नई दिल्ली विश्वास टीम। एनआरसी को लेकर सोशल मीडिया अफवाहों से भरा पड़ा है। ऐसे में आजकल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें बहुत से सिखों को एक रैली निकालते हुए देखा जा सकता है। वीडियो के साथ डिस्क्रिप्शन में कहा गया है कि यह एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का वीडियो है। जब हमने पड़ताल की तो पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह वीडियो 2016 का है। वीडियो तब का है जब एक सिख समूह ने शिवसेना की प्रस्तावित रैली के खिलाफ अमृतसर में एक रैली निकाली थी।
वायरल पोस्ट में एक 2 मिनट 25 सेकंड का वीडियो है जिसमें बहुत से सिख लोगों को हाथ में तलवार लिए एक रैली निकालते हुए देखा जा सकता है। वीडियो के साथ दावे में लिखा है “एनआरसी के खिलाफ आज पंजाब में विरोध प्रदर्शन के दौरान कोई भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था।”
इस पोस्ट के आर्काइवड वर्जन को यहाँ देखा जा सकता है।
हमने अपनी पड़ताल शुरू करने के लिए सबसे पहले इस वीडियो को ठीक से देखने का फैसला किया। पूरे 2 मिनट 25 सेकंड के वीडियो में कहीं पर भी CAA, CAB या NRC सुनने को नहीं मिला। वीडियो में खालिस्तान जिंदाबाद के साथ जरनैल सिंह भिंडरावाला के समर्थन में नारे लगाए जाते सुने जा सकते हैं।
हमने ज़्यादा जांच के लिए इस वीडियो को Invid टूल पर डाला और उसके कीफ्रेम्स निकाले। अब इन कीफ्रेम्स को हमने गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। हमारे सामने 25 मई 2016 को यूट्यूब पर खालसा गतका ग्रुप नाम के एक यूट्यूब चैनल द्वारा अपलोड किया गया वीडियो आया जो हूबहू वायरल वीडियो ही था। वीडियो के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा था “Live From Beas (Shiv Sena not Come to Amritsar)”
जब हमने खालसा गतका ग्रुप के अबाउट को चेक किया तो हमें इस पेज के एक एडमिन भूपेंद्र सिंह छतवाल का नंबर मिला। विश्वास से बात करने पर उन्होंने हमें बताया कि यह वीडियो उन्होंने ही फिल्माया था और यह वीडियो 2016 का है जब शिवसेना द्वारा प्रस्तावित ललकार रैली के खिलाफ सिख आउटफिट ने अमृतसर में अपनी एक रैली निकाली थी। उन्होंने यह भी बताया कि इस रैली के चलते आसपास काफी सख्त पुलिस प्रबंध भी था।
इस रैली को लेकर हमें एक खबर हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट पर भी मिली।
अब हमने इस मामले में आधिकारिक पुष्टि लेने के लिए हमारे पंजाबी जागरण के सहयोगी अमृतसर जिला इंचार्ज रिपोर्टर अमृतपाल सिंह से संपर्क किया। अमृतपाल सिंह ने हमें बताया कि शिवसेना ने मई 2016 में ललकार रैली का प्रस्ताव दिया था। इसको रोकने के लिए ब्यास पुल पर शिरोमणि अकाली दल के लोग इकट्ठे हुए थे और वो रैली नहीं होने दी गई थी। इस रैली का नागरिकता कानून से कोई लेना देना नहीं है।
इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर कई लोग शेयर कर रहे हैं। इन्ही में से एक है Fazil Ashrafi नाम का फेसबुक यूजर। इस फेसबुक यूजर के 1,915 फेसबुक फ्रेंड्स हैं। यूजर प्रोफाइल के मुताबिक ये मुंबई का रहने वाला है।
निष्कर्ष: हमने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट का दावा गलत है। असल में यह वीडियो 2016 का है। वीडियो तब का है जब एक सिख समूह ने शिवसेना की प्रस्तावित रैली के खिलाफ एक रैली निकाली थी। इस रैली का एनआरसी से कोई लेना देना नहीं था।
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