इसे कंट्रोल में करने की कोशिश कर रहे थे। सच्चाई जानने के लिए विश्वास न्यूज ने ऑनलाइन फैक्ट चेक किया। विश्वास न्यूज ने वीडियो का एनालिसिस किया। ओरिजनल वीडियो बनाने वाले पत्रकार से सीधे बात की। इसके अलावा मौके पर जाकर भी प्रत्यक्षदर्शियों से सीधे बात की। इसके अलावा हमने पुलिस के आला अफसर और दिल्ली फायर ब्रिगेड से भी सच जाना। आइए 12 प्वाइंट में जानें पूरा सच।
फेसबुक यूजर साफिक खान ने 15 दिसंबर को रात दस बजे एक तस्वीर को अपलोड करते हुए दावा किया : ”पुलिस खुद बस में आग लगा रही है इल्ज़ाम जामिया के स्टूडेंट्स पर लगाएंगे ओर लाठिया गैस के गोले दागे जायँगे मुस्लिमो अगर जरा सा भी शर्म बची है तो आओ जामिया और साथ दो इन शेरो का।”
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी एक तस्वीर को ट्वीट करते हुए दिल्ली पुलिस पर बसों में आग लगाने का आरोप लगाया।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले यूट्यूब पर दिल्ली में बस में आग लगाई कीवर्ड टाइप करके वीडियो सर्च किया। हमें कई यूट्यूब पर 20 सेकंड का वीडियो मिला। इसमें कुछ लोगों को सफेद और पीले रंग के गैलन को बस की ओर ले जाते हुए देखा जा सकता है।
पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि इस वीडियो को एनडीटीवी के पत्रकार अरविंद गुनाशेखर ने बनाया था। विश्वास न्यूज ने अरविंद से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल वीडियो को लेकर जो दावा किया जा रहा है, वह फर्जी है। दिल्ली पुलिस बस में आग नहीं लगा रही थी, बल्कि पीछे की सीट पर लगी चिंगारी को बुझाने का प्रयास कर रही थी। यह वीडियो पांच बजे के आसपास बनाया गया था। अरविंद ने हमें दो वीडियो भेजे। एक वीडियो वही था, जो वायरल हो रहा है। दूसरा वीडियो भी इससे ही जुड़ा हुआ था, लेकिन वह कुछ मिनट के बाद का था। अरविंद ने अपने ट्विटर हैंडल पर वीडियो की सच्चाई को लेकर बताया कि वाहनों में आग लगाने वाली भीड़ थी। पुलिस के जवान उसे बुझाने का प्रयास कर रहे थे। अरविंद का पूरा ट्वीट आप नीचे देख सकते हैं।
वायरल वीडियो को हमने ध्यान से देखा तो हमें शुरुआत में ही लाल शर्ट पहने हुए एक शख्स दिखा। जो वीडियो में बाइक में लगी आग को बुझाते हुए दिखा। इसके लिए इसे अग्निश्मन यंत्र का इस्तेमाल किया।
इसके बाद वीडियो में आगे हमें सफेद और पीले रंग के गैलन दिखे। वीडियो में दिख रहे दोनों गैलन बाईं तरफ से ले जाते हुए दिखे।
वीडियो की सत्यता के लिए हमने InVID टूल का इस्तेमाल किया। इसमें एनालिसिस से हमें पता चला वीडियो को 15 दिसंबर 2019 को बनाया गया है।
इसमें 11:40 बजे का वक्त दिख रहा था,लेकिन यह समय जीएमटी में था। इसे हमने इंडियन स्टैंडर्ड टाइम से कन्वर्ट करने के लिए savvytime ऑनलाइन टूल का इस्तेमाल किया। हमें पता चला कि यह वीडियो शाम के 5:10 बजे बनाया गया था।
इसके बाद विश्वास टीम ने अरविंद की ओर से भेजे गए दूसरे वीडियो का एनालिसिस किया। InVID टूल और savvytime टूल की मदद से हमें पता चला कि अरविंद ने दूसरा वीडियो शाम को 5:40 बजे बनाया था, जबकि दिल्ली में बसों को जलाने की घटना 4:30 बजे से लेकर 5 बजे के बीच हुई थी।
अरविंद की ओर से भेजा गया दूसरा वीडियो वायरल वीडियो के बाद का अगला हिस्सा था। इसके एनालिसिस से हमें पता चला कि इस वीडियो को वायरल वीडियो के तीस मिनट बाद बनाया गया।
इसमें साफतौर पर बस के बाहर पानी को देखा जा सकता है। इससे यह साफ था कि बस में गैलनों से पेट्रोल नहीं, पानी डाला गया था।
इसके बाद हमने गूगल मैप की मदद से उस जगह को सर्च किया, जहां का वीडियो वायरल हो रहा है। हमें वायरल वीडियो में एवरग्रीन नाम की एक दुकान दिखाई दी। गूगल मैप की मदद से जब हमने सर्च शुरू किया तो हमें हमें यह जगह सुखदेव मेट्रो स्ट्रेशन के पास दिखी।
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए विश्वास टीम ने घटनास्थल पर जाकर खुद सच्चाई परखने का प्रयास किया। वीडियो में जिस तरफ से दो लोग गैलन को लेकर आ रहे थे, वहां एक चाय की छोटी-सी दुकान है। हमें चाय की दुकान पर ही दोनों गैलन दिखें। सोशल मीडिया में इन्हीं कथित गैलन को लेकर आग लगाने का दावा किया जा रहा है।
इसके अलावा हम चौराहे के बाएं तरफ स्थित एवरग्रीन नाम की दुकान पर भी गए। इस दुकान को वायरल वीडियो में देखा जा सकता है। चौराहे पर स्थित इस दुकान के पास ही पूरी घटना हुई थी। हमने दुकान पर जाकर दुकान के ओनर विकास चावला से बात की। उन्होंने हमें बताया कि यह घटना हमारे सामने ही घटी थी। कुछ लोगों ने एक बाइक में आग लगा दी थी, जबकि एक बस को आग लगाने की कोशिश कर रहे थे। तभी पुलिस ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया। बस के पिछले हिस्से में कुछ आग लग गई थी। उसे ही बुझाने के लिए पुलिस के जवान स्थानीय लोगों की मदद ले रहे थे।
मौके पर हमें सलीम खान मिले। वे आग बुझाने के लिए पानी लेकर आए थे। उन्होंने विश्वास न्यूज को बताया कि आग हमारे सामने लगी थी। बस की एक सीट पर किसी ने आग लगा दी थी। हमने खुद दुकान से पानी लाकर आग बुझाया था। पुलिस ने आग नहीं लगाई थी। वे लोग तो आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे।
15 दिसंबर के हिंसक आंदोलन को लेकर सभी मीडिया संस्थानों ने विस्तार से कवरेज किया। हमें दैनिक जागरण की खबर से पता चला कि शाम साढ़े चार बजे हजारों की संख्या में जोग सराय जुलैना चौराहे के पास जुटे। वहां से वे लोग रिंग रोड़ की ओर बढ़ना चाह रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें माता मंदिर रोड पर रोक दिया। जिसके बाद वहां पर बसों में तोड़फोड़ करके आग लगा दी गई। इसके अलावा कई दूसरे वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया गया। हिंसा की चपेट में जुलैना चौक, सीवी रमन रोड और मथुरा रोड प्रमुख रूप से प्रभावित हुआ। भीड़ ने चार बसों में आग लगाई थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बसों में आग लगाने की घटना साढ़े चार बजे से लेकर पांच बजे के बीच की है।
अब बारी थी पुलिस के आला अधिकारियों से बात करने की। दिल्ली पुलिस के एडिशनल पीआरओ अनिल मित्तल ने विश्वास न्यूज को बताया कि बस में पुलिस ने आग नहीं लगाई थी। हमारे जवान तो आग बुझाने के लिए पानी का इस्तेमाल कर रहे थे। वीडियो का दावा एकदम फर्जी है। उन्होंने अपील की है कि किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें।
दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली पुलिस उपायुक्त चिन्मय विश्वाल ने कहा कि यह अफवाह फैलाई जा रही है कि पुलिस ने गाड़ियों में आग लगाई, जबकि पुलिस तो आग बुझाने का काम कर रही थी।
इसके बाद विश्वास न्यूज ने दिल्ली अग्निशमन विभाग के जनसंपर्क अधिकारी सोमवीर सिंह से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि दोपहर बाद 4:42 बजे फायर ब्रिगेड के कॉल सेंटर पर एक कॉल आया। जिसमें बताया गया कि न्यू फ्रेंडस कॉलोनी में माता मंदिर वाले रोड़ पर डीटीसी की बस में आग लगा दी गई है। इसके बाद हमने तुरंत अपने दल को वहां रवाना किया।
अंत में हमने शकीफ खान के फेसबुक अकाउंट की सोशल स्कैनिंग की। हमें पता चला कि बिहार के सुपौल का रहने वाला यह यूजर लगातार जामिया यूनिवर्सिटी के आंदोलन को लेकर पोस्ट अपलोड कर रहा है। फिलहाल मधुबनी में रह रहे इस यूजर को 168 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि बस में दिल्ली पुलिस की ओर से आग लगाए जाने का दावा करने वाली पोस्ट झूठी है। हमारी पड़ताल से यह सच सामने निकलकर आया कि दिल्ली पुलिस के जवान जुलैना चौक पर बस में स्थानीय लोगों की मदद से पानी डालकर आग को बुझाने का प्रयास कर रहे थे। विश्वास न्यूज ने ऑनलाइन फैक्ट चेक के साथ मौके पर जाकर चश्मदीदों से बात की। इसके अलावा कई टूल्स की मदद से सच जाना।
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