Fact Check : दिल्‍ली हिंसा में पीडि़त सभी धर्मों के लोगों को मिलेगा मुआवजा, सिर्फ मुसलमानों को मिलने वाली बात फर्जी है

विशवास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि आम आदमी पार्टी की तरफ से एलान किया गया मुआवज़ा सभी धर्म के पीड़ितों के लिए है, किसी एक विशेष समुदाय के लिए नहीं। वायरल की जा रही अख़बार की कटिंग एडिटेड है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। दिल्‍ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से सोशल मीडिया में कई प्रकार के झूठ फैले हुए हैं। कभी कश्‍मीर की तस्‍वीरों तो कभी मध्‍य प्रदेश के वीडियो को दिल्ली का बताकर वायरल किया जा रहा है। अब अखबार में पब्लिश दिल्‍ली सरकार के एक विज्ञापन से छेड़छाड़ करके दावा किया जा रहा है कि दिल्‍ली हिंसा में सिर्फ मुसलमानों को ही मुआवजा मिलेगा।

जब विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की पड़ताल की तो पता चला कि वायरल विज्ञापन एडिटेड है। अखबार में छपे विज्ञापन से छेड़छाड़ करके यह फैलाया जा रहा है कि मुआवजा सिर्फ मुसलमानों के लिए ही है। जबकि सच्‍चाई यह है कि दिल्‍ली सरकार की ओर से सभी धर्मों के पीडि़तों के लिए मुआवजे की घोषणा की गई है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पेज ‘The New India’ की तरफ से 3 मार्च को एक अख़बार की कटिंग शेयर की गयी, जिसमें लिखा है- ”दंगा पीड़ितों की मदद हेतु (मुस्लिम). दिल्ली सरकार की सहायता योजना” वहीं, इसमें मुआवज़े से जुडी जानकारी लिखी हुई है। यूजर ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ”हिन्दू लोग जरा ध्यान से देखे केजरी ने मुआवजे में भी धर्म खोज लिया..मरे हिन्दू मुआवजा सिर्फ शान्तिदूतो को *मुफ्तखोर हिन्दू टेक्स भरे और दंगो में मरे*”

पड़ताल

विश्वास न्यूज़ ने सबसे पहले वायरल पेपर कटिंग को गौर से देखा। Invid के मैग्नीफाइंग टूल की मदद से जब हमने अख़बार को ज़ूम किया तो हमें अख़बार में सबसे ऊपर बाएं हाथ पर ‘दैनिक जागरण नई दिल्ली 29 फरवरी 2020″ लिखा हुआ नज़र आया।

अब हमने दैनिक जागरण के 29 फरवरी के ईपेपर में इस वायरल पेज को तलाश करना शुरू किया और यह जानने की कोशिश की कि क्या उसमें भी ब्रैकेट में ‘मुस्लिम’ लिखा हुआ है। थोड़ी तलाश के बाद हमारे हाथ वही पेज लगा, जिसे अब वायरल किया जा रहा है। पेज के  विज्ञापन में हमें कहीं भी ‘मुस्लिम’ लिखा हुआ नज़र नहीं आया।

गौर करने पर साफ़ देख सकते हैं कि वायरल अख़बार कटिंग के विज्ञापन की सुर्खी का फॉन्ट अलग है और जिस फॉन्ट से ब्रैकेट में ‘मुस्लिम’ लिखा गया है उसका साइज और फॉन्ट अलग है, जबकि आमतौर पर एक लाइन में एक ही फॉन्ट का इस्तेमाल किया जाता है।

पड़ताल के अगले चरण में हमने न्यूज़ सर्च के ज़रिये एक समुदाय विशेष को मुआवजा दिए जाने की बात की हकीकत जानने की कोशिश की। न्यूज़ सर्च में हमारे हाथ बहुत-सी खबरों के लिंक लगे, लेकिन हमें किसी भी खबर में ऐसा नहीं मिला जैसा की वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है। दैनिक जागरण के वेब एडिशन में 27 फरवरी 2020 पब्लिश हुई खबर के मुताबिक, ”मुख्यमंत्री ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को दस-दस लाख रुपये देने की घोषणा की है और सभी घायलों के इलाज का फरिश्ते दिल्ली के योजना के तहत मुफ्त इलाज किया जाएगा। जो लोग निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं, उनके इलाज का खर्च भी सरकार फरिश्ते योजना के तहत उठाएगी।” पूरी खबर में हमें कहीं भी सिर्फ एक समुदाय को मुआवजा देने की बात का ज़िक्र नहीं मिला।

आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया और आईटी स्ट्रेटिजिस्ट अंकित लाल ने विश्‍वास न्‍यूज से बातचीत में बताया, ”मुआवजा सभी पीड़ितों के लिए है ना की किसी एक विशेष समुदाय के लिए। वायरल दावा पूरी तरफ फ़र्ज़ी है।”

अब बारी थी इस पोस्ट को फ़र्ज़ी हवाले के साथ शेयर करने वाले फेसबुक पेज ‘The New India’  की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि इस पेज से इससे पहले भी फ़र्ज़ी पोस्ट शेयर की जा चुकी हैं। वहीँ इस पेज को 5,376 यूजर फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विशवास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि आम आदमी पार्टी की तरफ से एलान किया गया मुआवज़ा सभी धर्म के पीड़ितों के लिए है, किसी एक विशेष समुदाय के लिए नहीं। वायरल की जा रही अख़बार की कटिंग एडिटेड है।

False
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