Fact Check : जापान नहीं, मंगोलिया में हुआ था सूर्य नमस्‍कार का यह कार्यक्रम, वीडियो पुराना है

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। 2015 के मंगोलिया के पुराने वीडियो जापान के नाम से वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया में एक बार फिर से एक वीडियो वायरल हो रहा है, इसमें कुछ लोगों को सूर्य नमस्‍कार जैसा योग करते हुए देखा जा रहा है। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह वीडियो जापान का है। यह योग जापानी कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने पहले भी वायरल पोस्‍ट की जांच की थी। हमें पता चला कि मंत्रों के साथ योग करते लोगों का यह वीडियो जापान का नहीं, बल्कि मंगोलिया का है। वायरल पोस्‍ट हमारी जांच में फर्जी साबित हुई। ओरिजनल वीडियो 2015 का है। पिछली पड़ताल यहां क्लिक करके पढ़ें।

क्‍या हो रहा है वायरल

ट्विटर हैंडल ProNaM @ProNaMoSeva ने 9 फरवरी को एक पुराना वीडियो वीडियो अपलोड करते हुए दावा किया जापानियों ने सूर्य नमस्‍कार करते हुए भारतीय झंडे को अपना ड्रेस कोड बनाया। अंग्रेजी में यह दावा ऐसे लिखा गया : ‘Old is Gold Red heart. What a beautiful sight Smiling face with heart-shaped eyesJapanese doing Surya namaskar with our National flag as their Dress Code. India is shinning and spreading its rich culture throughout the World.
Slowly but surely we are becoming torch bearers in every field Flag of India.’

ट्विटर का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां क्लिक करके के देखा जा कता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल वीडियो को इनविड टूल में अपलोड करके कई कीफ्रेम्‍स निकाले। फिर इन्‍हें गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया। ओरिजनल वीडियो हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वेरिफाइड यूट्यूब चैनल पर मिला। 17 मई 2015 को अपलोड इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा था : 17 मई, 2015 को मंगोलिया के उलानबटार में “आर्ट ऑफ़ लिविंग” द्वारा आयोजित सामुदायिक स्वागत और योग कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी. वीडियो में हमें वह सीन भी नजर आया, जो अब एडिट करके जापान के नाम से वायरल किया जा रहा है। ओरिजनल वीडियो को आप यहां देख सकते हैं।

तहकीकात के दौरान विश्‍वास न्‍यूज ने आर्ट ऑफ लिविंग की प्रवक्‍ता लक्ष्मी मुरली से भी बात की। उन्‍होंने बताया कि वीडियो जापान का नहीं है। यह वीडियो मंगोलिया में आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम का है।

अब बारी थी कि पुराने वीडियो को फर्जी दावे के साथ वायरल करने वाले यूजर की जांच करने की। हमें पता चला कि ट्विटर हैंडल ProNamoa हैदराबाद से संचालित होता है। इसे 7448 लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। 2015 के मंगोलिया के पुराने वीडियो जापान के नाम से वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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