वायरल पोस्ट फर्जी है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को धक्का मारने वाले हाथी को नहीं मारा गया था। स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के कारण इस घटना के कई महीने बाद इसकी मृत्यु हो गई थी।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक कोलाज वायरल हो रहा है जिसमें 2 तस्वीरें हैं। पहली तस्वीर में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता की एक हाथी के साथ तस्वीर है और दूसरी तस्वीर में एक मृत हाथी की तस्वीर है। इस कोलाज को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ वायरल किया जा रहा है कि जयललिता पर इस हाथी के बच्चे ने हमला किया, जिसके एक हफ्ते के बाद इस हाथी को मरवा दिया गया।
Vishvas News की जांच में यह दावा फर्जी निकला। मुदुमलाई टाइगर रिजर्व के एक अधिकारी ने विश्वास न्यूज़ से बात करते हुए दावों का खंडन किया।
क्या हो रहा है वायरल
सोशल मीडिया पर वायरल कोलाज में 2 तस्वीरें हैं। पहली तस्वीर में जे जयललिता की एक हाथी के साथ तस्वीर है और दूसरी तस्वीर में एक मृत हाथी की एक तस्वीर है। पोस्ट के साथ दावा किया गया है कि कावेरी नाम के हाथी को सीएम पर हमला करने के एक हफ्ते के भीतर मार दिया गया था।
वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
हमने सबसे पहले इंटरनेट पर कीवर्ड्स के साथ खोजा। हमें NDTV की एक खबर मिली जिसमें जयललिता पर हुए हाथी के हमले के डिटेल्स थे। खबर के अनुसार “तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को तब बहुत आश्चर्य हुआ जब उन्होंने मुदुमलाई में एक हाथी शिविर में एक हाथी के बच्चे को फल खिलाने की कोशिश की और दो वर्षीय हाथी के बच्चे ने मुख्यमंत्री को धक्का दे दिया।” खबर को 31 जुलाई 2013 को पब्लिश किया गया था।
हालाँकि हमें इस बात की पुष्टि करने वाला कोई प्रामाणिक स्रोत नहीं मिला कि कावेरी नाम के इस हाथी को मारा गया था।
Vishvas News ने तमिलनाडु के मुदुमलाई टाइगर रिजर्व (MTR) में हाथियों के बचाव में कार्यरत एक अधिकारी से संपर्क किया। उन्होंने कहा “वायरल पोस्ट फर्जी है। स्वर्गीय मुख्यमंत्री के साथ हुई घटना के कई महीने बाद कावेरी (हाथी) की प्राकृतिक कारणों से मौत हो गई थी। इसके अलावा, वायरल पोस्ट में जिस मृत हाथी की तस्वीर है वो कावेरी नहीं है। यह किसी दुसरे हाथी की तस्वीर है जिसे हमने धर्मपुरी से बचाया था।”
हमने त्रिशूर स्थित पशु चिकित्सा सर्जन डॉ पी बी गिरीदास से भी संपर्क किया, जिन्होंने उस समय हाथी कावेरी का इलाज किया था। उन्होंने कहा “दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा हाथी का नामकरण किया गया था। वायरल दावा फर्जी है। मुझे याद है, कावेरी (हाथी) बीमार हो गया था और उसका इलाज किया गया था … उसकी मृत्यु एक संक्रमण से हुई थी।”
वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक पेज ‘தலைவரின் உடன்பிறப்புகள்’ की सोशल स्कैनिंग से पता चला कि फेसबुक पर इसके 1,17,689 फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: वायरल पोस्ट फर्जी है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को धक्का मारने वाले हाथी को नहीं मारा गया था। स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के कारण इस घटना के कई महीने बाद इसकी मृत्यु हो गई थी।
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