नई दिल्ली (विश्वास टीम)। फेसबुक पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें यूनेस्को (UNESCO) के कथित सर्टिफिकेट का हवाला देते हुए दावा किया जा रहा है कि इस्लाम दुनिया का सबसे शांतिप्रिय धर्म है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह पोस्ट गलत साबित होता है।
यूनेस्को की तरफ से किसी भी धर्म विशेष को लेकर ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं जारी किया जाता है, क्योंकि यह शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था है।
वायरल पोस्ट में यूनेस्को का एक कथित सर्टिफिकेट लगा हुआ है, जिसमें अंग्रेजी में लिखा हुआ है, ‘Certificate Of Peace, on the 4th day of July 2016, We declare that Islam is the most peaceful religion of the world.’
हिंदी में यह मैसेज इस प्रकार है, ‘शांति का प्रमाण पत्र। जुलाई 2016 के चौथे दिन इस बात की घोषणा की जाती है कि इस्लाम दुनिया का सबसे शांतिप्रिय धर्म है।’
सर्च में हमें पता चला कि यह पहली बार नहीं है, जब यह प्रमाण पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इससे पहले भी 2017 में यह प्रमाण पत्र वायरल हो चुका है।
सर्टिफिकेट पर यूनेस्को डायरेक्टर जनरल इरिना बोकोवा का हस्ताक्षर नजर आ रहा है। साथ ही, यूनेस्को और इंटरनैशनल पीस फाउंडेशन का लोगो भी लगा हुआ है। यूनेस्को की डायरेक्ट्री के मुताबिक, बोकोवा 4-4 सालों के कार्यकाल के साथ दो बार यूनेस्को की महासचिव रहीं और उनका कार्यकाल 2009 से 2017 के बीच रहा।
सर्च के जरिए हमें पता चला कि सबसे पहले रेडियो पाकिस्तान के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस कथित न्यूज को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। 11 जुलाई 2016 को किए गए ट्वीट में बताया गया, ‘यूनेस्को ने इस्लाम को दुनिया का सबसे शांतिप्रिय मजहब करार दिया है।’ हालांकि, ट्वीट में जिस लिंक का इस्तेमाल करते हुए यह खबर दी गई है, उसे अब हटाया जा चुका है।
इस ट्वीट के बाद ही सोशल मीडिया पर यह कथित सर्टिफिकेट तेजी से वायरल हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस सर्टिफिकेट के बाद यूनेस्को ने सफाई जारी कर इस खबर का खंडन किया।
11 जुलाई 2016 को ही यूनेस्को की तरफ से बयान जारी कर इस खबर का खंडन कर दिया गया। बयान के मुताबिक, ‘हालिया कथित बयान, जिसमें यूनेस्को के सर्टिफिकेट का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि इस्लाम दुनिया का सबसे शांतिप्रिय मजहब है, फर्जी है।’
बयान के मुताबिक, ‘यूनेस्को की तरफ से ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया और जो सर्टिफिकेट दिखाया जा रहा है, वह फर्जी है। यूनेस्को का इंटरनैशनल पीस फाउंडेशन के साथ कोई संबंध नहीं है, नहीं उसने ऐसे किसी बयान का समर्थन किया है या ऐसा कोई दर्जा प्रदान किया है।’
यूनेस्को गैर-धार्मिक और संस्कृति के आपसी समन्वय को वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहत करने वाली संस्था है। इस वजह से यूनेस्को सभी परंपरा और आस्था का बराबरी के साथ सम्मान करता है।यूनेस्को के पूरे बयान को यहां पढ़ा जा सकता है।
यूनेस्को की साइट पर दी गई जानकारी से इसकी पुष्टि होती है। यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र की शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक ईकाई है और इसका संविधान इसे इन्हें क्षेत्रों में काम करने की अनुमति देता है।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर यूनेस्को के कथित सर्टिफिकेट के हवाले से इस्लाम को लेकर वायरल हो रहा पोस्ट फर्जी है। यूनेस्को की तरफ से कभी ऐसा कोई सर्टिफिकेट नहीं जारी किया गया, जिसमें किसी धर्म विशेष को प्रमाण पत्र जारी किया गया हो।
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