तिरुपति प्रसाद विवाद में तिरुपति मंदिर से 44 'गैर-हिंदू' कर्मचारियों को निकाले जाने या उन्हें बर्खास्त किए जाने का दावा फेक है। 2018 में 44 'गैर-हिंदू'कर्मचारियों को नोटिस जाने की घटना को हालिया संदर्भ में फेक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। तिरुपति प्रसाद विवाद के बीच सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स पोस्ट करते हुए दावा कर रहे हैं कि इस विवाद के बीच तिरुपति मंदिर बोर्ड ने मंदिर में काम करने वाले 44 गैर-हिंदू कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। मौजूदा प्रसाद विवाद के बीच तिरुपति मंदिर बोर्ड की तरफ से ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2018 में एक टीटीडी (तिरुपति मंदिर का संचालन करने वाला बोर्ड) कर्मचारी के आधिकारिक कार में चर्च का दौरा करने के बाद टीटीडी के ‘गैर-हिंदू’ कर्मचारियों को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी। इस विवाद के बाद टीटीडी ने 44 ‘गैर-हिंदू’ को नोटिस जारी किया था। इसी पुराने विवाद को हालिया संदर् में फेक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
थ्रेड यूजर ‘chandrakant.singh__341’ ने पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “आंध्र प्रदेश तिरुपति मंदिर के 44 गैर हिंदू कर्मचारियों को निकाला गया है।”
सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस पोस्ट को समान दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में किए गए दावे के आधार पर न्यूज सर्च में हमें कई रिपोर्ट्स मिली, जो पुरानी हैं। 2018 की न्यूज18.कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, टीटीडी कर्मचारी के अपनी आधिकारिक कार में चर्च जाकर प्रार्थना करने का वीडियो वायरल होने के बाद टीटीडी में ‘गैर-हिंदू’ कर्मचारियों के मुद्दे को लेकर विवाद पैदा हो गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर का संचालन करने वाली टीटीडी यानी तिरुमाला तिरुपति देवास्थानम (टीटीडी) बोर्ड ने 44 ‘गैर-हिंदू’ कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दिया।
ईटीवी आंध्र प्रदेश के आधिकारिक यू-ट्यूब चैनल पर छह साल पहले अपलोड किए गए वीडियो बुलेटिन में भी इस घटना का जिक्र है।
हालिया प्रसाद विवाद के बीच हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें मंदिर से 44 ‘गैर-हिंदू’ कर्मचारियों को निकाले जाने का जिक्र हो। वायरल दावे को लेकर हमने हैदराबाद स्थित टीवी पत्रकार नूर मोहम्मद से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया, “तिरुपति मंदिर से किसी भी गैर-हिंदू कर्मचारी को निकाले जाने का दावा फेक है।”
इस मामले में हमने टीटीडी बोर्ड से ई-मेल के जरिए भी संपर्क किया है और उनका जवाब आने पर इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा।
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, तिरुपति प्रसाद विवाद में वाईएसआरसीपी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबादू नायडू के कथित आरोपों (प्रसाद में ‘जानवर की चर्बी’) की जांच कराए जाने की मांग की है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, “आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में परोसे जाने वाले लड्डुओं में “जानवरों की चर्बी” की मौजूदगी के आरोपों को लेकर बढ़ते विवाद के बीच केंद्र ने आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी आरोपों की जांच की मांग की है, जिससे श्रद्धालुओं के एक समूह को चिंतित कर दिया है।”
वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर को थ्रेड पर डेढ़ हजार लोग फॉलो करते हैं। इसी विवाद के बीच सोशल मीडिया पर हरिद्वार में एक मुस्लिम विक्रेता के अपनी पहचान को छिपाकर शाकाहारी भोजन में मांस मिलाकर बेचे जाने के दावे के साथ एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसे हमने अपनी जांच में फेक पाया था। फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: तिरुपति प्रसाद विवाद में तिरुपति मंदिर से 44 ‘गैर-हिंदू’ कर्मचारियों को निकाले जाने या उन्हें बर्खास्त किए जाने का दावा फेक है। 2018 में 44 ‘गैर-हिंदू’कर्मचारियों को नोटिस जाने की घटना को हालिया संदर्भ में फेक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
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