हाथों में पत्थर लिए जवान की जिस तस्वीर को दिल्ली पुलिस का बताकर वायरल किया जा रहा है, वह दक्षिण भारत की वर्षों पुरानी तस्वीर है।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध और पक्ष में हुए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसक झड़प के बीच सोशल मीडिया पर एक पुलिसकर्मी की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें उनके हाथों में पत्थर नजर आ रहा है।
दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर दिल्ली पुलिस के जवान की है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला।
फेसबुक यूजर ‘ओवैसी फैन क्लब’ ने तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, ”आज इन्हीं की वजह से दिल्ली का माहौल खराब है।”
(फेसबुक पोस्ट का सामान्य लिंक और आर्काइव लिंक)
तस्वीर को एडिट कर उस पर लिखा गया है, ”दिल्ली पुलिस। खुद पत्थर मार रही है और शान्ति पुर्ण तरीके से लोग विरोध कर रहे हैं, उनको बदनाम किया जा रहा है।”
चूंकि वायरल पोस्ट में तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है, इसलिए हमने इसे गूगल रिवर्स इमेज की मदद से सर्च करने का फैसला लिया। रिवर्स इमेज किए जाने पर हमें ऐसे कई लिंक्स मिले, जिसमें इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।
सर्च में यह पता चला कि इस तस्वीर को कई तमिलभाषी यूजर्स ने कुछ सालों पहले पुलिस के हिंसक बर्ताव का दावा करते हुए शेयर किया है। वेरिफाइड ट्विटर यूजर वासुकी भास्कर ने इस तस्वीर को 24 जनवरी 2017 को अपनी टाइमलाइन पर शेयर किया है।
फेसबुक यूजर ‘Jallikattu Vs Peta’ ने भी इस तस्वीर को 24 जनवरी 2017 को अपनी प्रोफाइल पर शेयर किया है।
एडवांस सर्च में हमें यह तस्वीर और भी पुरानी डेटलाइन के साथ कई यूजर्स की प्रोफाइल पर शेयर दिखा। फेसबुक यूजर ‘Nirmalagiri College SFI’ ने इस तस्वीर को अपनी प्रोफाइल पर 23 अगस्त 2013 को शेयर किया हुआ है।
सर्च में हमें यह तस्वीर ‘NewsGlitz – Next Generation Tamil News Channel’ पर 23 जनवरी 2017 को अपलोड किए गए वीडियो के थंबनेल में भी दिखी। वीडियो के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, जल्लीकट्टू के दौरान हुए प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद पुलिसकर्मियों को गाड़ियों में आग लगाते हुए देखा गया।
यानी जिस तस्वीर को दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के जवान के पत्थरबाजी के दावे के साथ शेयर किया जा रहा है, वह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर 2013 से मौजूद है, जबकि दिल्ली में हिंसा की शुरुआत 23 फरवरी 2020 को हुई।
न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद और मौजपुर इलाके में सीएए विरोधी और समर्थकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद उन्मादियों ने घरों, दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इसके साथ ही चांदबाग और भजनपुरा इलाकों में भी हिंसक झड़पें हुई। इस हिंसा में दिल्ली पुलिस के एक जवान की भी मौत हो चुकी है।
हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के चीफ रिपोर्टर स्वदेश कुमार ने कहा कि तस्वीर में नजर आ रहा जवान दिल्ली पुलिस का नहीं है।
उन्होंने बताया, ‘तस्वीर में दिख रहे जवान का यूनिफॉर्म हाफ साइज का है, जबकि दिल्ली पुलिस के जवान अभी भी फुल यूनिफॉर्म में हैं।’ पुलिस के जवान गर्मियों में हाफ यूनिफॉर्म पहनते हैं, जबकि सर्दियों के दौरान फुल यूनिफॉर्म।
न्यूज एजेंसी और अन्य अखबारों में प्रकाशित खबरों में इस्तेमाल की गई तस्वीरों से इसकी पुष्टि होती है। एएनआई के वीडियो में दिल्ली पुलिस के जवानों को फुल यूनिफॉर्म में देखा जा सकता है।
वायरल पोस्ट शेयर करने वाले पेज ‘ओवैसी फैन क्लब’ को फेसबुक पर करीब 77,000 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: हाथों में पत्थर लिए जवान की जिस तस्वीर को दिल्ली पुलिस का बताकर वायरल किया जा रहा है, वह दक्षिण भारत की वर्षों पुरानी तस्वीर है।
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