विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण किये जाने से जुड़ी पुरानी खबर को अब गलत संदर्भ के साथ वायरल किया जा रहा है। वायरल खबर लगभग दो साल पुरानी है। इसका हालिया कोयला संकट से संबंध नहीं है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। पंजाब में बिजली संकट के बीच सोशल मीडिया में अखबार की एक क्लिपिंग वायरल हो रही है। इसमें चंडीगढ़ शहर के बिजली विभाग का निजीकरण किए जाने के बारे में लिखा है। इसे अभी का समझकर वायरल करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स वायरल कर रहे हैं। वायरल अखबार की कटिंग में लिखा है, ‘बिजली विभाग को खरीदने टाटा अडानी समेत 9 कंपनियां आगे आईं।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। पड़ताल में पता चला कि चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण किये जाने से जुड़ी एक पुरानी खबर को अब गलत संदर्भ के साथ वायरल किया जा रहा है। वायरल खबर लगभग दो साल पुरानी है। इसका हालिया कोयला संकट से संबंध नहीं है। पोस्ट भ्रामक साबित हुई।
क्या हो रहा है वायरल
फेसबुक यूजर N.K.Nirmal ने 10 मई को अखबार की एक क्लिपिंग को अपने अकाउंट पर अपलोड करते हुए लिखा : ‘कोयला खत्म नहीं हुआ, किया गया है, बिजली विभाग को बेचने के लिए , आप लोग हमारा पेज फॉलो करें और शेयर करें।’
फैक्ट चेक के उद्देश्य से फेसबुक पोस्ट में लिखी गई बातों को हूबहू लिखा गया है। वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है। कई अन्य यूजर्स ने भी मिलते-जुलते दावे के साथ इसे शेयर किया है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने पड़ताल की शुरुआत करते हुए इस क्लिपिंग में लिखी हेडलाइन को गूगल पर सर्च करके की।19 नवंबर, 2020 को पब्लिश इस खबर में लिखा गया था :शहर के बिजली विभाग को खरीदने के लिए अडानी, टाटा समेत 9 कंपनियों ने अपनी इच्छा जताई है। इन सभी कंपनियों ने बिड में शामिल होने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरपीएफ) फॉर्म खरीदे हैं। अब यह देखना है कि टेंडर में इनमें से कौन-कौन सी कंपनियां शामिल होती हैं। दरअसल, प्रशासन ने बीते दिनों बिजली विभाग की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर जारी किया है।”अमर उजाला यह खबर वायरल क्लिपिंग से मिलती- जुलती थी। पूरी खबर यहां पढ़ें।
सर्च के दौरान हमें ट्विटर पर अमर उजाला के पत्रकार Rishu Raj Singh द्वारा 19 नवंबर, 2020 को किया गया एक ट्वीट मिला। पत्रकार रिशु ने अपने ट्वीट में वायरल क्लिपिंग को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा था , “चंडीगढ़ के बिजली विभाग को खरीदने के लिए अडानी, टाटा समेत 9 कंपनियों ने अपनी इच्छा जताई है। प्रशासन ने बीते दिनों बिजली विभाग की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर जारी किया है।” इससे मिलती- जुलती कई और पुरानी खबरें भी मिली। इससे यह बात साफ हो गई कि खबर पुरानी है। इसका हालिया कोयला संकट से संबंध नहीं है।
आगे हमने यह सर्च किया की हालिया ऐसा कुछ किया गया है या नहीं। हमें 28 मार्च, 2022 को दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। खबर अनुसार,’चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण मामले में यूटी पावर मैन यूनियन की ओर से निजीकरण के विरोध में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने यूटी प्रशासन से जवाब तलब किया। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी है और साफ शब्दों में कहा कि याचिका लंबित रहने तक निजीकरण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।’
मामले से जुडी Times of India की 02 अप्रैल, 2022 को प्रकाशित खबर को भी पढ़ा जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए हमने इस खबर को लिखने वाले पत्रकार रिशु राज सिंह से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि यह खबर पुरानी है। इसका हालिया कोयला संकट से कोई संबंध नहीं है। खबर को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। उन्होंने हमें यह भी बताया कि चंडीगढ़ बिजली विभाग की बिडिंग प्रक्रिया पूरी हो गई है, लेकिन इस मामले में कोर्ट में याचिका दायर किए जाने के कारण ये मैटर अभी कोर्ट में विचाराधीन है।
पूरे मामले को जानने के लिए हमने दैनिक जागरण के चंडीगढ़ के सीनियर रिपोर्टर बलवान करिवाल से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि चंडीगढ़ बिजली विभाग की बिडिंग प्रक्रिया पूरी हो गई है, लेकिन यूटी पावर मैन यूनियन की ओर से इस निजीकरण के विरोध में एक याचिका दायर की गई थी। इस मामले में कोर्ट में याचिका दायर किए जाने के कारण ये मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है।
विश्वास न्यूज ने पड़ताल के अंतिम चरण में फर्जी पोस्ट करने वाले यूजर की जांच की। फेसबुक यूजर N.K.Nirmal की सोशल स्कैनिंग में पता चला कि फेसबुक पर यूजर के 2.3K फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण किये जाने से जुड़ी पुरानी खबर को अब गलत संदर्भ के साथ वायरल किया जा रहा है। वायरल खबर लगभग दो साल पुरानी है। इसका हालिया कोयला संकट से संबंध नहीं है।
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