Fact Check: गोंडा में युवक को जिंदा जलाने की घटना सांप्रदायिक नहीं, सड़क पर हुए झगड़े का नतीजा

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक दावे के साथ कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के गोंडा में एक हिंदू युवा विष्णु गोस्वामी को चार मुस्लिम युवकों ने पहले पेट्रोल से नहलाया और आग लगा दी।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह पोस्ट गुमराह करने वाला साबित होता है, जिसे जानबूझकर सांप्रदायिक सौहार्द्र की भावना को बिगाड़ने के मकसद से गलत दावे के साथ वायरल किया गया।

क्या है वायरल पोस्ट में?

वायरल पोस्ट में तीन तस्वीरें एक साथ नजर आ रही है, जिसमें एक व्यक्ति के शरीर में आग लगी हुई नजर आ रही है और दावा किया गया है, ‘उत्तर प्रदेश के गोंडा में एक हिंदू युवा विष्णु गोस्वामी को चार मुस्लिम इमरान, रमजान, निजामुद्दीन, तुफैल ने पहले पेट्रोल से नहलाया और फिर आग लगा दी। हालांकि, चारों जिहादी गिरफ्तार है। पर मॉब लिंचिंग चिल्लाने वाला गैंग कहां मर गया??’

फेसबुक पर वायरल हो रही गुमराह करने वाली तस्वीर

पड़ताल

आग से लिपटे युवक की तस्वीर को रिवर्स इमेज करने पर हमें गोंडा पुलिस का ट्वीट मिला, जिसमें बताया गया है कि वायरल हो रही तस्वीर भ्रामक है। गोंडा पुलिस ने इस तस्वीर को लेकर उन लोगों को चेताया था, जो इसका इस्तेमाल कर वारदात को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे थे।

https://twitter.com/gondapolice/status/1128894978376310785

16 मई 2019 को गोंडा पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में इस तस्वीर का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि दिनांक 14-05-2019 को थाना को देहात क्षेत्र में युवक को जला कर मारने वाले प्रयास करने वाले सभी अभियुक्तों के विरुद्ध पुलिस द्वारा तत्काल कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। परंतु देखने में आ रहा है कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर उपरोक्त प्रकार की भ्रामक इमेज पोस्ट कर अफवाह फैलाते हुए घटना को सांप्रदायिक रंग देकर माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं, जो कि पूर्णतया गैरकानूनी व गैरजिम्मेदाराना हरकत है। गोंडा पुलिस अनुरोध करती है कि सांप्रदायिका सौहार्द्र और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में जिम्मेदार नागरिक का परिचय देते हुए पूर्ण सहयोग प्रदान करें। किसी प्रकार का कोई दुष्प्रचार न करें। अन्यथा संबंधित के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कर विधिक एवं कठोर कार्रवाई की जाएगी।’

यानि जिस तस्वीर को गोंडा की घटना बताते हुए प्रचारित किया गया, वह किसी पुरानी घटना के वीडियो से ली गई थी और उसका 14 मई 2019 को हुई वारदात से कोई संबंध नहीं था।

घटना की पुष्टि दैनिक जागरण में 15 मई को प्रकाशित खबर से होती है। खबर में लगी तस्वीर पोस्ट में शामिल दूसरी तस्वीर है, जिसमें सभी गिरफ्तार आरोपी पुलिस के साथ नजर आ रहे हैं।

दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर

खबर के मुताबिक, ‘पीड़ित युवक विष्णु गोस्वामी खोरहंसा कस्बे में पिता रामगीर गोस्वामी की पिटाई कर रहा था। इस पर दोनों में विवाद हो रहा था। यह देख वहां पर लोग जुटे हुए थे। पास में खड़े लोगों ने वजह पूछी तो विष्णु से उनका विवाद शुरू हो गया। विवाद देखते ही देखते इतना बढ़ गया कि स्थानीय दबंग युवकों ने पेट्रोल डालकर उसे जला दिया। पकड़े गए आरोपितों से पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि विवाद में कुछ बात ऐसी हुई, जो आरोपितों के दिल को लग गई। इसी के चलते यह घटना हुई।’

जिले के पुलिस अधीक्षक के मुताबिक, ‘पुलिस ने खोरहंसा निवासी इमरान, मास्टर उर्फ रमजान, निजामुद्दीन और चिश्तीपुर निवासी तुफैल को गिरफ्तार कर लिया।’ गोंडा पुलिस के मुताबिक, मामले में शामिल सभी आरोपी मुस्लिम समुदाय के थे, लेकिन यह घटना सांप्रदायिक नहीं होकर आपसी मारपीट की थी, जो हिंसक हो गई।

जिस घटना के वीडियो से इस तस्वीर को लिया गया है, उसे यू-ट्यूब पॉलिसी वॉयलेशन की वजह से अपने प्लेटफॉर्म से हटा चुका है।

सर्च में हमें फेसबुक यूजर्स सुशील शुक्ला (Susheel Shukla) के प्रोफाइल पर करीब दो महीने पुराना वीडियो मिला, जिसमें पीड़ित विष्णु गोस्वामी के भाई नजर आ रहे हैं।

गोंडा पुलिस की तरफ से जारी किए गए इस वीडियो में राजकुमार गोस्वामी ने कहा, ‘हमने इस घटना के बारे में अपने नेताओं को जानकारी दी। गोंडा की पुलिस ने दोषियों को 6 घंटे के भीतर गिरफ्तार किया। मैं नहीं चाहता हिंदू-मुस्लिम दंगा हो। जो दोषी हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। दंगा फसाद मैं नहीं चाहता हूं।’

न्यूज सर्च में हमें पता चला विष्णु गोस्वामी को गंभीर हालत में इलाज के लिए लखनऊ भेजा गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक 20 मई 2019 को खोरहंसा इलाके में कड़ी सुरक्षा के बीच गोस्वामी का अंतिम संस्कार किया गया।

निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश के गोंडा में एक युवक को जिंदा जला देने की घटना में कोई सांप्रदायिक नजरिया नहीं था, बल्कि यह कहासुनी से शुरू हुए विवाद की हिंसक परिणति थी, जिसमें शामिल सभी आरोपियों को पुलिस ने घटना के तत्काल बाद गिरफ्तार करते हुए उन लोगों को चेताया था, जो इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे थे।

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