नई दिल्ली (विश्वास टीम)- सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, तस्वीर में एक बुज़ुर्ग, तीन महिलाओं और कुछ बच्चों को देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है की यह सारे बच्चे इसी बुज़ुर्ग शख्स के हैं और तीनो महिलाएं इनकी बीवियां हैं। विश्वास टीम की पड़ताल में यह दावा फ़र्ज़ी साबित होता है। तस्वीर में नज़र आ रहे बच्चे बुज़ुर्ग शख्स के पोता-पोती हैं और तीन महिलाओ में से एक उनकी बीवी और बाकी बहुएं हैं।
फेसबुक पेज ‘जनसंख्या नियंत्रण क़ानून’ की तरफ से 15 सितम्बर को एक तस्वीर शेयर की जाती है। तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन में लिखा है, ”1 शौहर 3 बीबी और मात्र 32 प्यारे-प्यारे बच्चे वो भी सिर्फ एक झोपड़ी में ये डुमरियागंज के* बनगवां बरई गांव की तस्वीर है
यह ट्रिपल तलाक कानून के मामले में शरीयत के अनुसार चलना चाहते है।
लेकिन ये इन बच्चों के खाने-पीने रहने की परवरिश टैक्सपेयर के पैसे से प्राप्त सब्सिडी से करना चाहते है।
जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता है
जनसंख्यानियंत्रणकानून
सख्त क़ानून बनाओ
भारत को बचाओ”
अबतक 1 हज़ार से भी ज़्यादा लोग इस तस्वीर को शेयर कर चुके हैं, वहीं 621 लोगों ने तस्वीर पर रियेक्ट किया है।
हमने पाया की इस फ़र्ज़ी दावे वाली तस्वीर को फेसबुक पर बहुत से यूजर शेयर कर रहे हैं।
वायरल तस्वीर को हमने रिवर्स इमेज से सर्च किया और हमें ThePrint के वेरिफाइड यूट्यूब अकाउंट पर 11 मई 2019 को अपलोड की गयी एक रिपोर्ट मिली। जिसकी सुर्खी थी, ‘‘एक झोंपड़ी में रहते हैं 38 लोग, सरकारी योजना के तहत घर न मिलने से नाराज’’ इस वीडियो रिपोर्ट में हमें वही परिवार नज़र आया जिसे फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
इस वीडियो में परिवार के मुखिया यानि बुज़ुर्ग को 1 मिनट 25 सेकंड पर यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘हमारे 6 लड़के हैं 6 बहुएं हैं, पोता-पोती हैं।’’ वीडियो में एक महिला की तरफ इशारा करते हुए वो उन्हें अपनी बीवी भी बताते हैं। इसी वीडियो में 2 मिनट 35 पर यह बुज़ुर्ग शख्स को कहते हए सुना जा सकता है, ‘‘हम नाई हैं, हमारी कोई खेती नहीं है, लड़के मज़दूरी के लिए गए हुए हैं, हम भी मज़दूरी करते हैं।’’
अब हमने वीडियो में नज़र आ रहे ThePrint के रिपोर्टर प्रशांत श्रीवास्तव से बात की और उनसे इस रिपोर्ट और इस परिवार के बारे में जानने की कोशिश की। उन्होंने बताया,‘‘यह डुमरियागंज का बनगवां बरई गांव है जहाँ 38 लोगों का परिवार एक कच्चे मकान में रहने को मजबूर है। यह वीडियो रिपोर्ट सरकारी आवास योजना के तहत कुछ परिवारों को घर न मिलने के बारे में है।’’ उन्होंने वायरल तस्वीर के बारे में बात करते हुए बताया, ‘‘वायरल किया जा रहा दावा फ़र्ज़ी है। वीडियो और तस्वीर में दिखाई दे रहे सभी बच्चे बुज़ुर्ग के बच्चों के बच्चे यानि पोता-पोती हैं।’’
अपनी खबर को पुख्ता करने के लिए हमने दैनिक जागरण के डुमरियागंज के इंचार्ज पप्पू रिज़वी से हुई। उनके साथ हमने वायरल तस्वीर शेयर की। उन्होंने हमें बताया, ‘‘उत्तर प्रदेश के लोकसभा क्षेत्र डुमरियागंज के बनगवां बरई गांव में एक परिवार है जिसमें 35 लोग एक ही कच्चे मकान में रहते हैं। मई में यह परिवार ख़बरों में आया था। इस परिवार के मुखिया पुद्दन (73 साल) और उनकी बीवी मजीदुन्निसां (68 साल) की 2 लड़किया हैं जो अपने ससुराल में रहती हैं और 6 लड़के हैं जो इसी घर में अपने बीवी और बच्चों के साथ रहते हैं। इनमें राजू (48 साल), गुड्डू (43 साल), बब्लू (40 साल), पप्पू (38 साल), शब्बू (35 साल), लुब्बू (30 साल ) शामिल हैं। राजू के 3, गुड्डू के 5, बब्लू के 6, पप्पू के 3, लुब्बू के 1 व शब्बू के 3 बच्चे हैं। छह बहू के साथ परिवार के कुल सदस्यों की संख्या पैंतीस है।’’
अब बारी थी इस पोस्ट को फ़र्ज़ी हवाले के साथ वायरल करने वाले फेसबुक पेज ‘जनसंख्या नियंत्रण क़ानून’ की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया की इस पेज को18,315 लोग फॉलो करते हैं वहीं, एक धर्मविशेष के खिलाफ इस पेज पर पोस्ट की जाती हैं।
निष्कर्ष: विश्वास टीम की पड़ताल में वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दवा फ़र्ज़ी साबित होता है। तस्वीर में नज़र आ रहे बुज़ुर्ग के 32 बच्चे और तीन बीवियां नहीं हैं। बुज़ुर्ग के 6 लड़के हैं जो कमाते हैं और तस्वीर में मौजूद नहीं हैं। इसके साथ ही तस्वीर में दिखाई दे रहे सारे बच्चे उनके पोता- पोती के अलावा उनकी एक बीवी और बाकी 6 बहुएं हैं। यह दंपती गरीबी के कारण के ही कच्चे मकान में रहने को मजबूर है।
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