Fact Check : उज्‍ज्वला योजना को बदनाम करने के लिए वायरल की गई 2014 की पुरानी तस्‍वीर

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि वायरल तस्‍वीर उज्‍ज्वला योजना के लॉन्‍च होने से भी दो साल पहले की है। इस तस्‍वीर का उज्‍ज्वला योजना से कोई संबंध नहीं है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। देश में कोरोना महामारी के बीच कुछ लोग फर्जी पोस्‍ट करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। सोशल मीडिया में एक पुरानी तस्‍वीर को लोग झूठे दावों के साथ वायरल कर रहे हैं। तस्‍वीर में एक गरीब महिला को चूल्‍हे पर खाना बनाते हुए देखा जा सकता है। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि इस तस्‍वीर ने केंद्र सरकार की महत्‍वाकांक्षी उज्‍ज्वला योजना की पोल खोल दी।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमें पता चला कि वायरल तस्‍वीर 2014 की है, जबकि देश में उज्‍ज्वला योजना 2016 में लॉंन्‍च की गई है। जानबूझकर कुछ यूजर्स पुरानी तस्‍वीरों के जरिए उज्‍ज्वला योजना पर प्रश्‍न खड़ा कर रहे हैं।

क्‍या हो रहा है वायरल

कन्हैया लाल मेघवाल ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक तस्‍वीर को अपलोड करते हुए लिखा : ‘उज्जवला योजना की खुल गई पोल, आम जनता की हो रही है सीधी लूट’

यह ट्वीट 2 जून 2020 को किया गया था। इसके अलावा कई दूसरे यूजर्स भी पुरानी तस्‍वीर को फर्जी दावों के साथ वायरल कर रहे हैं।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल हो रही तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड करके सर्च किया। हमें सबसे पुरानी तस्‍वीर 9 जुलाई 2014 को न्‍यूयार्क टाइम्‍स में पब्लिश एक लेख में मिली। तस्‍वीर के कैप्‍शन में बताया गया कि यह तस्‍वीर जम्‍मू की है। इसे एसोसिएट प्रेस के लिए चन्‍नी आनंद ने लिया था। तस्‍वीर को दूसरी कई वेबसाइट ने भी अपनी खबरों के साथ इस्‍तेमाल किया था।

फोटो की जानकारी जुटाने के लिए हमने फोटो जर्नलिस्‍ट चन्नी आनंद से संपर्क किया। चन्‍नी जम्‍मू व कश्‍मीर में रहते हैं। उन्‍होंने विश्‍वास न्‍यूज को जानकारी देते हुए बताया कि अभी वायरल हो रही तस्‍वीर को उन्‍होंने 2014 में खींचा था।

अब हमें यह जानना था कि केंद्र सरकार की उज्‍ज्वला योजना देश में कब से लागू की गई। इसके लिए हम सरकारी वेबसाइट pmuy.gov.in पर गए। हमें पता चला कि प्रधानमंत्री उज्‍ज्वला योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को यूपी के बलिया से लॉन्‍च किया था।

पड़ताल में यह साफ हुआ कि लकड़ी के चूल्‍हे पर खाना बनाती हुई गरीब महिला की तस्‍वीर उज्‍ज्वला योजना के लॉंन्‍च होने से दो साल पुरानी है।

अंत में हमने फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की। कन्हैया लाल मेघवाल राजस्‍थान से हैं। उनके ट्विटर हैंडल पर पॉलिटिकल पोस्‍ट ज्‍यादा होती है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि वायरल तस्‍वीर उज्‍ज्वला योजना के लॉन्‍च होने से भी दो साल पहले की है। इस तस्‍वीर का उज्‍ज्वला योजना से कोई संबंध नहीं है।

False
Symbols that define nature of fake news
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