Fact Check : पीएम मोदी के नाम पर फिर से वायरल हुआ विदेशी सामान के बहिष्‍कार का Fake मैसेज

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की विस्‍तार से पड़ताल की। पता चला कि पीएम मोदी ने विदेशी सामानों के बहिष्‍कार की अपील नहीं की।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। देश में कुछ ही दिनों बाद त्‍योहारी सीजन शुरू हो जाएगा। इसी के साथ बाजार से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग की रौनक भी बढ़ जाएगी। इसी बीच सोशल मीडिया के अलग-अलग प्‍लेटफॉर्म पर एक मैसेज वायरल हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और तस्‍वीर का जिक्र करते हुए दावा किया जा रहा है कि उन्‍होंने इस संदेश के माध्‍यम से विदेशी सामानों के बहिष्‍कार की अपील की है।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की विस्‍तार से पड़ताल की। पता चला कि पीएम मोदी ने विदेशी सामानों के बहिष्‍कार की अपील नहीं की। पीएम मोदी अक्‍सर आत्‍मनिर्भर भारत की बात करते हैं। इसके तहत जरूर लोकल प्रोडक्ट को बढ़ावा देते हैं। 28 जून 2020 को पीएम मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लोगों से अपील करते हुए कहा था कि लोकल सामान की खरीददारी एक प्रकार से देश सेवा ही है। पीएम मोदी ने कभी भी ऐसा नहीं कहा है, जैसा कि वायरल पोस्‍ट में उनके नाम का उपयोग करते हुए दावा किया गया है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर कन्‍हैया लाल त्रिपाठी ने पीएम मोदी के नाम पर एक मैसेज पोस्‍ट किया। 4 सितंबर को पोस्‍ट में पीएम मोदी की तस्‍वीर के साथ लिखा गया, “प्रिय साथियों आपका प्रधानमंत्री कुछ कह रहा है. कल यदि भारत पर चीन का कब्ज़ा हो गया तो उसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार होंगे। अंग्रेजो ने भी भारत में व्यापर करके ही हमें गुलाम बनाया था। तब हम अनपढ् थे लेकिन आज समझदार है। स्वदेशी अपनाए देश बचाऐ अगर सभी भारतीय 90 दिन तक कोई भी विदेशी सामान नहीं ख़रीदे तो भारत दुनिया का दूसरा सबसे अमीर देश बन सकता है सिर्फ 90 दिन में ही भारत के 2 रुपये 1 डॉलर के बराबर हो जायेंगे हम जोक्स फॉरवर्ड करते ये मेसेज फोरवर्ड करो तो एक आंदोलन बन जाऐ पिछले साल दिवाली पर 1 अभियान के तहत लोगो ने चीनी लाइट नहीं खरीदी तो चीन का 20% सामान बर्बाद हो गया एवं चीन बोखला गया था फर्क पड़ता है साहब हमारा देश बहुत बड़ा है। कर के देखो एच लगता है। भारतवासियों जागो! चेतावनी आज चीनी सामान पर मेड इन चाइना नहीं लिखा है। अब लिखा है PRC पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना लोगों को संदेश दे कि वे चीन बनी चीजें न खरीदें। आपको यह संदेश 3 लोगों को भेजना चाहिए। तो पूरा देश जुड़ जाएगा….”

वायरल पोस्‍ट को सच समझकर कई सोशल मीडिया यूजर्स शेयर कर रहे हैं। पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है। इसका आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज एक बार पहले भी वायरल पोस्‍ट में इस्‍तेमाल किए गए मैसेज की पड़ताल कर चुका है। विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले गूगल ओपन सर्च टूल का इस्‍तेमाल किया। हमें कहीं भी ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिसमें पीएम मोदी या केंद्र सरकार की ओर से विदेशी सामान के बहिष्‍कार की अपील की हो गई। हालांकि, कई ऐसी खबरें जरूर मिलीं, जिसमें आत्मनिर्भर भारत की बात करते हुए स्‍थानीय उत्‍पादों को बढ़ावा देने की बात कही गई।

गूगल ओपन सर्च के दौरान हमें न्यूज 18 की वेबसाइट पर एक खबर मिली। एक नवंबर 2021 को पब्लिश इस खबर में बताया गया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता से स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग को बढ़ावा देने और लोकल फॉर वोकल होने की अपील करते रहते हैं। पीएम मोदी ने हाल ही में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में दिवाली पर स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की बात फिर से की। हालांकि, प्रधानमंत्री और कई सेंटर मिनिस्टर साफ कर चुके हैं कि लोकल फॉर वोकल की बात किसी देश के खिलाफ नहीं है।”

वर्ष 2021 की इस खबर में यह भी बताया गया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों से स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देने और लोकल वस्तुओं के लिए वोकल होने की अपील करते रहते हैं। हाल में पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में दिवाली पर स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने और लोकल फॉर वोकल के नारे को दोहराया। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के एक अनुमान के मुताबिक, पीएम मोदी की अपील के बाद लोगों के स्वदेशी वस्तुओं की खरीदारी से चीन को हाल के दिनों में 50,000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ।”

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी के उस ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सर्च किया, जिसमें उन्‍होंने लोकल सामान खरीदने की देशवासियों से अपील की थी। पीएमओ इंडिया के यूट्यूब चैनल पर हमें वह एपिसोड मिला। 28 जून 2020 के ‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने लद्दाख में शहीद हुए सैनिकों का जिक्र करते हुए लोकल फॉर वोकल की वकालत करते हुए कहा था कि यदि आप लोकल खरीदते हैं, तो यह एक तरह से देश सेवा ही है।

वीडियो में पीएम मोदी कहते हैं, “लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है। इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है। अपने वीर-सपूतों के बलिदान पर, उनके परिजनों में गर्व की जो भावना है, देश के लिए जो ज़ज्बा है – यही तो देश की ताकत है।”

पीएम मोदी आगे कहते हैं, “हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने – यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी। मुझे असम से रजनी जी ने लिखा है- उन्होंने पूर्वी लद्दाख में जो कुछ हुआ, वो देखने के बाद एक प्रण लिया है। प्रण ये कि वो लोकल ही खरीदेंगे। इतना ही नहीं, लोकल के लिए वोकल भी होंगी।”

मन की बात में पीएम मोदी आगे कहते हैं, “कोई भी मिशन जन-भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता, सफल नहीं हो सकता, इसीलिए, आत्मनिर्भर भारत की दिशा मेंएक नागरिक के तौर पर, हम सबका संकल्प, समर्पण और सहयोग बहुत जरूरी है, अनिवार्य है। आप लोकल खरीदेंगे, लोकल के लिए वोकल होंगे, तो समझिए, आप देश को मजबूत करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। ये भी एक तरह से देश की सेवा ही है।”

पूरी मन की बात यहां क्लिक करके सुनी जा सकती है।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट के संबंध में दैनिक जागरण के नेशनल ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से भी संपर्क किया। उन्‍होंने जानकारी देते हुए बताया, “पीएम मोदी ने कभी विदेशी सामान के बहिष्कार की बात नहीं की है। वह स्वदेशी को बढ़ावा तो देते हैं, लेकिन चीन या अन्य किसी देश के सामान के बहिष्कार के बारे में कोई बयान नहीं दिया।”

पीएम मोदी के नाम से पहले भी एक फेक लेटर वायरल हो चुका है। इसे खुद पीएमओ के आधिकारिक एक्स हैंडल से फेक बताया गया। उस वक्‍त भी विश्‍वास न्‍यूज ने फर्जी पत्र की सच्‍चाई सामने लाई थी।

इसी तरह अब वायरल हो रहा मैसेज भी पहले वायरल हो चुका है। एक नवंबर 2023 को विश्‍वास न्‍यूज ने इसकी पड़ताल की थी। उस पड़ताल को यहां क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

पड़ताल के अंत में पीएम मोदी के नाम पर फेक मैसेज को वायरल करने वाले यूजर की जांच की गई। पता चला कि यूजर कन्‍हैया लाल त्रिपाठी दिल्‍ली में रहता है।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्यूज की पड़ताल में पीएम मोदी के नाम पर वायरल मैसेज फेक है। उन्‍होंने किसी देश के सामानों के बहिष्‍कार की बात नहीं कही है।

False
Symbols that define nature of fake news
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