Fact Check : जम्‍मू में दो साल पहले हुए गुज्‍जरों के प्रदर्शन के वीडियो को अब कश्‍मीर के नाम पर किया जा रहा है वायरल

Fact Check : जम्‍मू में दो साल पहले हुए गुज्‍जरों के प्रदर्शन के वीडियो को अब कश्‍मीर के नाम पर किया जा रहा है वायरल

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें कुछ लोगों को पुलिस गाड़ी में भरते हुए नजर आ रही है। लोग नारे लगा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि भारतीय पुलिस मुस्लिम कश्‍मरियों को पीट रही है। विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि दो साल पहले नवंबर 2017 में गुज्‍जर समुदाय के लोगों ने जम्‍मू में वनमंत्री चौधरी लाल सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया था। उसी वक्‍त के वीडियो को अब गलत इरादे के साथ वायरल किया जा रहा है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में

हुमायूं बशरत नाम के फेसबुक यूजर ने 27 अक्‍टूबर 2019 को इस वीडियो को अपलोड करते हुए दावा किया : Indian police beating up Muslims Kashmir 😢😢

इस वीडियो को अब तक 13 हजार से ज्‍यादा बार देखा जा चुका है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल वीडियो को ध्‍यान से देखा। 19 सेकंड के इस वीडियो में कुछ लोगों को विरोध-प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इसके बाद पुलिस इन लोगों को जबरिया गाड़ी में बैठाते हुए दिखी। इसके अलावा वीडियो में भेड-बकरियों को भी देखा जा सकता है। विश्‍वास न्‍यूज ने इस वीडियो को InVID टूल में अपलोड करके कई वीडियो ग्रैब निकाले और गूगल रिवर्स इमेज में सर्च करना शुरू किया। हमें Jammu Links News नाम के एक यूटयूब चैनल पर एक वीडियो मिला। इस वीडियो में भी हमें वही सब दिखा, जो वायरल वीडियो में था। 14 नवंबर 2017 को अपलोड इस वीडियो में बताया गया कि जम्‍मू व कश्‍मीर के वन मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए गुज्‍जर।

इसके बाद जांचआगे बढ़ाते हुए हमने कुछ कीवर्ड टाइप करके गूगल में जम्‍मू में हुए गुज्‍जर आंदोलनों की खबरों को सर्च करना शुरू किया। हमें कई जगह इससे जुड़ी खबरें मिलीं।

इंडिया टुडे वेबसाइट की खबर में बताया गया कि जम्‍मू व कश्‍मीर के वन मंत्री चौधरी लाल सिंह के घर के बाहर गुज्‍जर समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने यह प्रदर्शन वन भूमि से बेदखली के खिलाफ किया था।

पूरे मामले को गहराई में जानने के लिए विश्‍वास न्‍यूज ने दैनिक जागरण के जम्‍मू के वरिष्‍ठ संवाददाता राहुल शर्मा से बात की। उन्‍होंने बताया कि वायरल वीडियो अभी का नहीं, बल्कि दो साल पुराना है। उस वक्‍त गुज्‍जर बक्‍करवाल समुदाय के लोगों ने वन मंत्री लाल सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया था, क्‍योंकि वन मंत्री के आदेश पर गुज्‍जर बक्‍करवाल समुदाय के लोगों को वन भूमि से बेदखल कर दिया गया था। हालांकि, बाद में दोनों में समझौता हो गया था।

इसके बाद विश्‍वास न्‍यूज ने प्रदर्शन को समर्थन देने वाले अंजुमन ए इमामिया संस्‍था में बात की। वहां हमारी बात संस्‍था के सेक्रेटरी सुजात खान से हुई। उन्‍होंने बताया कि वायरल वीडियो करीब दो साल पुराना है। उस वक्‍त गुज्‍जर बक्‍करवाल समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया था। उसी वक्‍त के वीडियो को अब कश्‍मीर की फिजा को बिगाड़ने के लिए कुछ लोग इस्‍तेमाल कर रहे हैं। वायरल वीडियो को आगे बढ़ाने से पहले एक बार इसकी सत्‍यता लोगों को जरूर जाननी चाहिए।

अंत में हमने फेसबुक यूजर हुमायूं बशरत के अकाउंट की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि यह यूजर पाकिस्‍तानी मूल का है। इस अकाउंट को 86 हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। अकाउंट में दावा किया गया कि यूजर इटली में रहता है।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि वायरल वीडियो दो साल पुराना है। नवंबर 2017 में जम्‍मू में वनमंत्री चौधरी लाल सिंह के घर के बाहर गुज्‍जर समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया था। उसी प्रदर्शन के वीडियो को अब गलत संदर्भ के साथ वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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