Fact Check : पाकिस्‍तान के खिलाफ नारे लगवाने का यह वीडियो यूपी का नहीं है, चार साल से है इंटरनेट पर वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में यूपी के नाम से वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। इंटरनेट पर 2017 से वायरल एक वीडियो को कुछ लोग यूपी का बताकर वायरल कर रहे हैं।

Fact Check : पाकिस्‍तान के खिलाफ नारे लगवाने का यह वीडियो यूपी का नहीं है, चार साल से है इंटरनेट पर वायरल

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। पाकिस्‍तान की जीत के बाद से ही सोशल मीडिया में कई फर्जी वीडियो और तस्‍वीरें वायरल हो रही हैं। अब एक वीडियो को वायरल करते हुए यूजर्स इसे यूपी का बताते हुए दावा कर रहे हैं कि पाकिस्‍तान जिंदाबाद के नारे लगाने वालों की यूपी पुलिस ने जमकर पिटाई की। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल वीडियो की जांच की। पता चला कि जिस वीडियो को यूपी का बताकर वायरल किया गया, वह जम्‍मू व कश्‍मीर के नाम से कई साल पहले भी वायरल हो चुका है। इंटरनेट पर यह वीडियो 2017 से वायरल है। हमारी पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर सीमा चौधरी ने 29 अक्‍टूबर को एक वीडियो को अपने अकाउंट पर अपलोड करते हुए दावा किया : ‘Fake Claim : पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाने पर उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने पकड़ लिया है और इनकी जमकर पिटाई जुलाई चालू है तमाम धाराओं के तहत इन्हें हिरासत में भेज दिया गया है जय माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार जय योगी बाबा जय जय श्री राम!’

फेसबुक पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। वीडियो को यूपी का समझकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं। फेसबुक पोस्‍ट के अकाईव्ड वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल की शुरुआत ऑनलाइन टूल्‍स से की। सबसे पहले वायरल वीडियो को InVID टूल में अपलोड करके कई ग्रैब्‍स निकाले। फिर इन्‍हें यान्‍डेक्‍स सर्च इंजन में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। सबसे पुराना वीडियो हमें यूट्यूब पर मिला। 15 अप्रैल 2017 को इस वीडियो को अपलोड करते हुए बताया गया कि भारतीय सेना ने कश्‍मीरी लड़कों से जबरदस्‍ती पाकिस्‍तान मुर्दाबाद के नारे लगवाए। संबंधित वीडियो यहां क्लिक करके देखा जा सकता है।

यूट्यूब पर चार साल पहले अपलोड वीडियो से एक बात तो साफ हो गई कि इसका कुछ दिनों पहले भारत-पाकिस्‍तान के बीच हुए मैच और पाकिस्‍तान की जीत से कोई संबंध नहीं है। इसी तरह इस वीडियो का यूपी से भी कोई संबंध समझ में नहीं आया।

जांच को आगे बढ़ाते हुए दूसरे प्‍लेटफॉर्म्‍स पर वीडियो को खोजना जारी रखा। ओरिजनल वीडियो हमें ऑल पार्टीज हुरियत कॉन्‍फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक के ट्विटर हैंडल पर भी मिला। इसे 15 अप्रैल 2017 को पोस्ट किया गया था। इसे यहां क्लिक करके देखा जा सकता है।

सर्च के दौरान हमें वायरल वीडियो कुछ पुरानी खबरों में मिला। 15 अप्रैल 2017 को स्‍कूपहूप की वेबसाइट पर पब्लिश एक खबर में भी इसी वीडियो का इस्‍तेमाल करते हुए इसे कश्‍मीर का बताया गया। खबर को यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।

विश्‍वास न्‍यूज स्‍वतंत्र रूप से इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। लेकिन एक बात कन्‍फर्म है कि वीडियो कम से कम चार साल पुराना है। यह 2017 से इंटरनेट पर वायरल है।

गौरतलब है कि टी 20 वर्ल्‍ड कप में भारत की हार के बाद देश के कई हिस्‍सों में पाकिस्‍तान के समर्थन की घटनाएं सामने आईं। जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज किए हैं। आजतक की वेबसाइट पर इसे लेकर 28 अक्‍टूबर को एक खबर पब्लिश की गई थी। इस खबर को यहां क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

जांच को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने दैनिक जागरण, कश्‍मीर के वरिष्‍ठ पत्रकार नवीन नवाज से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि वायरल वीडियो का पाकिस्‍तान की जीत से कोई संबंध नहीं है। यह वीडियो कई सालों से इंटरनेट मीडिया में वायरल है।

पड़ताल के अंत में विश्‍वास न्‍यूज ने फर्जी पोस्‍ट करने वाली यूजर की जांच की। फेसबुक यूजर सीमा चौधरी दिल्‍ली में रहती हैं। इनके अकाउंट को छह हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में यूपी के नाम से वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। इंटरनेट पर 2017 से वायरल एक वीडियो को कुछ लोग यूपी का बताकर वायरल कर रहे हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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