नए वर्गीकरण के आधार पर भारत 'विकासशील' देशों की श्रेणी से निकल निम्न मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में आ गया है, लेकिन यह किसी तरह की गिरावट को नहीं दर्शाता है और न ही भारत के इस श्रेणी में आने का मतलब उसकी अर्थव्यवस्था के इसी श्रेणी में शामिल अन्य छोटे देशों के बराबर हो जाना है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर हिंदी समाचार वेबसाइट जनसत्ता पर प्रकाशित एक खबर का स्क्रीनशॉट शेयर किया जा रहा है, जिसके मुताबिक विश्व बैंक ने भारत के विकासशील देश के दर्जे को हटा दिया है, जिसकी वजह से भारत अब जांबिया और घाना जैसे देशों के बराबर की स्थिति में आ गया है। वायरल पोस्ट को शेयर किए जाने के समय से यह प्रतीत हो रहा है कि ऐसा हाल में हुआ है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को भ्रामक पाया। वायरल पोस्ट में जिस सूचना का दावा किया गया है, वह सही है, लेकिन यह 2016 का समाचार है, जब विश्व बैंक ने देशों के वर्गीकरण के नामाकरण की पद्धति को बदलते हुए विकसित और विकासशील देशों की बजाए देशों को उनकी प्रति व्यक्ति आय के आधार पर वर्गीकृत किए जाने की शुरुआत की थी। इस नए वर्गीकरण में देशों को निम्न आय अर्थव्यवस्था, निम्न मध्य आय अर्थव्यवस्था, उच्च मध्य आय अर्थव्यवस्था और उच्च आय अर्थव्यवस्था में विभाजित किया गया था। नए वर्गीकरण की पद्धित में शामिल श्रेणी में आने का मतलब यह नहीं है कि भारत की अर्थव्यवस्था सिकुड़ गई है और उसका आकार और हैसियत जांबिया या घाना जैसे देशों के बराबर हो गया है।
फेसबुक यूजर ‘योगेश सिंह’ ने वायरल पोस्ट को शेयर किया है, जिसमें हिंदी न्यूज पोर्टल जनसत्ता की खबर के एक स्क्रीनशॉट को देखा जा सकता है। खबर की हेडलाइन को ऐसे पढ़ा जा सकता है, ‘वर्ल्ड बैंक ने हटाया भारत के विकासशील देश का टैग, अब पाक, जांबिया और घाना जैसे देशों के बराबर रखा।’
कई अन्य यूजर्स ने इस स्क्रीनशॉट को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
सभी पोस्ट को शेयर किए जाने की तारीख से इसके हाल का होने का भ्रम होता है। सर्च में यह खबर जनसत्ता की वेबसाइट पर लगी मिली, जिसे पांच जून 2016 को प्रकाशित किया गया है।
एजेंसी के हवाले से लिखी इस खबर में बताया गया है, ‘वर्ल्ड बैंक ने भारत को लेकर विकासशील देशों का तमगा हटा दिया है। भारत अब लोअर मिडिल इनकम कैटेगरी में गिना जाएगा। भारत नए बंटवारे के बाद अब जांबिया, घाना, ग्वाटेमाला, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों की श्रेणी में आ गया है।’
इकोनॉमिक टाइम्स की वेबसाइट पर भी यह खबर लगी मिली। 31 मई 2016 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, दशकों तक देशों को ‘विकसित’ और ‘विकासशील’ देशों की श्रेणी में रखकर निर्णय लिए जाते थे, लेकिन अब विश्व बैंक ने ज्यादा सटीक तरीका अपनाते हुए इस वर्गीकरण को बदल दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भारत, जो अब तक विकासशील देशों की श्रेणी में आता था, अब वह “निम्न मध्य आय” वाले देशों की श्रेणी में आ गया है।’
सभी पुरानी रिपोर्ट्स में इस बात का स्पष्ट रूप से जिक्र किया गया है कि विश्व बैंक की तरफ से अर्थव्यवस्थाओं के वर्गीकरण के आधार में बदलाव किया गया है और अब देशों की गणना ‘विकसित’ और ‘विकासशील’ देशों की श्रेणी में नहीं की जाएगी।
स्पष्ट है कि विश्व बैंक ने 2016 में अपने वर्गीकरण मानकों में बदलाव करते हुए देशों को ‘विकसित’ और ‘विकासशील’ देशों के तौर पर चिह्नित करने की बजाए जीएनआई प्रति व्यक्ति के आधार पर करने का फैसला लिया था। विश्व बैंक की वेबसाइट पर इस वर्गीकरण को देखा जा सकता है। विश्व बैंक की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक भारत अभी भी इसी आय श्रेणी वाले समूह में बना हुआ है।
वर्ल्ड बैंक की तरफ से मुहैया कराई गई जानकारी के मुताबिक, ‘निम्न आय अर्थव्यवस्था में उन देशों को शामिल किया गया है, जिनका जीएनआई प्रति व्यक्ति आय 2014 में 1,045 डॉलर या उससे कम रहा है। वहीं, निम्न मध्य आय अर्थव्यवस्था में जीएनआई प्रति व्यक्ति 1046-4,125 डॉलर, उच्च मध्य आय अर्थव्यवस्था में जीएनआई प्रति व्यक्ति 4,126-12,735 डॉलर आय को रखा गया है। उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में वैसे देशों को रखा गया है, जहां जीएनआई प्रति व्यक्ति 12,736 डॉलर या उससे अधिक है।’
अर्थव्यवस्थाओं के नए वर्गीकरण को लेकर हमने वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरुण कुमार से संपर्क किया। उन्होंने बताया, ‘2016 में विश्व बैंक ने अर्थव्यवस्थाओं के वर्गीकरण को ‘विकासशील’ और ‘विकसित’ देशों से हटाकर जीएनआई प्रति व्यक्ति के आधार पर तय करने का फैसला लिया और यह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के नई उभरती जरूरतों के मुताबिक किया गया। विश्व बैंक का यह तरीका बताता है कि उन्हें देशों के साथ किस तरह से डील करना है।’
उन्होंने कहा, ‘भारत को अन्य छोटे देशों के साथ निम्न मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह किसी तरह की रेटिंग में आई गिरावट है या भारत की स्थिति घाना, जांबिया और घाना जैसी हो गई है। भारत की अर्थव्यवस्था का आकार इन देशों से काफी बड़ा है और नई श्रेणी में औसत आय को मानक बनाया गया है, लेकिन इस तरीके में भी विसंगतियां है, क्योंकि भारत में जो पहले से अधिक समृद्ध हैं, उनकी आय बढ़ती जा रही है और जो गरीब है, वह पहले के मुकाबले और गरीब हुए हैं, लेकिन समग्र तौर पर औसत निकालेंगे तो आपको प्रति व्यक्ति आय में इजाफा होता दिखेगा। औसत आय, आय के वितरण को नहीं दिखाता है।’
वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब चार हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: हमारी जांच से स्पष्ट है कि विश्व बैंक ने 2016 में अर्थव्यवस्थाओं के वर्गीकरण के तरीके को बदलते हुए उसे जीएनआई प्रति व्यक्ति के आधार पर कर दिया था। नए वर्गीकरण के आधार पर भारत ‘विकासशील’ देशों की श्रेणी से निकल निम्न मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में आ गया है, लेकिन यह किसी तरह की गिरावट को नहीं दर्शाता है और न ही भारत के इस श्रेणी में आने का मतलब उसकी अर्थव्यवस्था के इसी श्रेणी में शामिल अन्य छोटे देशों के बराबर हो जाना है।
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