Fact Check : जोधपुर में तिरंगा झंडा को हटाकर नहीं लगाया गया इस्लामिक झंडा, भ्रामक दावा हुआ वायरल

विश्वास न्यूज के पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। दरअसल, जोधपुर शहर के एक चौराहे पर भगवा झंडा को उतार कर इस्‍लामिक झंडा लगाने को लेकर बवाल हुआ था। तिरंगा हटाए जाने की बात बेबुनियाद है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। राजस्थान के जोधपुर में ईद के दिन भड़की साम्प्रदायिक हिंसा के बाद से ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर फर्जी तस्वीरों और वीडियो के फैलने का सिलसिला जारी है। अब सोशल मीडिया के विभिन्न प्‍लेटफॉर्म पर 45 सेकंड का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो में चौराहे पर चारों तरफ लगे हरे रंग के इस्लामिक झंडे को देखा जा सकता है। सोशल मीडिया यूजर्स इस वीडियो को वायरल करते हुए दावा कर रहे हैं कि राजस्थान के जोधपुर के जालोरी गेट पर समुदाय विशेष के लोगों ने स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद बिस्सा जी के प्रतिमा से तिरंगा झंडा को उतारकर इस्लामिक झंडा लगा दिए।

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। यह भ्रामक साबित हुआ। दरअसल, शहर के बीचोंबीच बने चौराहे पर भगवा झंडा को हटाकर इस्‍लामिक झंडा लगाने के बाद पूरा बवाल शुरू हुआ था। तिरंगा झंडा हटाने की बात पूरी तरह बेबुनियाद है।

क्या हो रहा वायरल?

ट्विटर हैंडल Hindu Genocide Watch ने 3 मई को एक वीडियो को अपलोड करते हुए अंग्रेजी में लिखा : ‘Islamic goons replace Indian national flag with Islamic flag at #Jodhpur.’

फेसबुक पेज रंगीलो राजस्‍थान ने भी 6 मई को वीडियो अपलोड करते हुए दावा किया : ‘जोधपुर के जालोरी गेट पर भारत के शांतिप्रिय समुदाय विशेष के लोगों ने बालमुकुंद बिस्सा जी की मूर्ति से तिरंगा झंडा उतारकर इस्लामिक झंडा फहराया।’

सोशल मीडिया में कई अन्य यूजर्स ने भी इससे मिलते-जुलते वीडियो और दावों को शेयर किया। फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट के कंटेंट को हूबहू लिखा गया है। पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई जानने के लिए सबसे पहले वायरल दावा के आधार पर कीवर्ड तैयार किया। इसके बाद गूगल ओपन सर्च में ‘जोधपुर में मुस्लिम ने तिरंगे झंडे को हटाकर लगाया गया इस्लामिक झंडा लगाया’ टाइप करके खोजना शुरू किया। हमें एक भी ऐसी खबर नहीं मिली, जिसमें तिरंगा झंडा को हटाए जाने का कोई जिक्र हो।

सर्च के दौरान हमें दैनिक जागरण की वेबसाइट पर पब्लिश एक खबर मिली। 3 मई को प्रकाशित इस खबर में बताया गया कि राजस्‍थान के जोधपुर में जालोरी गेट चौक के बालमुकंद बिस्सा सर्कल में भगवा झंडा फहराए जाने के स्थान पर इस्लामिक चिह्न का झंडा लगाने को लेकर हुई हिंसक झड़प में जमकर पथराव हुआ। पूरी खबर यहां पढ़ें।

पड़ताल के दौरान हमें एबीपी न्‍यूज के यूट्यूब चैनल पर एक खबर मिली। 3 मई को अपलोड इस खबर में बताया गया कि जोधपुर में झंडे के कारण हुए बवाल के बाद प्रशासन ने जालोरी गेट पर तिरंगा लगा दिया।

अधिक जानकारी के लिए हमने जोधपुर पुलिस कंट्रोल रूम से संपर्क किया। वहां से हमें बताया गया कि चौराहे पर स्थित प्रतिमा के पास कोई स्थाई झंडा नहीं लगा हुआ था। वर्तमान हिंसा के बाद यहां तिरंगा झंडा को लगा दिया गया है।

ज्‍यादा जानकारी के लिए विश्‍वास न्‍यूज ने दैनिक जागरण के जोधपुर के रिपोर्टर रंजन दवे से भी संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि चौराहे पर पहले कभी तिरंगा झंडा नहीं लगा था। पूरा विवाद भगवा और हरे झंडे को लेकर हुआ था। विवाद के बाद अब यहां तिरंगा झंडा लगाया गया है।

पड़ताल के अंत में ट्विटर हैंडल Hindu Genocide Watch की सोशल स्‍कैनिंग की गई। पता चला कि यह हैंडल अप्रैल 2022 को बनाया गया। इसे एक हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज के पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। दरअसल, जोधपुर शहर के एक चौराहे पर भगवा झंडा को उतार कर इस्‍लामिक झंडा लगाने को लेकर बवाल हुआ था। तिरंगा हटाए जाने की बात बेबुनियाद है।

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