विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में दावा गलत साबित हुआ। यह तस्वीर कश्मीर की 2013 की है। इस तस्वीर का करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज से कोई संबंध नहीं है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर में कुछ पुलिसकर्मियों को एक सड़क पर गिरे खून को धोते हुए देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह करनाल में शनिवार को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद की तस्वीर है। विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में दावा गलत साबित हुआ। यह तस्वीर कश्मीर की 2013 की है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
फेसबुक पर ‘ किसान की स्वमिनाथन रिपोर्ट और कर्ज मुक्ति लागु हो’ नाम के एक पेज ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा “बड़े दुःख की बात है किसानों का खून सड़को पर बह रहा है। सता में आने से पहले पता नहीं क्या क्या बात करते है किसानों ने बारे में और बाद में आप खुद देख लो।”
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। हमें यह तस्वीर indianexpress.comपर 23-Sep-2013 को पब्लिश्ड मिली। तस्वीर के साथ लिखा था, “श्रीनगर में आतंकी हमले में सीआईएसएफ जवान शहीद”
यही तस्वीर दूसरे एंगल से www.alamy.com पर भी मिली। इसके अनुसार, “भारतीय पुलिसकर्मी कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के इकबाल पार्क इलाके में खून से सने सड़क को धोते हैं, जहां 23/9/2013 को दो सीआईएसएफ जवानों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।”
हमने इस विषय में जागरण श्रीनगर के ब्यूरो चीफ नवीन नवाज़ से बात की। उन्होंने कन्फर्म किया कि यह तस्वीर 23/9/2013 कश्मीर की है, जब श्रीनगर के इकबाल पार्क इलाके में आतंकियों ने दो सीआईएसएफ जवानों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
आपको बता दें, “हरियाणा पुलिस ने शनिवार (अगस्त 28) को करनाल के बस्तर टोल प्लाजा इलाके में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज किया था, जिससे राजमार्ग पर यातायात बाधित हो गया और कम से कम 10 लोग घायल हो गए। कुछ लोग किसानों पर लाठीचार्ज का विरोध कर रहे थे, जबकि उन्होंने कथित तौर पर राज्य भाजपा प्रमुख ओपी धनखड़ के काफिले को रोकने की कोशिश की।”
इस पोस्ट को ‘किसान की स्वमिनाथन रिपोर्ट और कर्ज मुक्ति लागु हो’ नाम के फेसबुक पेज ने शेयर किया है। हमने पेज को स्कैन किया और पाया कि पेज के 33,791 फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में दावा गलत साबित हुआ। यह तस्वीर कश्मीर की 2013 की है। इस तस्वीर का करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज से कोई संबंध नहीं है।
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