Fact Check : फर्जी है राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी से जुड़ी यह वायरल पोस्ट

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। गुजरात, हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव की सरगर्मी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बीच सोशल मीडिया पर एक न्‍यूज चैनल के सर्वे का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है। इसे वायरल करते हुए दावा किया जा रहा है कि आजतक के देश का मिजाज सर्वे के अनुसार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 52 फीसदी लोग पसंद करते हैं, जबकि प्रधानमंत्री को पसंद करने वालों की तादाद 46 प्रतिशत है। विश्‍वास न्‍यूज ने स्क्रीनशॉट की जांच की। यह एडिटेड साबित हुआ। आजतक के एक पुराने सर्वे के दो अलग-अलग स्क्रीनशॉट को लेकर वायरल पोस्‍ट तैयार करके भ्रम फैलाया जा रहा है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर सतीश जैन ने 13 अक्टूबर को एक ग्रुप में पोस्‍ट को अपलोड करते लिखा कि देश का मिजाज बदल रहा है, जुमलेबाजों को अब जनता ने सबक सिखाने का मन बना लिया है।

वायरल पोस्‍ट के क्‍लेम को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं।

इसका आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच के लिए गूगल सर्च टूल की मदद ली। पोस्‍ट के आधार पर संबंधित कीवर्ड बनाए गए और फिर इन्‍हें गूगल सर्च में खोजा गया। हमें पता चला कि यह पोस्‍ट पहले भी कई बार वायरल हो चुकी है। पड़ताल के दौरान हमें आजतक के यूट्यूब चैनल पर 24 जनवरी 2019 की तारीख पर अपलोड एक वीडियो मिला। मूड ऑफ द नेशन नाम के सर्वे पर आधारित इस वीडियो में हमें वायरल पोस्‍ट के ग्राफिक्‍स मिले।

जब राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बारे में पूछा गया कि कौन बनेगा बेहतरीन प्रधानमंत्री तो 46 फीसदी लोगों ने नरेंद्र मोदी का नाम लिया, जबकि 34 फीसदी लोगों ने राहुल गांधी का नाम बताया। यह वीडियो 7 मिनट 56 सेकंड पर देखा जा सकता है।

इसी तरह वायरल पोस्‍ट में इस्तेमाल किया गया राहुल गांधी वाला ग्राफिक्‍स हमें वीडियो के 23:30 मिनट पर मिला। इसमें सर्वे का सवाल यह था कि विपक्षी नेताओं में पीएम मोदी का विकल्प कौन है। इसके जवाब में लोगों ने राहुल गांधी को 52 प्रतिशत वोट दिया, जबकि ममता बनर्जी को 8 फीसदी लोगों ने चुनाव। अखिलेश यादव को 5 फीसदी और केजरीवाल को 4 फीसदी, तथा मायावती को 3 फीसदी वोट मिला।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए आजतक के एक वरिष्ठ संपादक से संपर्क किया। उनके साथ वायरल पोस्‍ट को शेयर किया। उन्होंने स्‍पष्‍ट करते हुए बताया कि यह पिछले कई सालों से वायरल होता रहा है। यह फेक है। एक पुराने सर्वे के अलग-अलग सवालों के ग्राफिक्‍स को जोड़कर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है।

पड़ताल के अंत में फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की। फेसबुक यूजर सतीश जैन राजस्थान के लखेरी के रहने वाले हैं। इनके अकाउंट को छह हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। दरअसल वर्ष 2019 में एक हुए सर्वे के दो अलग-अलग प्रश्नों के जवाब का कोलाज बनाकर झूठ फैलाया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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