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Fact Check: प्रवासी मज़दूरों के दुर्व्यवहार का वीडियो गलत दावे के साथ किया जा रहा है वायरल

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि इन लोगों ने बैठ कर खाना परोसने की मांग की थी, जिसको खाना बनाने वाली महिला ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मना कर दिया और खाना टेबल पर रख दिया। इस बात पर नाराज़ इन लोगों ने खाने की टेबल पर लात मार दी। इस घटना को गलत सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में कोई दलित कोण नहीं था।

  • By: Pallavi Mishra
  • Published: May 25, 2020 at 07:10 PM
  • Updated: Aug 29, 2020 at 05:07 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। आजकल एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है, जिसमें 2 लोगों को चिल्लाते और एक खाने की टेबल पर लात मारते देखा जा सकता है। वीडियो के साथ लिखे कैप्शन में ये बताने की कोशिश की गई है कि यह लोग प्रवासी मज़दूर हैं, जिन्होंने आइसोलेशन सेंटर में खाने की टेबल पर इसलिए लात मारी, क्योंकि इस खाने को एक दलित महिला ने बनाया था।

इस वीडियो को जब चेक किया गया तो विश्वास न्यूज़ ने पाया कि इन लोगों ने बैठ कर खाना परोसे जाने की मांग की थी, जिसको खाना बनाने वाली महिला ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मना कर दिया और खाना टेबल पर रख दिया। इस बात पर नाराज़ इन दोनों ने खाने की टेबल पर लात मार दी। इस घटना को गलत जातीय रंग देने की कोशिश की जा रही है।

क्या हो रहा है वायरल

वायरल वीडियो में 2 लोगों को चिल्लाते और एक खाने की टेबल पर लात मारते देखा जा सकता है। वीडियो के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “Food cooked by a Dalit cook was refused by a patient in Quarantine. The patient kicks the food to save his honor. Extremely shameful and disgusting.” जिसका हिंदी अनुवाद होता है “दलित रसोइए द्वारा पकाया गया भोजन क्वारंटाइन में एक मरीज ने खाने से मना कर दिया और भोजन को लात मार दी। बेहद शर्मनाक और घृणित।”

इस पोस्ट का फेसबुक लिंक यहां और आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

इस वीडियो को InVID टूल पर डालने पर हमें एक फ्रेम में एक दीवार पर लिखे स्कूल के नाम के साथ “मधवापुर” लिखा दिखा।

सही कीवर्ड के साथ ढूंढ़ने पर हमें पता चला कि वीडियो बिहार के मधुबनी जिले का है, जहां मधवापुर ब्लॉक के एक स्कूल को आइसोलेशन केंद्र में बदल दिया गया है।

ढूंढ़ने पर हमें दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट मिली जिसके शीर्षक में लिखा था ‘VIDEO: बिहार के मधुबनी में प्रवासियों ने भोजन में मारी लात, महिला रसोइयों से किया दुर्व्यवहार।’ इस खबर को 18 मई, 2020 को पब्लिश किया गया था। इस खबर में अंदर लिखा था ‘मध्य विद्यालय साहरघाट क्वारंटाइन सेंटर पर 25 प्रवासी मजदूर क्वारंटाइन में हैं। एमडीएम के रसोइयों के द्वारा इन प्रवासी मजदूरों को भोजन बनाकर खिलाया जाता है। सोमवार दोपहर महिला रसोइया ने थाली में खाना परोस कर बेंच पर रख दी। मगर, प्रवासी मजदूरों में से कुछ ने बिना सोशल डिस्टेंसिंग बनाए बैठकर खाना खिलाने को कहा। रसोइयों के द्वारा मना करने पर प्रवासियों ने बेंच पर रखे भोजन को पैर मारकर गिरा दिया। महिला रसोइयों के साथ दुर्व्यवहार करने लगे।’ खबर में इस तनाव की वजह बैठ कर खाना न खिलाना था। खबर में कहीं भी कोई सांप्रदायिक वजह का उल्लेख नहीं था।

हालाँकि कुछ ख़बरों में कहा गया कि मज़दूरों ने खाने पर लात खाने की ख़राब क्वालिटी के चलते मारी थी।

इस मामले में हमने मधवापुर के बीडीओ वैभव कुमार से फ़ोन पर बात की। उन्होंने कहा “इस मामले में प्राथमिकी लॉज की जा चुकी है। मामला सब जुडिशल है। मामले में पुलिस जांच चल रही है।”

ज़्यादा पुष्टि के लिए हमने सहारघाट पुलिस स्टेशन के एसएचओ सुरेंद्र पासवान से संपर्क साधा। उन्होंने हमें बताया “इस मामले में कोई दलित कोण नहीं था। कुछ लोग चाहते थे कि उन्हें टेबल पर भोजन नहीं परोसा जाए। वे चाहते थे कि रसोइया उन्हें बैठाए और खिलाए। जब रसोइया ने मना कर दिया तो हंगामा हुआ और प्रवासियों में से एक ने भोजन को लात मार दी। मामले में शिकायत दर्ज की गई है। खाने की क्वालिटी को लेकर कोई शिकायत नहीं की गयी है।”

इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर कई लोग शेयर कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है Fakendra Modi नाम का फेसबुक पेज। इस पेज के फेसबुक पर 41,043 फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि इन लोगों ने बैठ कर खाना परोसने की मांग की थी, जिसको खाना बनाने वाली महिला ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मना कर दिया और खाना टेबल पर रख दिया। इस बात पर नाराज़ इन लोगों ने खाने की टेबल पर लात मार दी। इस घटना को गलत सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में कोई दलित कोण नहीं था।

  • Claim Review : Food cooked by a Dalit cook was refused by a patient in Quarantine. The patient kicks the food to save his honor. Extremely shameful and disgusting.
  • Claimed By : Fakendra Modi
  • Fact Check : झूठ
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