Fact Check : वायरल पोस्‍ट का जनसंघ कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से नहीं है कोई संबंध, फर्जी दावे के साथ फेक क्लिप वायरल

4000 संघ कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का दावा करने वाली पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। वायरल अखबार की क्लिपिंग को ऑनलाइन टूल के माध्‍यम से बनाया गया है।

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफॉर्म पर एक अखबार की फर्जी क्लिप वायरल हो रही है। इस क्लिप की हेडिंग है कि 4000 संघ कार्यकर्ता अरेस्‍ट हुए। अखबार के ऊपर हमें 30 अगस्‍त 1971 की तारीख नजर आई।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमें पता चला कि यह क्लिप फर्जी है। इसे ऑनलाइन टूल के माध्‍यम से बनाया गया है।

पड़ताल

ट्विटर हैंडल फैज सेप इंडिया ने इस अखबार की क्लिपिंग को शेयर करते हुए लिखा : “Is this what they were doing to free Bangladesh?”

पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले संघ कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का दावा करने वाली अखबार की क्लिपिंग की जांच की। इसे देखकर हमें कुछ शक हुआ। हमें अखबार का मास्‍टहेड पूरा नजर नहीं आया। इसके अलावा खबर में हमें कोई डेटलाइन या बाइलाइन नजर नहीं आई। इतना ही नहीं, इसमें 30 अगस्‍त 1971 को रविवार बताया गया, जबकि उस दिन सोमवार था।

यह तो तय था कि वायरल अखबार की क्लिपिंग फर्जी है। इसे ऑनलाइन टूल के माध्‍यम से बनाया गया है। इसके लिए हमने गूगल में कई कीवर्ड टाइप करके ऐसे टूल को खोजना शुरू किया, जिसकी मदद से ऐसी अखबार की क्लिपिंग बनाई जा सके। आखिरकार हमें एक वेबसाइट मिल ही गई। हमें इस वेबसाइट पर एक और न्‍यूज क्लिपिंग मिली। इसे आप नीचे देख सकते हैं।

इसके बाद हमने कीवर्ड सर्च के जरिए यह खोजने की कोशिश की कि क्‍या 1971 में संघ कार्यकर्ताओं को अरेस्‍ट किया गया था? हमें 27 मार्च 2021 को टाइम्‍स ऑफ इंडिया में पब्लिश एक खबर मिली। इसमें इसमें बताया गया कि 12 अगस्‍त 1971 में दिल्‍ली में जनसंघ के 10 हजार कार्यकर्ताओं को अरेस्‍ट किया गया था।

खबर में बताया गया कि बांग्‍लादेश सत्‍याग्रह के अंतिम दिन 12 अगस्‍त को 10 हजार जनसंघ कार्यकर्ताओं को अरेस्‍ट किया गया है। इसमें 1200 महिलाएं और बच्‍चे भी शामिल थे।

नीचे अखबार की क्लिप देखें।

इससे एक बात साफ हुई कि 1971 में संघ के नहीं, बल्कि जनसंघ के कार्यकर्ता अरेस्‍ट हुए थे।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार से संपर्क किया। उन्‍होंने हमें बताया कि इंटरनेट पर वायरल हो रही यह पोस्‍ट फर्जी है। संघ को बदनाम करने के लिए ऐसी पोस्‍ट वायरल की जाती हैं।

पड़ताल के अंत में विश्‍वास न्‍यूज ने फैज सेव इंडिया नाम के ट्विटर हैंडल की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि इसे 8952 लोग फॉलो करते हैं। इस अकाउंट को सितंबर 2014 को बनाया गया।

Disclaimer : इस फैक्‍ट चेक स्‍टोरी में कुछ अतिरिक्‍त सूचनाओं को जोड़ा गया है। इसका हमारी स्‍टोरी के निष्‍कर्ष पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

निष्कर्ष: 4000 संघ कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का दावा करने वाली पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। वायरल अखबार की क्लिपिंग को ऑनलाइन टूल के माध्‍यम से बनाया गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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