New Delhi (Vishvas News) भारत के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। जहां तमिलनाडु (Tamilnadu), केरल (Kerala), पुडुचेरी (Puducherry) और असम (Assam) में वोटिंग संपन्न हो चुकी है, वहीँ पश्चिम बंगाल(West Bengal) में अभी कुछ चरणों की वोटिंग बाकी है। इन सभी राज्यों के नतीजे 2 मई को घोषित होंगे। इस दौरान सोशल मीडिया पर हरेक पार्टी, आयोग और प्रशासन के बारे में दुष्प्रचार किया जा रहा है। उम्मीदवारों और एग्जिट पोल के नाम पर भी झूठ फैलाया जा रहा है। चुनावों की तारीखों की घोषणा के बाद दुष्प्रचार के मामले पाँच गुना तक बढ़ गए हैं। पहले दो दिन में एक चुनाव सम्बंधी झूठी ख़बरें सामने आती थी, लेकिन अब यह संख्या हर दिन बढ़ कर 2 से 3 तक पहुँच गई है।
चुनाव आयोग (EC) ने 26 फरवरी को चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए मतदान की तारीखों की घोषणा की थी। मगर चुनावों को लेकर फेक न्यूज़ का सिलसिला उससे भी पहले ही शुरू हो चुका था। 1 फरवरी 2021 को साझा की गयी एक पोस्ट में चुनावों की नकली तारीखों को जारी कर जनता को गुमराह करने की कोशिश की गयी। विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्टस की पड़ताल की तो हमारी जांच में सभी तारीखें फर्जी निकलीं।
चुनावी रैलियों को लेकर भी काफी झूठ फैलाया गया। पुरानी तस्वीरों को साझा कर उन्हें हलिया रैलियों का बताकर भी लोगों को भ्रम में डाला गया। कहीं दो साल पुरानी तस्वीरें शेयर की गयीं तो कहीं किसी और राज्य में हुई रैली की तस्वीर को किसी और राज्य का बता कर पेश किया गया। कई फर्जी पोस्ट्स में किसी और नेता की रैली की तस्वीर को किसी और नेता का बता दिया गया। तो कहीं वीडियो को एडिट कर ऐसा दिखाने की कोशिश की गयी कि रैली में कोई आया ही नहीं और नेता खाली ग्राउंड का हाथ हिलाकर अभिवादन करते रहे।
कहीं उम्मीदवारों के पार्टी बदलने का झूठ भी फैलाया गया तो कहीं जानी-मानी हस्तियों के चुनाव प्रचार करने की गलत खबरें फैलाई गयीं।
एग्जिट पोल और सर्वे के नाम पर भी कई फर्जी या पुराने ग्राफिक प्लेट्स वायरल हुए। जांच की गयी तो पाया कि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी विधानसभा चुनावों के अलावा उपचुनावों को लेकर 27 मार्च 2021 को सुबह 7 बजे से लेकर 29 अप्रैल 2021 को शाम 7:30 बजे तक कोई एग्जिट पोल प्रकाशित किया ही नहीं जा सकता।
प्रत्याशियों और पार्टियों को लेकर भी कई व्यापक फेक ख़बरें वायरल हुईं। कुछ पोस्ट में न्यूज़ प्लेट्स को एडिट करके उम्मीदवारों पर चोरी तक के इल्जाम लगा दिए गए। पार्टियों के इलेक्शन मेनिफेस्टो तक को एडिट करके भ्रम फ़ैलाने की कोशिश की गयी।
ऐसे में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के प्रचार के दौरान पैर में आये फ्रैक्चर को लेकर भी कई अफवाहें उड़ाई गयीं। कहीं पुरानी तस्वीर को साझा किया गया तो कहीं तस्वीर का मिरर इमेज लगा कर लोगों को झूठ परोसा गया।
पूर्व चुनाव आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति के नाम से भी फर्जी बयान वायरल हुआ। कहा गया कि टी एस कृष्णमूर्ति ने ईवीएम हैकिंग की पुष्टि की है। असल में यह वायरल पोस्ट भी फेक थी। पूर्व चुनाव आयुक्त ने यह बयान नहीं दिया था। पहले भी यह बयान कई बार वायरल हो चुका है। चुनाव आयोग ने इस फेक न्यूज़ पर एफआईआर भी की थी।
किसी भी बड़े इवेंट के दौरान फेक ख़बरों का प्रवाह बढ़ जाता है। ऐसे में चुनाव आते ही फेक न्यूज़ का बांध टूट-सा जाता है। फैक्ट चेकिंग की वजह से जहां लोगों में जागरूकता आ रही है, वहीँ फेक न्यूज़ फ़ैलाने वाले भी जनता को बहकाने के लिए नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं।
hindustantimes.com की खबर के अनुसार, केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी फेक न्यूज़ को चुनाव के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए संसद में कहा था कि चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनावों को फेक न्यूज़ से बचाने के लिए केंद्र सरकार, भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के साथ मिलकर काम कर रही है। अप्रैल 2020 में जारी आंकड़ों के अनुसार, फेसबुक ने COVID-19 से जुड़े 4 करोड़ फर्जी पोस्टों पर फैक्ट चेकर्स की मदद से वार्निंग लेबल लगाए थे। फेसबुक के अनुसार, 95 प्रतिशत लोगों ने वार्निंग लेबल वाले पोस्ट्स को नहीं खोला। साफ़ है कि जनता और प्रशासन दोनों ही फेक न्यूज़ के बुरे प्रभाव से अवगत हैं और इसके खिलाफ खड़े हैं।
2021 विधानसभा चुनाव से संबंधित सत्यापित जानकारी साझा करने के लिए मीडान ने इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग नेटवर्क (IFCN) द्वारा प्रमाणित 6 भारतीय फैक्ट चेकिंग समूहों का एक संघ बनाया है और ‘एकता’ कैम्पेन लॉन्च किया है जहाँ टिपलाइन (चैटबॉट) के ज़रिये 1 अप्रैल से 3 मई 2021 के बीच लोगों को वॉट्सऐप पर सत्यापित और फैक्ट चेक की जानकारी, चुनावी ट्रेंड्स, गलत सूचना से संबंधित पैटर्न की जानकारी दी जाएगी। विश्वास न्यूज़ का चैटबॉट नंबर है +91 95992 99372.
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