Fact Check: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पुरानी तस्वीर राजस्थान में नहीं, बल्कि गुजरात में ही ली गई थी, फर्जी है वायरल पोस्ट का दावा

नरेंद्र मोदी की वायरल तस्वीर राजस्थान के बाड़मेर में नहीं, बल्कि गुजरात के कच्छ में ही खींची गई थी। वायरल पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा गलत है।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर वायरल हो रहा है। इस तस्वीर में मोदी के साथ कुछ लोग झुग्गियों के बाहर एक परिवार से बातचीत करते दिख रहे हैं। वायरल पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर 31 साल पुरानी है, जब नरेंद्र मोदी बाड़मेर में पाकिस्तान से विस्थापित हुए हिंदुओं से मिलने उनके कैम्प पहुंचे थे।

विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की पड़ताल की और इसे गलत पाया। असल में यह तस्वीर लगभग साल 1982—83 में गुजरात के कच्छ के बन्नी क्षेत्र में खींची गई थी। ​मोदी वहां बतौर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक अनुसूचित जाति के लोगों से मुलाकात करने गए थे।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर G.m. Chauhan ने यह तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा: ये 31 वर्ष पुरानी दुर्लभ तस्वीर है, जब नरेंद्र मोदी #बाड़मेर में पाकिस्तान से #विस्थापित_हिंदुओं से मिलने उनके कैम्प में पहुँचे थे. तब वो ना गुजरात के मुख्यमंत्री थे और ना ही देश के प्रधानमंत्री थे.दुख, मुशीबत मे लोगों के साथ खड़ा होना मोदी जी की फितरत में शामिल है।

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने पड़ताल की शुरुआत करते हुए सबसे पहले वायरल तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से ढूंढा। हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी वेबसाइट पर यह तस्वीर एक आर्टिकल ​में मिली। इस तस्वरी के साथ कैप्शन में लिखा गया है: गुजरात के एक गांव में नरेंद्र मोदी। इस आर्टिकल में बताया गया है कि नरेंद्र मोदी को संभाग प्रचारक बनाया गया था, जिसके बाद उन्हें साउथ व सेंट्रल गुजरात का चार्ज दिया गया था। इसके आगे बताया गया है कि 1980 के दशक के शुरुआत में मोदी ने पूरे गुजरात में कई यात्राएं की और इस दौरान उन्हें हर ताल्लुका और करीब-करीब राज्य के हर गांव में जाने का मौका मिला।

इस पूरे आर्टिकल में कहीं यह नहीं लिखा गया है कि मोदी राजस्थान के बाड़मेर में पाकिस्तान से विस्थापित हुए हिंदुओं को मिलने उनके कैम्प गए थे।

ज्यादा जानकारी के लिए दैनिक जागरण के अहमदाबाद रिपोर्टर (विशेष संवाददाता) शत्रुघ्न शर्मा ने गुजरात में वरिष्ठ पत्रकार व लेखक किशोर मकवाणा से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि यह फोटो करीब 1982—83 की है, जब नरेंद्र मोदी बतौर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक कच्छ के बन्नी इलाके के गांव में अनुसूचित जाति के लोगों से मुलाकात करने पहुंचे थे। उनके साथ विश्व हिंदू परिषद् के अखिल भारतीय पदाधिकारी मोहन जोशी व संघ कार्यकर्ता हरजीवन वेलजी पोपट भी तस्वीर में नजर आ रहे हैं।

विश्वास न्यूज स्वतंत्र रूप से यह पुष्टि नहीं करता कि यह तस्वीर किस साल में खींची गई है, हालांकि, यह तय है कि यह तस्वीर राजस्थान की नहीं, बल्कि गुजरात की है।

अब बारी थी फेसबुक पर इस पोस्ट को साझा करने वाले यूजर G.m. Chauhan की प्रोफाइल को स्कैन करने का। यूजर की प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर गुजरात के अहमदाबाद का रहने वाला है।

निष्कर्ष: नरेंद्र मोदी की वायरल तस्वीर राजस्थान के बाड़मेर में नहीं, बल्कि गुजरात के कच्छ में ही खींची गई थी। वायरल पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा गलत है।

False
Symbols that define nature of fake news
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