विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि मोबाइल फोन छीनकर भागते हुए बाइक सवार का वीडियो जनवरी 2020 का है। इसका मेरठ से कोई संबंध नहीं है। यह घटना काफी पहले जालंधर में घटी थी। हमारी पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित होती है।
विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर एक सीसीटीवी फुटेज तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें एक बाइक सवार को सड़क पर सेल्फी ले रही युवती का मोबाइल छीनकर भागते हुए देखा जा सकता है। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह घटना यूपी के मेरठ में हुई है। विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की विस्तार से जांच की। हमें पता चला कि पंजाब के जालंधर की एक पुरानी घटना के वीडियो को अब कुछ लोग मेरठ का बताकर वायरल कर रहे हैं। हमारी जांच में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई।
फेसबुक यूजर इमरान चीकू ने 18 अगस्त को एक वीडियो को अपलोड करते हुए दावा किया : ‘और लो सेल्फी रोड पर मेरठ सिटी U.P.’
इस वीडियो को दूसरे यूजर्स भी शेयर कर रहे हैं। फेसबुक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।
मेरठ के नाम पर वायरल वीडियो की जांच करने के लिए हमने सबसे पहले यूट्यूब की मदद ली। इसमें संबंधित कीवर्ड को टाइप करके सर्च शुरू किया। हमें पहला ही वीडियो अमर उजाला के यूट्यूब चैनल पर मिला। इसमें यह वीडियो जनवरी 2020 को अपलोड किया गया था। हालांकि, पूरे वीडियो में यह नहीं बताया गया कि वीडियो कहां का है।
यह वीडियो हमें डेलीमेल की वेबसाइट पर मौजूद एक खबर में मिला। इसमें बताया गया कि जालंधर के पंजाब में मोबाइल छीनने की यह घटना घटी थी। इस खबर को 3 फरवरी 2020 को पब्लिश की गई थी। पूरी खबर यहां पढ़ें।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज ने पंजाब में दैनिक जागरण से संपर्क किया। हमें दैनिक जागरण जालंधर के डिप्टी न्यूज एडिटर दिनेश भारद्वाज ने बताया कि वायरल वीडियो जालंधर का है। पिछले साल की शुरुआत में यह घटना हुई थी।
पड़ताल के अंत में हमने जालंधर के पुराने वीडियो को मेरठ का बताकर वायरल करने वाले फेसबुक यूजर की जांच की। हमें पता चला कि फेसबुक यूजर इमरान चीकू हरियाणा के गुरुग्राम का रहने वाला है। इस अकाउंट को 34 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। यह अकाउंट जुलाई 2013 को बनाया गया था।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि मोबाइल फोन छीनकर भागते हुए बाइक सवार का वीडियो जनवरी 2020 का है। इसका मेरठ से कोई संबंध नहीं है। यह घटना काफी पहले जालंधर में घटी थी। हमारी पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित होती है।
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