विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि 2013 की एक तस्वीर को किसान आंदोलन के नाम पर फैलाया जा रहा है। हमारी जांच में वायरल पोस्ट फर्जी साबित हुई।
नई दिल्ली (Vishvas News)। दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार जारी है। अब एक पुरानी तस्वीर को वायरल करते हुए कुछ लोग यह झूठ फैला रहे हैं कि खालिस्तान को सपोर्ट करती यह फोटो किसान आंदोलन की है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की पड़ताल की। हमें पता चला कि 2013 की एक पुरानी तस्वीर को अब किसान आंदोलन के खिलाफ इस्तेमाल करते हुए झूठे दावों के साथ वायरल किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज ने किसान आंदोलन से जुड़ी कई फर्जी पोस्ट की पड़ताल की है। इसे आप यहां पढ़ सकते हैं।
फेसबुक यूजर राजदीप घोष ने 2 दिसंबर को एक तस्वीर को अपलोड करते हुए लिखा : ‘इनका आंदोलन किसान आंदोलन नहीं है। इनका मकसद खालिस्तान बनाना। इसके पीछे कहीं न कहीं कांग्रेस और आपिया-गिरगिट है।’
फोटो में नीले कपड़े पहने एक सिख को हाथ में एक प्लेकार्ड पकड़े देखा जा सकता है, जिस पर खालिस्तान की मांग की जा रही है। फेसबुक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखें। दूसरे कई यूजर्स भी इस तस्वीर को फर्जी दावों के साथ वायरल कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले वायरल तस्वीर को रिवर्स इमेज टूल के माध्यम से खोजना शुरू किया। यह तस्वीर हमें कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की वेबसाइट पर अलग-अलग तारीखों में मिलीं। जब हमने टाइम लाइन टूल का इस्तेमाल करते हुए ओरिजनल फोटो खोजना शुरू किया तो यह हमें गेट्टी इमेज की वेबसाइट पर मिली।
इस तस्वीर को 6 जून 2013 को अमृतसर के गोल्डन टेंपल में क्लिक की गई थी। तस्वीर को एएफपी के नरिंदर नानू (NARINDER NANU/AFP) ने क्लिक की थी। फोटो के कैप्शन में बताया गया कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की 29वीं बरसी पर गोल्डन टेंपल में कई उग्र सिख संगठनों के सदस्यों ने भिंडरावाले और खालिस्तान के समर्थन में प्लेकार्ड दिखाए।
पड़ताल के अगले चरण में विश्वास न्यूज ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रवक्ता कुलविंदर सिंह से संपर्क किया। उन्होंने वायरल तस्वीर को देखकर बताया कि यह पुरानी फोटो है। इसका किसान आंदोलन से कोई कोई संबंध नहीं है।
अब बारी थी फर्जी पोस्ट करने वाले यूजर की सोशल स्कैनिंग की। हमें पता चला कि फेसबुक यूजर राजदीप घोष एक खास विचारधारा से प्रभावित हैं। इस अकाउंट को फरवरी 2015 में बनाया गया।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि 2013 की एक तस्वीर को किसान आंदोलन के नाम पर फैलाया जा रहा है। हमारी जांच में वायरल पोस्ट फर्जी साबित हुई।
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