अस्पताल में मरीजों से भरे वार्ड वाले वीडियो को पटना स्थित AIIMS और दिल्ली के अस्पताल से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। वास्तव में यह वीडियो पटना के महावीर कैंसर संस्थान का है, जिसे अलग-अलग अस्पतालों के नाम से जोड़कर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई जा रही है।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। देश में तेजी से बढ़ते COVID-19 संक्रमण के बीच सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में अस्पताल के भीतर मरीजों की भीड़ को देखा जा सकता है। इस वीडियो को सोशल मीडिया यूजर्स दिल्ली के अस्पताल समेत अलग-अलग दावों के साथ शेयर कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। अस्पताल के भीतर मरीजों की भीड़ वाला वीडियो बिहार के पटना में स्थित महावीर कैंसर संस्थान का है, जिसे सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स पटना स्थित AIIMS का तो कुछ यूजर्स दिल्ली के किसी अस्पताल का बताकर शेयर कर रहे हैं।
ट्विटर यूजर ‘RenukaJain’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”While @ArvindKejriwal…. is busy with full page advertisements this is true pic of Delhi.”
हिंदी में इसे ऐसे पढ़ा जा सकता है, ”यह दिल्ली की सही तस्वीर है जब अरविंद केजरीवाल फुल पेज विज्ञापन देने में व्यस्त हैं।”
सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को अलग-अलग दावे के साथ शेयर किया है। कुछ यूजर्स ने इस वीडियो को बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल का बताते हुए शेयर किया था।
हमें ट्विटर पर बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर भास्कर राव का 19 जुलाई को पोस्ट किया गया ट्वीट मिला, जिसमें उन्होंने इस वीडियो को बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल का बताकर शेयर करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने की जानकारी दी है।
इससे यह साफ हो गया कि वायरल हो रहा वीडियो बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल का नहीं है।
सोशल मीडिया स्कैनिंग में हमें ऐसे कई अन्य यूजर्स मिले, जिन्होंने इस वीडियो को पटना के AIIMS का बताकर शेयर किया है। वायरल हो रहे पोस्ट पर हमें कई यूजर्स की टिप्पणी भी मिली, जिसमें इन्होंने इसे पटना AIIMS का बताया है।
वेरिफाइड यू-ट्यूब चैनल ‘Bharat Live’ पर 16 जुलाई को अपलोड किए गए बुलेटिन में इसे प्राथमिक तौर पर पटना AIIMS का वीडियो बताया गया है।
फेसबुक पेज ‘Bihar‘ पर भी हमें यह वीडियो मिला, जिसमें इसे पटना के महावीर कैंसर संस्थान का बताया गया है।
इस पोस्ट पर ‘राणा सिंह’ ने टिप्पणी करते हुए लिखा है, ‘मेरा नाम डॉ. राणा सिंह है और ये वीडियो मैंने खुद बनाया है। महावीर कैंसर संस्थान में मैं डॉक्टर हूं और मेडिकल ऑफिसर के पोस्ट पर हूं। ये वीडियो मैंने कल 15 जुलाई को लिया, जब मरीजों की भीड़ कोरोना स्क्रीनिंग ओपीडी नंबर 5 के पास अनियंत्रित हो गई।’
महावीर कैंसर संस्थान की वेबसाइट पर दी गई जानकारी से डॉ. राणा सिंह के मेडिकल ऑफिसर होने की पुष्टि होती है।
इसके बाद विश्वास न्यूज ने डॉ. राणा सिंह से संपर्क किया। डॉ. सिंह ने बताया, ‘यह वीडियो उन्होंने ही बनाया था और यह अस्पताल के ओपीडी (नंबर 5) का है।’ उन्होंने बताया, ‘हमारे अस्पताल के कुछ कर्मचारियों के COVID-19 पॉजिटिव होने की वजह से चार-पांच दिनों तक कोई काम नहीं हुआ और जब बाद में अस्पताल खुला तो अचानक से मरीजों की संख्या ओपीडी में जमा हो गई।’
सिंह ने कहा, ‘मैंने प्रबंधन को इस बारे में बताने के लिए वीडियो बनाया था और स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रबंधन ने इसका तत्काल संज्ञान लिया। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कई निर्णय लिए गए हैं ताकि मरीजों को ऐसी स्थिति का दुबारा सामना नहीं करना पड़े। प्रबंधन ने सुरक्षा का ख्याल रखते हुए अब मरीजों के फाइल को अलग-अलग विभागों से जोड़ दिया गया है ताकि मरीज संबंधित विभाग तक सीधे पहुंच सके।’ उन्होंने कहा कि मैंने यह वीडियो प्रबंधन को स्थिति से अवगत कराने के लिए बनाया था और प्रबंधन की तरफ इस मामले का समाधान भी कर दिया गया।
आचार्य किशोर कुणाल के वेरिफाइड फेसबुक पेज पर भी इस बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। दी गई जानकारी के मुताबिक यह घटना 15 जुलाई की है, जब आठ दिनों की बंदी के बाद कैंसर संस्थान अचानक खुला और उसमें अचानक से मरीजों की भीड़ बढ़ गई।
वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाली यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को फाइनेंशियल टैक्स एडवाइजर बताया है।
कोरोना वायरस संक्रमण के बीच सोशल मीडिया पर फर्जी सूचनाओं की बाढ़ आई हुई है, जिसमें फोटो और वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। हाल ही में हैदराबाद के उस्मानिया अस्पताल के पानी से भरे वार्ड की तस्वीर को पटना के कोविड-19 सेंटर का बताकर वायरल किया गया था, जिसकी पड़ताल विश्वास न्यूज ने की थी। पूरी रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: अस्पताल में मरीजों से भरे वार्ड वाले वीडियो को पटना स्थित AIIMS और दिल्ली के अस्पताल से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। वास्तव में यह वीडियो पटना के महावीर कैंसर संस्थान का है, जिसे अलग-अलग अस्पतालों के नाम से जोड़कर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई जा रही है।
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