2016 में छपी पुरानी खबर को आगामी यूपी विधानसभा चुनाव से जोड़कर सपा के खिलाफ सियासी दुष्प्रचार किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही सोशल मीडिया पर पुरानी खबरें, तस्वीरें और वीडियो वायरल होने लगे हैं, जिनका मौजूदा स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है। वायरल हो रहे एक ऐसे ही पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने पर सभी मुस्लिम युवकों को नौकरी दिए जाने की घोषणा की है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। मुलायम सिंह के नाम से मुस्लिम युवाओं को नौकरी दिए जाने का दावा वर्ष 2016 की पुरानी खबर को आधार बनाकर किया जा रहा है। मुलायम सिंह यादव अब समाजवादी पार्टी के संरक्षक हैं न कि पार्टी प्रमुख, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया गया है। इससे भी स्पष्ट होता है कि वायरल हो रही खबर पुरानी है, जिसे आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर राजनीतिक दुष्प्रचार किया जा रहा है।
फेसबुक यूजर ‘Hindu Rajan Gurjar’ ने अपनी प्रोफाइल से वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”और जो ब्राह्मण सम्मेलन किया था उसका क्या ?यह कितना ही ब्राह्मण सम्मेलन कर ले लेकिन इनकी सुई वही जाकर टिकेगी…?”
अखबार की जिस प्रति की तस्वीर को उन्होंने साझा किया है, उसकी हेडलाइन इस तरह है, ”मुलायम संदेश यात्रा. सपा प्रमुख ने फिर खेला मुस्लिम कार्ड। सपा सत्ता में आयी, तो सभी मुसलिम युवकों को नौकरी।”
वायरल पोस्ट में एक समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट की तस्वीर लगी हुई है, जिसकी हेडलाइन को ऐसे पढ़ा जा सकता है, ”मुलायम संदेश यात्रा। सपा प्रमुख ने फिर खेला मुसलिम कार्ड। सपा सत्ता में आयी, तो सभी मुसलिम युवकों को नौकरी।” रिवर्स इमेज सर्च में हमें यह तस्वीर ट्विटर यूजर ‘Neeraj Mishra’की प्रोफाइल पर लगी मिली। उन्होंने अपनी प्रोफाइल से 12 सितंबर 2016 को खबर को शेयर करते हुए लिखा है, ‘हमने तो सिर्फ सुना था कि राजनेता धर्म की राजनीति करते हैं, लेकिन आज देख भी लिया।’
शेयर की गई अखबार की खबर एजेंसी के हवाले से लिखी गई है, जिसमें लिखा हुआ है, ‘सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर मुसलिम कार्ड खेला है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अयोध्या में विवादित ढांचा गिरवा दिया था। उसके बाद मुसलमानों ने सपा की सरकार बनवायी। मुसलमान हमारे खिलाफ नहीं है। आज महिलाओँ और मुसलमानों को पार्टी से ज्यादा जोड़ने की जरूरत है।’
इस कीवर्ड से सर्च करने पर हमें कई पुरानी खबरें मिली, जिसमें मुलायम सिंह के इस बयान का जिक्र है। नवोदय टाइम्स की वेबसाइट पर 10 सितंबर 2016 को प्रकाशित रिपोर्ट में हमें इस खबर का पूरा विवरण मिला। खबर के मुताबिक, ‘उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले ‘मुस्लिम कार्ड’ खेलते हुए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा कि बीजेपी ने अयोध्या में विवादित ढांचा गिरवा दिया था। उसके बाद मुसलमानों ने सपा की सरकार बनवायी। उन्होंने दावा किया कि जनता एक बार फिर भारी बहुमत से सपा की सरकार बनवाएगी। सपा प्रमुख ने ‘मुलायम संदेश यात्रा’ की शुरुआत के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भाजपा ने मस्जिद गिरवा दी थी। इसके बाद मुसलमानों ने हमारी सरकार बनवायी। मुसलमान हमारे खिलाफ नहीं है। अयोध्या में हमने किसी को मरवाया नहीं, फिर भी मुकदमा लिखा दिया गया।’
इस खबर की हेडलाइन और विवरण वायरल पोस्ट में नजर आ रही खबर से हूबहू मेल खाती है। नईदुनिया की वेबसाइट पर भी 10 सितंबर 2016 को प्रकाशित रिपोर्ट में भी यह खबर हमें मिली।
सोशल मीडिया सर्च में हमें 10 सितंबर 2016 की तारीख के कई पुराने ट्वीट्स मिले, जिसमें मुलायम सिंह यादव की संदेश यात्रा का जिक्र है।
वायरल हो रही खबर में सपा प्रमुख के तौर पर मुलायम सिंह यादव के नाम का जिक्र है, जिससे इस खबर के पुरानी होने की पुष्टि होती है। समाजवादी पार्टी की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, जनवरी 2017 से अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के प्रेसिडेंट या प्रमुख हैं, वहीं मुलायम सिंह यादव पार्टी के संस्थापक और संरक्षक हैं।
वायरल पोस्ट को लेकर हमसे हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के लखनऊ ब्यूरो चीफ अजय जायसवाल ने कहा, ‘मुलायम सिंह यादव की तरफ से आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया है। उनकी तबीयत अब अक्सर ठीक नहीं रहती है, इस वजह से वह सक्रिय राजनीति से दूर हैं।’
वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में स्वयं को राजस्थान का रहने वाला बताया है। इस प्रोफाइल से विशेष राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित सामग्री शेयर की जाती है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में यह साबित हुआ कि मुलायम सिंह के नाम से वायरल हो रहा बयान 2016 में छपी खबर का है, जब वह पार्टी के प्रेसिडेंट हुआ करते थे। इसी दौरान उनके दिए गए पुराने बयान को राजनीतिक दुष्प्रचार की मंशा के तहत आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।
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