विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल वीडियो का उत्तर प्रदेश से कोई संबंध नहीं है। वीडियो मध्य प्रदेश में दो महीने पहले हुई घटना का है।
विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर पत्थरबाजी का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ लोग छत पर खड़े होकर पत्थरबाजी करते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को कानपुर हिंसा से जोड़ते हुए शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो उत्तर प्रदेश में हुई पत्थरबाजी का है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल वीडियो का उत्तर प्रदेश से कोई संबंध नहीं है। वीडियो मध्य प्रदेश में दो महीने पहले हुई घटना का है।
फेसबुक यूजर Mohammed Aaftab Chand ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, “मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश इन पत्थरबाजों पर भी कार्रवाई होगी या नहीं। इन पत्थरबाज़ों की गिरफ़्तारी कब होगी ? NSA लगे या नहीं? बुल्डोज़र कब चलेगा ?
इस पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने इनविड टूल की मदद से वीडियो के कई की-फ्रेम निकाले। फिर उन्हें गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल वीडियो Samiullah Khan नामक एक ट्विटर अकाउंट पर 14 अप्रैल 2022 को अपलोड मिला। कैप्शन में दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल वीडियो मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में हुई घटना का है।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने संबंधित कीवर्ड्स के जरिए सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें इस वीडियो से मिलता-जुलता एक वीडियो मध्य प्रदेश के एक पत्रकार काशिफ के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर मिला। काशिफ ने इस वीडियो 11 अप्रैल 2022 को शेयर किया था। काशिफ ने भी इस वीडियो को शेयर करते हुए इसे मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में हुई घटना का ही बताया है।
अधिक जानकारी के लिए हमने नईदुनिया खरगोन के ब्यूरो चीफ विवेक पाराशर से संपर्क किया। हमने वायरल वीडियो को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। यह वीडियो मध्य प्रदेश के खरगोन में तालाब चौक के समीप टवड़ी मोहल्ले के एक घर का है। उन्होंने हमारे साथ उस घर की कुछ तस्वीरों को भी शेयर किया, जहां से पत्थरबाजी की गई थी।
पड़ताल के अंत में हमने इन तस्वीरों को हालिया बताकर शेयर करने वाले पेज की सोशल स्कैनिंग की। हमें पता चला कि Mohammed Aaftab Chand जुलाई 2016 से फेसबुक पर सक्रिय हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल वीडियो का उत्तर प्रदेश से कोई संबंध नहीं है। वीडियो मध्य प्रदेश में दो महीने पहले हुई घटना का है।
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