Fact Check: प्रोटेस्ट का यह वीडियो पाकिस्तान का है, JNU का नहीं

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असली वीडियो 19 नवंबर 2019 का है जब पाकिस्तान के लाहौर में फैज़ लिटरेसी फेस्टिवल के दौरान कुछ छात्रों ने यह प्रोटेस्ट किया था। नाही तो यह वीडियो JNU का है और नाही इसका CAA NRC से कोई लेना देना है।

Fact Check: प्रोटेस्ट का यह वीडियो पाकिस्तान का है, JNU का नहीं

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर आजकल एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोगों को डफली बजाते और गाना गाते हुए प्रोटेस्ट करते देखा जा सकता है। वायरल पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि वीडियो में दिख रहे लोग जेएनयू के छात्र हैं और CAA और NRC के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे हैं। विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असली वीडियो 19 नवंबर 2019 का है जब पाकिस्तान के लाहौर में फैज़ लिटरेसी फेस्टिवल के दौरान कुछ छात्रों ने यह प्रोटेस्ट किया था। यह वीडियो न तो JNU का है और न ही इसका CAA-NRC से कोई लेना-देना है।

क्या हो रहा है वायरल?

वायरल वीडियो 49 सेकंड का है, जिसमें कुछ लोगों को डफली बजाते हुए प्रोटेस्ट करते देखा जा सकता है। वायरल वीडियो में लोगों को गाते सुना जा सकता है “सरफ़रोशी की तमन्ना आज हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-इ-क़ातिल में … जब लाल लाल लहरायेगा तब होश ठिकाने आएगा।” पोस्ट के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है ‘Jnu students protesting against Nrc and cab’ जिसका हिंदी अनुवाद होता है ‘ एनआरसी और सीएबी के खिलाफ प्रदर्शन करते छात्र।”

इस पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखा जा सकता है।

पड़ताल

इस पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने इस वीडियो को Invid टूल पर डाला और इसके की फ्रेम्स निकाले। अब हमने इन की फ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। हमें news18.com की एक खबर मिली, जिसमें इस वीडियो को एम्बेड किया गया था। खबर के अनुसार, ये वीडियो पाकिस्तान के लाहौर का है जिसे सबसे पहले शिराज हसन नाम के एक पत्रकार ने शेयर किया था।

हमें इस वीडियो पर आधारित एक खबर indianexpress.com/ पर भी मिली। इस खबर में भी यही कहा गया था कि वीडियो पाकिस्तान के लाहौर का है, जिसे सबसे पहले शिराज हसन नाम के एक पत्रकार ने शेयर किया था।

शिराज हसन द्वारा किया गया ट्वीट यहाँ नीचे देखा जा सकता है।

हमने इस विषय में पुष्टि के लिए शिराज हसन को ट्विटर पर संपर्क किया और इस वीडियो के बारे में पूछा। जवाब में शिराज हसन ने हमें बताया कि यह वीडियो उन्होंने ही पोस्ट किया था और
“वीडियो लाहौर स्थित लाहौर आर्ट काउंसिल का है जहाँ फैज़ लिटरेसी फेस्टिवल के बाद कुछ छात्रों ने 29 नवंबर को होने वाले छात्र एकजुटता मार्च से पहले लोगों को इस मार्च में आने को कहा था। वीडियो में दिख रही लड़की का नाम अरोज औरंगजेब और लड़के का नाम हुसनैन जमील फरीदी है। ये दोनों लाहौर स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र हैं।”

नागरिकता संशोधन विधेयक 10 दिसंबर 2019 को लोकसभा से पारित होने के बाद 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा से पास हुआ। इसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और यह विधेयक कानून बन गया। इस विधेयक के खिलाफ 10 दिसंबर से देश भर में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई।

इस पोस्ट को कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपलोड किया है, जिनमें से एक है फेसबुक पेज Shaykh Zia Ul Gaffar Page। इस प्रोफाइल के कुल 120,07 फ़ॉलोअर्स हैं। इस पेज को आंध्र प्रदेश के कमलापुरम से हैंडल किया जाता है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असली वीडियो 19 नवंबर 2019 का है जब पाकिस्तान के लाहौर में फैज़ लिटरेसी फेस्टिवल के दौरान कुछ छात्रों ने यह प्रोटेस्ट किया था। नाही तो यह वीडियो JNU का है और नाही इसका CAA NRC से कोई लेना देना है।

False
Symbols that define nature of fake news
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