Fact Check: दिल्ली के स्कूलों में अनिवार्य नहीं हुई उर्दू की पढ़ाई, वायरल दावा फेक है

विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट की पड़ताल में पाया कि यह खबर पूरी तरह फर्जी है। दिल्ली के स्कूलों में उर्दू भाषा को कम्पल्सरी नहीं किया गया है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। वायरल पोस्ट में एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट है। उसमें यह दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सभी स्कूलों में उर्दू भाषा को अनिवार्य कर दिया है। जब विश्वास न्यूज़ ने इस पोस्ट की पड़ताल की तो हमने पाया कि यह खबर पूरी तरह फर्जी साबित हुई है। दिल्ली के स्कूलों में उर्दू भाषा को कम्पल्सरी नहीं किया गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर ने एक ट्वीट के स्क्रीनशॉट को फेसबुक पर शेयर किया। ट्वीट में लिखा था, ‘दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के सभी स्कूलों में उर्दू कंपलसरी कर दी है क्या आपको जानकारी है ?? कबरुद्दीन का असली चेहरा अब सामने आ रहा है। ओला ओ ओबर।’

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने कीवर्ड्स डाल कर गूगल न्यूज़ सर्च किया। सर्च में हमें 12 मार्च 2020 को बिज़नेस इनसाइडर की वेबसाइट पर पब्लिश हुआ एक आर्टिकल लगा, जिसमें दी गयी जानकारी के मुताबिक, ‘नई एजुकेशन पॉलिसी के अनुसार, जो छात्र कक्षा 8 में अपनी तीसरी भाषा की परीक्षा पास नहीं करेंगे, उन्हें कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। छात्रों को हिंदी और अंग्रेजी के साथ किसी तीसरी भाषा को भी पढ़ना और पास करना होगा। इस तीसरी भाषा में संस्कृत, उर्दू या फ्रेंच लैंग्वेज हो सकती है।”

इस मामले से जुडी ख़बरें हमने खोजनी शुरू की और अपनी पड़ताल आगे बढ़ाई। हमें 13 अगस्त 2021 को न्यू इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर पब्लिश हुआ एक आर्टिकल मिला, जिसमें दिल्ली के सरकारी स्कूलों में उर्दू के शिक्षकों से जुडी जानकारी दी गयी है। इसी खबर में बताया गया, ‘उर्दू के शिक्षकों की भारी कमी के कारण अधिकांश स्कूलों में उर्दू को तीसरी भाषा के रूप में नहीं पढ़ाया जाता है, जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत, हिंदी भाषी राज्यों के छात्रों को हिंदी और अंग्रेजी के अलावा एक तीसरी भारतीय भाषा सीखने का अवसर मिला है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में संस्कृत और पंजाबी के साथ उर्दू को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है।”

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, इस वक़्त दिल्ली में, उर्दू, संस्कृत, पंजाबी, हिंदी, मैथिली-भोजपुरी, गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी, सिंधी और तमिल आदि आठ भाषा अकादमी कार्यरत हैं।

विश्वास न्यूज़ ने पोस्ट से जुडी पुष्टि के लिए हमारे साथी दैनिक जागरण में दिल्ली से एजुकेशन को कवर करने वाली रिपोर्टर ऋतिका मिश्रा से संपर्क किया और वायरल पोस्ट उनके साथ शेयर की। उन्होंने दिल्ली शिक्षा निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी से कन्फर्म करके बताया, ‘दिल्ली सरकार ने दिल्ली के स्कूलों में उर्दू को कम्पल्सरी नहीं किया गया है। यह दावा गलत है।’

फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक पेज ‘100 करोड़ हिन्दुओ एक हो जाओ’ की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया की यूजर को 132,323 लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट की पड़ताल में पाया कि यह खबर पूरी तरह फर्जी है। दिल्ली के स्कूलों में उर्दू भाषा को कम्पल्सरी नहीं किया गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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